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Somesh Singh Pal Orai
Gaurav Kumar Sagar
"ishq" के word में पहले आता आई (i), इसी ने मचाई है पूरे World में तबहाई। ©Gaurav Kumar Sagar "ishq" के word में पहले आता आई (i), इसी ने मचाई है पूरे World में तबहाई। #Trees #Quote #Love #ishq #SAD
Shabdkarita (शब्दकारीता)
इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके जिस ने ये पहनाई है उस दिलदार के सदके उस ज़ुल्फ़ के क़ुरबान लब-ओ-रुक़सार के सदके हर जलवा था इक शोला हुस्न-ए-यार के सदके जवानी माँगती ये हसीं झंकार बरसों से तमन्ना बुन रही थी धड़कनों के तार बरसों से छुप-छुप के आने वाले तेरे प्यार के सदके इस रेशमी पाज़ेब की ... जवानी सो रही थी हुस्न की रंगीं पनाहों में चुरा लाये हम उन के नाज़नीं जलवे निगाहों में क़िस्मत से जो हुआ है उस दीदार के सदके उस ज़ुल्फ़ के क़ुरबान ... नज़र लहरा रही थी ज़ीस्त पे मस्ती सी छाई है दुबारा देखने की शौक़ ने हल्चल मचाई है दिल को जो लग गया है उस अज़ार के सदके इस रेशमी पाज़ेब की ... इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके इस रेशमी पाज़ेब की झंकार के सदके जिस ने ये पहनाई है उस दिलदार के सदके उस ज़ुल्फ़ के क़ुरबान लब-ओ-र
#maxicandragon
#आंदोलन ये आंदोलन क्यो आते है कुछ नेता तो कुछ बापू कुछ भैसासुर बन जाते है डांडी आई GandHi आया भारत छोडो ने बोस छुडाया असहयोग के सहयोग से, जलियावाला कांड कराया जेपी से निकला था लालू, बेटा खोजे सोने का आलू लोकपाल का कुंभकर्ण है सोता, भैसासुर बनबैठा एकलौता अब जागे कुछ किसान वाले वाड्रा पप्पू बडे रखवाले मुद्दा बस समझ यही है आता हिन्दुस्तान इन्हे नही भाता लूट खसूट कुछ भी करके देश के टुकडे इन्हे कराना छोटे छोटे देश बनाकर शरीया तंत्र स्थापित करवाना रुको जरा संभल के चलना हिन्द जमी उपजाऊ है इसे फकीर तुम न समझना ये तुमसे बडा कसाई है ये कैसी जिद मचाई है किस कारण ये भीड लगाई है खेत है तो Khaliaan चाहिए कौन है जिन्हे khalistan चाहिए कोई नही, ये जयचंद है ज्यादा नही बस चंद है ढूंढ ढूंढ इन्हें मार गिराओ भारत माँ और संस्कृति बताओ #SadharanManushya ©#maxicandragon #आंदोलन ये आंदोलन क्यो आते है कुछ नेता तो कुछ बापू कुछ भैसासुर बन जाते है डांडी आई GandHi आया भारत छोडो ने बोस छुडाया असहयोग के सहयोग से,
Guruvirk
वह शोर और चीखे सुन कर बाहर निकल के देखता है हर तरफ हाहाकार मची है, गाँव के लोग ईधर उधर भाग रहे हैं, गाँव के मुख्य मार्ग वाली दुकाने और घर आग से जल रहे हैं, यह देख बच्ची दुकानों की तरफ भागने लगती है पर.. !!"Full read in caption"!! Guru virk ✍©️ वह शोर और चीखे सुन कर बाहर निकल के देखता है हर तरफ हाहाकार मची है गाँव के लोग ईधर उधर भाग रहे हैं, गाँव के मुख्य मार्ग वाली दुकाने और घर आ
Anamika Nautiyal
चीन की प्रगति और उसका भविष्य........ सोवियत संघ के पतन के बाद पेंटागन के एक उच्चाधिकारी ने कहा था कि अब हमारे स्तर का कोई शत्रु दुनिया मे न
Ek villain
फागुन में होली का पर्व अभी दो दिन पूर्व संपन्न हुआ है मगर इस मौसम का रंग तो चैत मास तक महसूस किया जाता है स्वाधीनता की 50वीं सालगिरह के अवसर पर हम संगठित रूप से संबंध कुछ ऐसे सज्जनों को अवलोकन कर सकते हैं जिनके कारण भारतीय पर्व और अनुष्ठान की व्यापकता का जयघोष होता राय संगीत विद्वान और उनकी चोली तैयार करने में सिद्धांत पर इरादे वाले सारे लोग संग्रह के मंत्र की ऊंची अटरिया रंगभरी समय यादव के जाने वाले यह संगठन लोकगीत के विभिन्न विधाओं में ऐसा प्रतिदिन है जिसमें सारे हमारे उत्तर प्रदेश के विभिन्न मांगलिक अवसरों के गीतों का समय क्वेश्चन और संकलन दिख जाता है जिनके स्वर लिपियां भी साथ में दर्ज की गई है देखने वाली बात यह भी है कि पूर्व में इस तरह के ढेरों संकल्पम बनते रहे हैं जिनसे रामनरेश त्रिपाठी की कविता को मोदी विद्यानिवास मिश्रा के चंदन चेक तथा विद्या बिंदु सिंह का ढोलक रानी मेरी नींद उठाया यू सिमरन किए जा सकते हैं ऊंची अटरिया रंगभरी जब पहली बार 1970 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अभिनय से प्रकाशित हुई थी तब की भूमिका लिखते हुए जयदेव सिंह ने उचित ही लक्ष्य किया था कि काव्य की दृष्टि से सहज स्वभाव की धारा इन लोक गीतों पर पर हुई है वह अनुपम है स्वर और ले की दृष्टि से भी यह गीत बहुत ही मनमोहक है इन गीतों में हमारे अभिजात संगीत की बीज का भी दर्शन होता है ©Ek villain #बृज में हरी हो रही मचाई #Holi
SHAYAR (RK)
ज़िन्दगी पर भारी, कोरोना ने मचाई ऐसी तबाही मज़दूर को मज़दूर न कहा जाए,तो बेहतर होगा उसका धर्म भी बता दिया जाए,तो बेहतर होगा अभी तक न अल्लाह आया,न राम अाए बचाने को इंसानियत और शर्मसार हो जाए,तो बेहतर होगा किसे ठहराओगे इनकी मौत का ज़िम्मेदार ? इसे खुदकुशी बता दिया जाए,तो बेहतर होगा हो रही पैसों की बारिश सत्ता की ओर से अब लाशों को न गिना जाए,तो बेहतर होगा क्या चुकाओगे तुम उसी मौत की कीमत ? एक नई सड़क बना दी जाए,तो बेहतर होगा ख़ामोशी ही एक अकेला रास्ता है उसका कौंन सुनेगा उसकी ? मर ही जाए, तो बेहतर होगा ज़िन्दगी पर भारी, कोरोना ने मचाई ऐसी तबाही