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Siddharth kushwaha
अखण्ड भारत का पुनः निर्माण हम सिर्फ धम्म मार्ग पर चल कर ही कर सकते हैं। ©Siddharth kushwaha #अखण्ड_भारत #पुनःनिर्माण #धम्म #कानपुर #भारतवर्ष
Bharti Vibhuti
Pooja Nishad
उम्मीद हमारा 'पालना' है, जिज्ञासा हमारी जननी ; हम पुनः शिशु होते हैं स्वयं के पुनर्निर्माण में ! — % & ᵁᵐᵉᵉᵈ ʰᵃᵐᵃʳᵃ ᵖᵃᵃˡⁿᵃ ʰᵃⁱ ᴶⁱᵍʸᵃˢᵃ ʰᵃᵐᵃʳⁱ ʲᵃⁿ'ⁿⁱ ʰᵘᵐ ᵖᵘⁿᵃʰ ˢʰⁱˢʰᵘ ʰᵒᵗᵉ ʰᵃⁱⁿ ˢʷᵃʸᵃᵐ ᵏᵉ
Maywar Masto
मेरे प्यारे शिव हमेशा मुझसे कहते हैं: हाय, मेवार डरो मत मैं तुम्हारा पुनर्निर्माण करूंगा अपने खंडहरों पर..!! © मेवाड़
पूजा निषाद
उम्मीद हमारा 'पालना' है, जिज्ञासा हमारी जननी ; हम पुनः शिशु होते हैं स्वयं के पुनर्निर्माण में ! — % & ᵁᵐᵉᵉᵈ ʰᵃᵐᵃʳᵃ ᵖᵃᵃˡⁿᵃ ʰᵃⁱ ᴶⁱᵍʸᵃˢᵃ ʰᵃᵐᵃʳⁱ ʲᵃⁿ'ⁿⁱ ʰᵘᵐ ᵖᵘⁿᵃʰ ˢʰⁱˢʰᵘ ʰᵒᵗᵉ ʰᵃⁱⁿ ˢʷᵃʸᵃᵐ ᵏᵉ
Manas Raj Singh
पुनःनिमार्ण मैं धीम पड़ा, मैं शांत हुआ | अनंत जग शून्य निशांत हुआ || मैं भूत अब फ़िर वर्तमान हुआ | मेरा फिर शून्य से अनंत पुनःनिमार्ण हुआ || -Manas Raj Singh{A Zero And A Infite} #gif #पुनःनिर्माण। ।।अनंत व शून्य का सफर।। #Rebirth Journey From #Infinite to #Zero and back #Infinte Writer-Manas Raj Singh
Abhay Bhadouriya
एक ऐसी दुनिया / कविता जब प्रलय के बाद समग्र सृष्टि का होगा पुनर्निर्माण तब मैं चाहता हूँ एक ऐसी दुनिया जहाँ सपनों को उड़ने
Sangeeta Patidar
साँवरिया! कुछ ऐसी तान सुना दे, मन में सोयी, राधिका को जगा दे। प्रेम-रूपी ईश्वर से, रहो मेरे मन में, रौशनी से, छाए अँधेरे को मिटा दे। दुनिया का मोह छोड़, तेरी हो रहूँ, तू ही है मेरा संसार, सबसे मैं कहूँ। देकर अपने चरणों में मुझे जगह, अपनी राह अब मुझको दिखा दे। खोके सुध-बुध मैं तेरे पीछे आऊँ, ढाई-आखर में, मैं रच-बस जाऊँ, तेरी चाहत के सिवा कुछ चाहूँ ना, तेरा होकर रहने का राज़ बता दे। गढ़ ये भाग्य अपनी प्रेम-शैली से, जन्म-मृत्यु पाठ लगते, पहेली से। तेरी बाँसुरी का सुर बन सके 'धुन', ऐसी एक सरगम, उसको सिखा दे। Rest Zone 'काव्य पुनःनिर्माण' साँवरिया कुछ ऐसी तान सुना दे, मन में सोई राधिका को जगा दे। उर व्याकुल ना हो मेरा कभी भी, मन में मेरे वृंदाव
Vedantika
रह गई कुछ ख़्वाईशात अधूरी दिल को यह मलाल आज भी है चुप रह गए हम ग़म सहते हुए छाई रही खामोशी उनकी वहाँ सोच कर दिल मलूल आज भी हैं कटते नहीं रास्ते तन्हाई के अब वापसी के रास्ते पर निगाहें मेरी करती इंतज़ार तेरा आज भी हैं कोशिश करती रही दुनिया हमें समझाने की हज़ार बार क़भी नकार कर उसकी रवायत मैं चली आई थी तेरे पीछे तुझ तक ले जाने वाले एक रास्ते की तलाश आज भी है प्रिय Raag की एक अत्यंत सुंदर कविता का पुनर्निर्माण... जो की थी क़भी तुमसे वो मोहब्बत आज भी हैं तुझे देख के बस तुझे ही देखे निगाहों में वो
Yashpal singh gusain badal'
जब आप समझने लगे हैं केवल आप ही हमेशा सही हैं या आप ही श्रेष्ठ हैं तब आप दुनिया के खतरनाक व्यक्ति बन जाते हैं क्योंकि तब आपके पास और लोगों के लिए संभावनाएं खत्म हो जाती हैं तब आपकी नजर में अन्य व्यक्ति केवल गलत और निकृष्ट होंगे । क्योंकि तब आप मान लेते हैं कि आप को ही सम्पूर्ण ज्ञान है तब आप उस भरे हुए घड़े की तरह हो जाते हैं जो पूर्ण रूप से भरा हुआ है और उसमें एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं जा सकता । इसी तरह आपके स्वयं को सर्वज्ञानी मान लेने के बाद आपको न तो समझाया जा सकता है और न ही कुछ सिखाया जा सकता है और समझ लीजिए यही आपका अंत भी है अब आप विकसित नहीं हो सकते ,ये ठीक उसी तरह है जैसे हमारी कोशिकायें अनंत बार पुनर्निर्मित होते होते अंततः अपनी शक्ति खो देते हैं और उनका पुनर्निर्माण रुक जाता है और अंततः व्यक्ति मर जाता है। जैसे एक बांध अनंत जल राशि को समेटने के बाद खुद को ही तोड़ लेता है और अन्य लोगों के लिए भी विनाशकारी बन जाता है ।इसलिए यदि आपको सदा स्फूर्ति और ऊर्जा से परिपूर्ण रखना है तो खुद को खाली रखिये । उसमें सभी के लिए बल्कि हर चीज के लिये जगह रखिये । आप सर्वज्ञानी हैं ये केवल आपका भ्रम है । समझ लीजिए अपूर्णता ही जीवन है । पूर्णता तो मृत्यु है। लेखक-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' #Walk जब आप समझने लगे हैं केवल आप ही हमेशा सही हैं या आप ही श्रेष्ठ हैं तब आप दुनिया के खतरनाक व्यक्ति बन जाते हैं क्योंकि तब आपके पास और लो