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Rajeshwar Singh Raju
शीराज़ा हिंदी -248 दिसम्बर 2018-जनवरी 2019 Received today
Manoj Srivastava
अटल इरादे और मजबूत वादे, राजनीति में एक अजातशत्रु थे। हृदय से कवि औ पुरोधा बुद्धि के गठबंधन के वे गणमान्य तंत्र थे। जिनके तर्क को काट न सके कोई गैर कांग्रेसी राजनीति के नट थे। बड़े-बड़े शूरमा भी किये धराशायी संसद में एेसे वे अकेले वाग्भट थे। जनसंघ-जल में उगाया जो कमल भाजपा की बेल के प्रथम फल थे। #अटलबिहारीवाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018) #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
मोहम्मद मुमताज़ हसन
दिसंबर का महीना रातें सर्द होती जा रही है दिन सिकुड़ रहे हैं नरम पड़ चुके हैं सूर्य के तेवर पहाड़ों को ढंक दिया है बर्फ ने सफेद चादर से सज गया है गर्म कपड़ों का बाजार ये दिसम्बर की दस्तक है आओ हम भी लुत्फ़ उठाएं ठंडी ठंडी सुबह का #दिसम्बर
WRITER AKSHITA JANGID
दिसम्बर आते ही,फ़िर तेरा आना याद आ गया इसी महिनें बहुत यादें जो बनाई है हमने | #NojotoQuote दिसम्बर
सत्यम...S❤️S
एक रात काली थी वो दिसम्बर सी. मन में उठ रही थी हिलोरे बबंडर सी.. मिलन था शायद उस रात हमारा उससे. वो न आई,.और रह गयी ये इला खंडहर सी.. #दिसम्बर
Savita Suman
#दिसंबर ये जो गुजर रहा है वो गुजर जाएगा वक्त कब रुका है ये भी ना रुक पाएगा लायेगा फिर नया भोर जीवन का उम्मीद फिर कई वो दिखलाएगा पर जो ठहरा है दर्द सीने में मेरे बन कर नस्तर सा सीने में मेरे कोई कहदे कभी मुझे आकर क्या वो भी कभी गुजर पाएगा लोग कहते हैं लाता है खुशियां दिसंबर पर गया वक्त भी क्या वो फिर लायेगा सो गई है खुशी कहीं सर्द की रजाई में धूप नए वर्ष का क्या उसे जगाएगा फिर कोई सिहरते थरथराते देह पर मखमली गर्म एहसास कराएगा दूर सन्नाटों में गुम गया है आवाज जो क्या कोई फिर कानों में गुनगुनाएगा रह रह कर उठती है एक टीस जिगर में क्या मरहम कोई प्यार का फिर दे जाएगा कैसे कैसे समझाती है "सुमन" अपने दिल को क्या कोई इस दर्द को भी समझ पाएगा @सविता सुमन ©Savita Suman #दिसम्बर
Rahul Saraswat
चलिये नई साल की आमद में, कसीदे़(बधाई) पढ़िए खत्म़ होने को, फिर इक बार, माह-ए-दिसम्बर है आया ख्वाहिश है बीते ये साल, बेमिसाल खुशहाली से जाते हुए सालों ने तो है, बस कैद ही करवाया .. दिसम्बर
Manmohan Dheer
दिसम्बर का ये मौसम तुम मेरे नाम लिख दो मेरे नौतपे पे शबनमी थोड़ी बारिश लिख दो . दिसम्बर
चाँदनी
bench भरी जनवरी सीने को बर्फ ना कर सकी देखो दिसम्बर की हल्की बारिश मेरे अक्स तक के निशा मिटा दिए ©चाँदनी #दिसम्बर