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Yogendra Singh Parmar
Tera Sukhi
फूल की पंखुड़ियों की तरहां एक दिन बिखर जाओ गे वरना किसी के हाथों से एक दिन बिखेर दिए जाओ गे अगर मोहब्बत किसी की हार गई पाँव तले कुचल दिए जाओ गे अगर बनना है तो ऐसी महक ऐसी हवा की तरहां बनो जिसकी तरफ भी जाओ गे अपनी याद छोड़ कर आओ गे हर किसी को अपनी महक से अपना दीवाना बनाओ गे #फूलकीपंखुड़ी #रविन्द्रनाथ #yqbaba #yqdidi #challenge
Ali sir (A+A)
जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है... (रविन्द्र नाथ टैगोर) ©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर
Abhishek Singh
एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
Abhishek Singh
एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर