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अजय 'निलय'
...जिनकी जुल्फों की छाँव में,लाखो सावन बरस गये... ...उनकी एक नजर की खातिर,नजराने खुद तरस गये... ...अजय 'निलय'... ...जुल्फों की छाँव...
Parasram Arora
शायद ढूंढ रही हो अपने उन दिनों की यादें जो इन सूनी पग्दंडियों पर कभी आबाद दिखती थी दूरदराज़ की वे शुष्क बावडिया तब लबालब भरी रहती थी और चूल्हे मे जलाने वाली लकड़ियों का भंडार रसोई घर की शोभा बढ़ाते थे...... भले लगते थे वे ठूंठ और बीहड़ भी जो आज न जाने कही खो गए है या फिर सीमेंट की सडके उन्हें निगल गई अब कहाँ आता है वो पहले जैसा लुत्फ़ इन घी की चुपड़ी हुई रोटियों मे जो कभी आता था उन रूखी सूखी रोटियों मे जो मिलती थी ममता की छाँव मे बैठ कर ©Parasram Arora ममता की छाँव .......
Shashi Bhushan Mishra
लड़खड़ाते पाँव देखे, ममता की छाँव देखे, डगमगाते कदमों तले, उम्र के पड़ाव देखे, शहर के इस शोर में, छटपटाते गाँव देखे, राह की पेचीदगी में, कसमसाते दाँव देखे, चमचमाती गाड़ियों में, श्वान के भी ठाँव देखे, झिलमिलाती चाँदनी में, दिलजलों के घाव देखे, कन्हैया के दिल में गुंजन, सुदामा के भाव देखे, लड़खड़ाते पाँव देखे, ममता की छाँव देखे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ममता की छाँव देखे#
ankit saraswat
किसी रोज़ छॉंव की तलाश में जाना पडेगा आसमान में, धरती पर जब पेड़ ही ना होंगे, छाँव कहा से लाओगे।। #अंकित सारस्वत# #छाँव की तलाश में
Parasram Arora
मैं छाँव छाँव चला था अपना बदन बचा कर ताकि रूह को एकखूबसूरत सा जिस्म दे सकू न कोई सिल्वट न दाग़ कोई न धूप झूलसाऐ न येचोट खाये न जखम छुए न दर्द पहुचे ©Parasram Arora छाँव छाँव.....
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की व्यक्ति जब असफलता का सामना करता है तो मंदिर -मस्जिद -चर्च -गुरूद्वारे भागता है -माथा टेकता है -सजदा करता है ,जैसे ही सफलता प्राप्त करता है उसे ये गुमान हो जाता है की ये तो मेरी निति -योजना और मेहनत का परिणाम है और यही उसका सबसे बड़ा भरम होता है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जरुरी नहीं की अगर आप किसी से शिद्दत से प्यार करते हैं तो वो भी आपको उसी दीवानगी से प्यार करे क्यूंकि आपके लिए प्यार हर परिस्तिथि में एक सा है और उसके लिए प्यार हालातों के हिसाब से ...,आपका प्रेम बेवकूफी भरा दिल से है और उसका प्यार समझदारी से भरपूर प्रैक्टिकल है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब वृक्ष पर पतझड़ की छाया आती है तो वृक्ष पत्तों को भी गिरा देता है वो उसे बोझ लगते हैं ,कुछ यही हाल जिंदगी का है जब आपके जीवन में गलत समय -असफलता आती है तो आपको भी अलग कर दिया जाता है -छिटका दिया जाता है क्यूंकि अब आप भी बोझ ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की क्यों ना हम वृद्धाश्रम एवं अनाथालयों को एक जगह ही कर दें जिससे बुजुर्गों को बच्चे और उनका साथ मिल जाये और बच्चों को एक घने वृक्ष की छाँव ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 🔯🔱 विकास शर्मा "शिवाया"🔱 🌈🚩🔯 ⚛️🔯☸️🪔🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' एक घने वृक्ष की छाँव