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Ek villain
एक नया भारत बनाने के लिए प्रतिबंध भाजपा की यात्रा में 10 मार्च 2022 की तारीख ऐतिहासिक दिन के लिए रूप में दर्ज वारिस दिन विकास की गेंद राजनीति में धर्म जाति और वर्ग केंद्र तो वोट बैंक की राजनीति को आईना दिखाया उत्तर प्रदेश उत्तराखंड गोवा मणिपुर में भाजपा ने अपनी कल्याणकारी नीतियों से डर और प्रदेश शासन के आधार पर जनता का विश्वास हासिल किया है भाजपा की सत्ता में वापसी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जनमानस विशेषकर महिलाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति अटूट भरोसा राज्य के मुकाबले में वापसी के लिए सत्ताधारी दल के खिलाफ खड़ा होना स्वभाविक स्वास्थ्य और जीवन लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है साथ ही साथ इतना ही उचित है कि सबके साथ विपक्ष की भूमिका भी आग से लड़ते हुए कांग्रेसी का राजनीतिक नक्शा में समझौता करना यह दुर्भाग्य विरोधी दलों ने ऐसे तमाम हथकंडे अपनाए लेकिन इससे कुछ भी लाभ नहीं हुआ उल्टे मतदाताओं की नजरों में उन्होंने अपनी छवि खराब कर ली आज हम कांग्रेसी साल में पहुंच गई है कि अपनी असफलता और आत्म चिंतन की बजाय इसमें ज्यादा संतोष है कि भाजपा का हावफन नहीं हुई ©Ek villain #नेक नियति और बुलंद इरादों की जीत भाजपा की #adventure
Kamna Trivedi
🌷मेरा अपने अंतर्मन से संवाद🌷 छुटपन से ही अपने को कुछ बच्चा, कुछ बड़ा पाया। छावनी में पलने बढ़ने का जो सुख पाया। कभी पिता के साथ कभी पिता के सुदूर तबादले मे जाने पे अपने को घर का बड़ा पाया। कुछ पढ़ना, कुछ खेलना, कुछ अटखेलियां, कुछ अल्हड़पन, पर अपने आप को समयसारनी से सदा बंधा पाया। पिता के फौजी अनुशासन को जो मैंने देखा था ...... उसको सदा अपने जीवन में अपनाया। समय पे उठना, समयानुसार ढलना, व्यवस्थित रहना और पुरजोशी से वतन के किसी भी काम आ सको तो आना अपने को सिखलाया। कभी जब भी मन उदास हुआ, तड़के सुबह एकेले इक सैर करी और छुटपन की वो सैर ही मेरे अपने अंतर्मन से संवाद की पहली श्रृंखला बनी। खुद को खुद ही समझाया, अपने मनोबल को कभी न गिरते पाया। मां की सिखलाई तो सुनी, पर पिता के कर्मों को देख सदा अपने आपको गौरवान्वित पाया। वो वायु सेना की नीली वर्दी, वो वायु सेना का छावनी का वातावरण जोशो खरोश और तेज से भरनेवाला अपने मन को सदा ही मैने पाया। कुछ भी मै हासिल कर सकती हूं, अपने इसी जज्बे से। सच्चाई, ईमानदारी, नेक नियति, अपनेपन और देशभक्ति कूट कूट के रक्त में भरी थी। कभी नहीं में झुक सकती हूं, झूठ और फरेब के रिश्ते से ..... कई बार गिरी कई बार उठी, कई बार गिरी कई बार उठी। जज्बा लेकिन वही रहा .... पर हर मोड़ पे मुझको मेरा अपने अंतर्मन से संवाद जिता हि गया। #firstquote🌷मेरा अपने अंतर्मन से संवाद🌷 छुटपन से ही अपने को कुछ बच्चा, कुछ बड़ा पाया। छावनी में पलने बढ़ने का जो सुख पाया। कभी पिता के साथ
Rajkumar Bairwa
नियति कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं होने देती हैं इंसान को अपनी ताकत पर घमंड क्या हुआ उसके घमंड को तोड़ने के लिए कॉरोना वाइरस भेज दिया नियति
Parasram Arora
यादो के अशांत सागर मे मैं नाव लेकर बिना सोचे उतर तो गया लेकिन पीड़ा तब हुई ज़ब मैंने देखा मैं पतवार तो तट पर ही भूल आया हू और अब डूबना मेरी नियति बन चुका हैँ और डूबना बिलकुल तय हैँ क्योंकि सामने एक बड़ा भवर अभी अभी उठता हुआ दिखा हैँ ©Parasram Arora नियति
Jyot kaur.
नियति है संसार की, सबके बीच है यहाँ अंतर न केवल सबके विचार की बल्कि बुनियादी रहन-सहन और तौर-तरिकों के आधार की| नियति है संसार की जिनका नाम ऊंचा, है उनका मुकाम ऊंचा| जो दिखते नहीं गुम है कहानी उनकी हर जगह, हर बार ही| नियति है संसार की हर युग, हर समय की रफ़्तार की|| ©jyoti kaur #नियति
Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"
इंसान अपने 'नियत' से ही अपनी 'नियति' को तय करता है । ©rashmi singh raghuvanshi #नियति
Preeti Karn
प्यास बढती रही और मैं जलती रही एक कतरा भी पिघला नहीं आसमां हुई खाक जलकर चिता अब मेरी पूरी गंगा ही मुझमें समाहित हुई नियति की थी यही विडंबना #नियति#
CK JOHNY
अकेला था तो बेहतर था खुद से जुड़ा था मैं तो खुदा था। तुम मिले तो अच्छा हो गया अब मेला लगा है तेरे मेरे मेल का बन गया हूँ हिस्सा नियति के खेल का। लौटना चाहता हूँ अपने स्टेशन ढूँढ रहा हूँ अरसे से डिब्बा वो रेल का। अब सोचता हूँ अक्सर बैठकर कि अकेला था तो बेहतर था खुद से जुड़ा था मैं तो खुदा था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ नियति