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MANISH PRAJAPAT
यह कहानी मधुबन गांव में रहने वाली उस सुमन की है जिसकी उम्र मात्र बारह साल थी, वह कभी स्कूल नहीं गयी, फिर भी वह कुछ ऐसा करने का सपना देखती थी जिससे वह पूरी दुनिया में मशहूर हो जाये सुमन के गाँव वाले हमेशा उसे पगली कहते थे क्योंकि वह कभी स्कूल नहीं गयो फिर भी वह जिन्दगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखती थी। गाँव वाले सुमन के पिता जी पर इस बात को लेकर दबाव बनाते थे कि सुमन पढ़ी-लिखी नहीं है, इसलिए जल्द से जल्द इसकी शादी कर दो वरना आगे चलकर बहुत मुश्किल होगी सुमन के पिता जी गाँव वालों की बात से पूरी तरह सहमत थे पर सुगन सहमत नहीं थी उसे तो शादी नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम कमाना था कुछ ऐसा करना था जिससे उस पर लोगों को बेटी होने पर गर्व होता तुमन के लिए यह सब कुछ करना आसान नहीं था । गाँव वाले इस बात से बेखबर थे कि वाकई सुमन करना क्या चाहती थी। यह किसी को इस बारे में नहीं बताई थी कि वह एक अच्छी चित्रकार है, उसे बचपन से चित्र बनाना अच्छा लगता था शायद यही वह वजह थी कि उसका मन पढ़ने में नहीं लगता था और इस वजह से वह कभी स्कूल ही नहीं गयी उसके पिता जी को उसका चित्र बनाना अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने कई बार सुमन के बनाए गए चित्र को आग के हवाले कर दिया था, फिर भी सुमत हार नहीं। मानी, वह चित्रकारी करती गयी और करती गयी। जब सुमन नहीं मानी तो उसके पिता जी ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया था। एक दिन सुमन अपने कमरे में चित्र बनाने में इतना खोई हुई थी कि उसके पिता जी उसके पास जाकर खड़े हो गये, उसे बिल्कुल ऐहसास नहीं हुआ " तो सुमन तुम नहीं मानोगी " सुमन के पिता जी ने कहा, "यह बेवकूफी बाला काम तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाला है। ©MANISH PRAJAPAT कभी हार नहीं मानूंगी #alone
दि कु पां
" तो मांग मैरी सजाना तुम" . . . पूरा कैप्शन में पढ़े... नहीं चाहती धरो पक्ष मेरा तुम पर न होना नेकी पर तेरी बलिदान मुझे जो कर सको न्याय मुझसे तुम तो ही मैरी मांग सजाना तुम कि करूं जो करवा मैं तो
Jyotshna Rani Sahoo
## मुझसे प्यार उतना ## Read caption जब मैं प्यार ना करूं तुमसे तुम फिर भी प्यार करना भटकता ये दिल जो ना ठहरे कहीं यार मेरे लिए थोड़ा रुकना पड़े तो रुक जाना क्या तुम कर सकते हो
Pramod Kumar
yogesh atmaram ambawale
हर चुनौती कबूल है मुझे इस खुले आसमान के नीचे| हार ना मानूंगी मैं कभी कितने भी बड़े तूफान आए पीछे| डरती नहीं मैं कभी सदा डटकर खड़ी रहती हूं| चुनौती तो चुनौती है छोटी बड़ी कहा मैं देखती हूं| ❤प्रतियोगिता-654❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 187👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे
Kulbhushan Arora
सुधा दी, आपका पत्र मिला देखो ना आपने लिखवाया है *सांझ* ने लिखी आपकी भावनाऐं पत्र अनुशीर्षक में पढ़िए मेरे प्रिय भाई अनु,, तुम्हारा पत्र मिला..सालों बाद तुम्हारा लिखा पत्र पढ़कर आँखों में चमक और लबों पे मुस्कान छा गयी..और जब पढ़ा कि
Bani dubey
pita ka dard एक_पिता_का_दर्द # एक_छोटी_सी_कहानी ....... आज रानी लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से कहने लगी पापा मैंने अपनी प