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राहुल जगताप
तिला चंद्र लपवायचा होता अन् मला सुर्य हा खेळ नव्हता बरं ! नात्यांना ग्रहण लागू नये म्हणून केलेला प्रेम भावनेचा प्रयत्न.. © राहुल जगताप #सुर्य
swarr
उगते सूर्य को कोई कैसे रोक सकता है। जो रोशन होजाते है वो अंधेरों से कहा डरते है। जब उम्मीद की किरण जागती है तो अंधेरे भी दूर हो जाते है। जो आगे बढ़ना सीख जाते वो राहों से पीछे कहा हटा करते है। सुर्य।
CK JOHNY
सतगुरु हैं सुर्य समान दूर करें अज्ञान दूर करें अज्ञान भर्म वहम टिक न पावें नाम सुमिरन बख्श बुद्धि प्रखर बनावें। सतगुरु कृपा से जब बुद्धि प्रखर हो जाई काल की शैतानी ताकत कबहूँ निकट न आई। भवसागर से पार पहुँचे अपने मुकाम सतगुरु हैं सूर्य समान दूर करें अज्ञान। सतगुरू सुर्य
Rajshi Raj
वो मुझे खुशियों को मुकमल रखने का हुनर सिखा रहे थे। अरे और सुनो, वो मेरे रंगिन आसमां को सफेद बता रहे थे। एक वो मेरा साथ क्या छोड़ा सब मुझ मे मेरी कमियां बता रहे थे। शायद उन्होंने उगते हुए सूरज को देखते ही उसके कमियां बता दिए, जलते हुए सुर्य का उन्होंने हुनर तो देखा ही नहीं जलता हुआ सुर्य
Rahul Keshwanshi
तेरे बिना ये संसार लगता है बड़ा अंधकार जी करता है राहुल का कि करुं तेरा कुछ अलग बखान पर थोड़ी सहम सा जाता है तेरी महानता में खो जाता है कि कैसे करूं तेरा गुनगान जब तेरी रोशन भरी किरणें आतीं हैं आकाश को चिरतें दिल को सुकून दे जाती है जग में उजाला फैलाती है बड़ा अनमोल है तू भाष्कर जो करता है पूरी पृथ्वी को रोशन देता है विटामिन डी का पोषन उगते वक्त तेरा रूप सलोना भा जाती है सबके मन को लाल संतरे सा लगता है तू चमकाता है सबके तन को बडी अनोखी है तेरी कहानी कहीं धूप-छांव तो कहीं बंदरिया मौसम की ये रूप सुहानी हमें अचंभित कर जाती है हे दिवाकर सदा ही तू ऐसे रहना राहुल का है दिल से कहना सदा हमें उजियारा करना कवि-राहुल कुमार ©Rahul Kumar ## डुबते हुए सुर्य
Mahendra Dhivare
उगवता सूर्य हा आयुष्यात कधी निघून जातो तो कधी कळतच नाही. पण मावळता सुर्य हा मात्र आयुष्य भर कळत ही असतो आणि लवकर मावळत ही नसतो. Writer By Mahendra Dhivare ©Mahendra Dhivare उगवता सूर्य कधी मावळतो तो कळताच नाही. #Walk
Jaswant Kumar DJ
सुर्य उदय #photography #nojotonatural
MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar Pandey "आज सुर्य उदय और सुर्य अस्थ तभी होगा जब मेरे नाम की आवाज इस दुनिया में गूंजेगी".। #आज सुर्य उदय और
anand tomar
रोज़ सुबह एक कहानी की शुरुवात की जाती है, और शाम होते होते कहानी की आखरी पंक्ति लिखी जा रही होती हैं। प्रातः सूर्योदय की किरण के साथ नईं आशाएं जन्म लेती है, और शाम सूर्यास्त के साथ कई आशा की किरण की समाप्त हो जाती हैं। नई किरणे लोगों को अपने काम से जोड़ती है, जाती हुई किरणे लोगो को पुनः अपने आश्रय स्थल तक पहुंचा देती हैं। नई किरणे में पशु पक्षी भी अपने भोजन की तलाश जारी कर देते है, जबकि शाम की किरणे पुनः उन्हें घर ले आती है। पेड़ पौधे भी नई किरण के साथ अपना भोजन तैयार कर मानव जीवन युक्त गैस देते है, शाम की किरणे उनको भी सुला देती हैं। इस प्रकार यदि देखा जाए तो नई किरण हमेशा नवजीवन और सकारात्मकता प्रदान करती है जबकि जाती हुई किरण कई आशाओं को समाप्त कर,कई चीजों को समाप्त कर देती है। ©anand tomar #Sunrise सुर्य किरण की महिमा
Jitendra Kumar
सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 121° से 132° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की एकादशी और 301° से 312° तक कृष्ण एकादशी रहती है। एकादशी को ‘ग्यारस या ग्यास’ भी कहते हैं। एकादशी के स्वामी विश्वेदेवा हैं। एकादशी का विशेष नाम ‘नन्दा’ है। एकादशी सोमवार को होने से 'क्रकच योग' तथा 'दग्ध योग' का निर्माण करती है, जो शुभ कार्यों (व्रत उपवास को छोड़कर) में वर्जित है। रविवार तथा मंगलवार को एकादशी मृत्युदा तथा शुक्रवार को सिद्धिदा होती है। एकादशी की दिशा आग्नेय है। चन्द्रमा की इस ग्यारहवीं कला के अमृत का पान उमा देवी करती है। भविष्य पुराण के अनुसार एकादशी को विश्वेदेवा की पूजा करने से धन-धान्य, सन्तति, वाहन, पशु तथा आवास आदि की प्राप्ति होती है। एकादश्यां यथोद्दिष्टा विश्वेदेवाः प्रपूजिताः। प्रजां पशुं धनं धान्यं प्रयच्छन्ति महीं तथा।। विशेष – एकादशी तिथि बृहस्पति ग्रह की जन्म तिथि है। ©Jitendra Kumar सुर्य से चन्द्रमा का अन्तर