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Saurabh Kumar
ऐ पुरुष प्रधान समाज, तुने क्या रीत बनाई ! खुद अपनी हाल कांप रही हैं, पुत्री का पिता बनकर ! गर जो तू , सिर्फ़ स्त्री चाहता, जीवन संगनी ! तेरी ये हालत न होती , पुत्री का पिता बनकर ! ~ आनंद ( सौरभ कुमार ) #पितृसत्ता
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कहते हैं कि पढ़ने लिखने से क्या होता है? मैं बताती हूं कि क्या होता है। एक पढ़ी लिखी स्त्री, अपनी पूर्वज के अंधविश्वास आधारित धर्म को बड़े गर्व के साथ तर्कों से पोषित करने लगती है। बुढ़िया अपने जमींदार के जूते सीधे करती थी, जवान औरत जमींदार के बगल में बैठकर साथ में मनुवाद के नारे लगा रही है। इससे ज्यादा और कितना स्त्री सशक्तिकरण आपको चाहिए? #मनुवाद #स्त्री_सशक्तिकरण #ब्राह्मणवाद #पितृसत्ता #InternalizedMisogyny
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एक मां की दो बेटियां थीं. एक थी संस्कारी और दूसरी थी विद्रोही. मां ने सोचा कि विरासत में उन्हें क्या दूं? एक तरफ़ मां के हज़ार टूटे सपने थे और दूसरी तरफ़ था उसके जीवन भर के अनुभवों का निचोड़. तो बहुत सोचने-विचारने के बाद मां एक निष्कर्ष पर पहुंची. एक की झोली में उसने लक्ष्मी रखी और दूसरे को दी सरस्वती. यानी एक ने पाया उन सपनों के पूरा होने का वरदान और दूसरे ने पाया अनमोल ज्ञान. मां को पितृसत्ता से बैर नहीं बस अपनी क़िस्मत से रंज था. सारी उम्र पति की मुहब्बत को तरसती रहीं. इसलिए पहली को दिया पति प्रेम का आशीर्वाद और दूसरी से कहा कि तुम मोहब्बत को भूल जाओ और पहले सहनशील होना सीख जाओ. स्त्री हो तो स्त्री को दुःख पाना ही होगा, मोहब्बत पाने के लिए खुद को पददलित करना ही होगा. कुछ इस तरह मां ने अपना कर्त्तव्य पूरा किया. पितृसत्ता की चौकीदारी के लिए अपनी एक बेटी को थानेदार नियुक्त किया और दूसरी को उसका मुजरिम घोषित किया. अब मां भी संतुष्ट है और दोनों बेटियां अपनी अपनी जिंदगियों में ठीक-ठाक व्यस्त हैं. बड़ी बेटी अपनी भूमिका के साथ बेहद खुश है और दूसरी पितृसत्ता से लड़-लड़कर बुरी तरह पस्त है. और पितृसत्ता.. वो तो मदमस्त है. #YQbaba #YQdidi #पितृसत्ता #मां #पितृसत्ता_की_पहरेदार
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शादी महज़ दो लोगों या दो परिवारों का मिलन नहीं है। शादी एक पुरुष के चरित्र पर लगे हुए दागों की सफाई करती हुई बीवी है। #दिखावा #शादी #सफेदपोशी #चरित्रहीन #पितृसत्ता
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चल राख, तू उड़ और डाह कर जलती हुई लकड़ियों से। लकड़ियां डाह करें सूखी टहनियों से। टहनियों को हरी भरी लकड़ियों से ईर्ष्या है और पेड़ को लगता है कि वो सबसे कोने कितना अकेला है। इस आग में कितना सौंदर्य बसा है! उसकी लपटें थिरकती हुई जान पड़ती हैं! जल तू भी जल! जल न पाने का दुःख लेकर जल! जल बस जल! #स्त्रीवाद #औरतें #जलन #पितृसत्ता #आग #सौंदर्य #राख
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सौंदर्य मुक्त किस्म का होना चाहिए। ऐसा न हो कि उस पर किसी एक किस्म के सौन्दर्य का लबादा हो, जिसे सामने वाला अपनी कंडीशनिंग या सुविधानुसार किसी पर आरोपित करे। जितनी उस चेहरे पर ममता दिखे, उतना ही आकर्षण, उतना ही आत्मविश्वास और उतनी ही उसमें स्वायत्तता झलके। अपनी महत्ता पहचान सकने का गर्व भी दिखाई दे। उसकी आंखें इतनी सुंदर हों, जितनी आजादी के सपने में होती हैं। और मुस्कान ऐसी जो सौंदर्य के सभी मानकों पर तिरछी निगाह डालते हुए उस पर चोट करें। ऐसा सौंदर्य सामुदायिक होना चाहिए। #YQbaba #YQdidi #Beauty #सौंदर्य #पितृसत्ता #BeautyStandards #Women
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में छिपी है तुम्हारी मिलीभगत वरना पितृसत्ता से मिलने वाली रोटियां तो तुम भी खा रहे हो... तुम्हारी चुप्पी... #पितृसत्ता #Sexism #तुम्हारीचुप्पी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi