दुआ है कि तुम जिस राह से घर को जाओ,
गली तुम्हे भी वही जाए
सड़क मेरी भी वहीं से गुजरे,
जिस खिड़की से सूरज तुम देखो,
चांद मेरा भी वही से निकले,
दुआ है रब्ब से बस यही,
सुबह मेरी तेरे दीदार से शुरू हो,
और रात तेरे बगल में तेरे ही बाहों के घेरे में गुज़रे, Tere mere sapne