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Mohd Altaf
अब तो लगता है हे कि आ जाएगी बारी मेरी किसने दे दि मेरी आँखो को सुपारी मेरी अल्ताफ अल्ताफ
malay_28
प्रीत जिया में ज्यों बाती दिया में नयन ज्योति में अब राह निहारूँ ! आँचल ढलके उठे हूक हिया में आँगन चुप है किसको पुकारूँ ! फूल व्यथित हैं मन बगिया में सपने प्रणय के मैं कैसे सँवारूं ! ©malay_28 #प्रीत जिया की
Ankur Goswami
फूल के साथ-साथ बाग में बबूल भी होंगे उसने क्यों की बेवफाई उसके अपने उसूल भी होंगे #अल्ताफ राजा- अंकुर गोस्वामी
@tul maurya(IT)
खुलकर तारीफ भी किया करो , दिल खोल हंस भी दिया करो , क्यों बांधकर खुद को रखते हो , पंछी की तरह भी जिया करो ! ##पंछी की तरह #भी जिया #करो @@
Shashi Bhushan Mishra
कासे कहूँ मैं बात जिया की, निंदिया नदारद याद पिया की, रात निगोरी बैरन मोरी, दर्द बढाए मोरे हिया की, तड़पे जल बिन ऐसे मछली, राम बिना जो हाल सिया की, विचलित मन बेचैन फिरत हैं, मिलनातुर है शलभ दिया की, बरसे लोर कोर दृग सूजत, देत गवाही नित तकिया की, हृदय पुकार पुकार बुलावे, चैन न आबत दिन रतिया की, 'गुंजन' मन में कृष्ण बिराजे, खेलत फाग रंग रसिया की, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #कासे कहूँ मैं बात जिया की#