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Monika
चांदण्याची ही इतकी सुदंर आहे रात्र पण त्यात मन काही माझे रुलत नाही कस करावं प्रेम तुझ्या वर हेच मला कळत नाही. तू माझा असणं म्हणजे जला परी क्षणभर सोबत तर नंतर फसगत तू जवळ नसताना वेळ काही सरत नाही. कस करावं प्रेम तुझ्या वर मला खरच कळत नाही. सवय लागली तुझ्या वर प्रेम करण्याची सुटता सुटेना तुझ्या शिवाय जगणं मला मला काही जमेना कस करावं तुझ्या वर प्रेम खरच मला कळत नाही मागितली होती तुझ्या कडे आयुष्भराची साथ, पण तू सोडून गेला माझ्या हातातील तुझा हात आता तुझ्या कडे माझे काहीच मागणे नाही तुझ्या शिवाय जगणे हे खरच जगणे नाही कस करावं तुझ्या वर प्रेम खरच मला कळले नाही ©Monika कस करावं प्रेम तुझ्या वर खरच कळत नाही
Mohd Tasleem
आग के पास कभी मोम को लाकर देखू हो इजाजत तो तुझे हाथ लगा कर देखू दिल का मन्दिर बडा बिरान नजर आता है सोचता हूँ तेरी तस्वीर सजा कर देखू दिल वर दिल वर
ganesh suryavanshi
त्रास या शब्दात पण फरक आहे.. 1)त्रास देण म्हणजे मानशिक व शारिरीक प्रताडना 2)दूसरा त्रास म्हणजे स्वता गप्प राहून स्वताला त्रास देणं व जी व्यक्ती वर प्रेम आहे त्या व्यक्तीवर नाराज होणं म्हणजे मूद्दामवून त्रास देणं किवा ignorकरणं त्याला प्रेम म्हणतात.. ©ganesh suryavanshi त्रास सहन करणं त्रास देणं म्हणजेच त्या व्यक्ति वर प्रेम #beinghuman
Manish Salve
प्रेमा वर कविता करायला कुणावर तरी प्रेम करावे लागते, त्याला सांगितले नसले तरी मनातून प्रेम अनुभवावे लागते.
संजय श्रीवास्तव
**************************************** वर दे !माँ भक्ति से मन भर दे दुर्गुण से दूर हमें पावन कर दे शैल पुत्री मां तु पहाड़ो वाली चंडी बन असुरों का वध कर दे वर दे !मां भक्ति से मन भर दे मां शारदे तुम दुर्गा विंध्यवासिनी हम भक्तों के सब दुख को हर.दे वर दे ! माँ भक्ति से मन भर दे अद्भुत छटा लाल चुनर वाली जीवन में खुशियोँ के रंग भर दे वर दे ! माँ भक्ति से मन भर दे जगजननी जगदंबा शेरा वाली वाणी में बसो मेरे ऐसा स्वर दे वर दे !माँ भक्ति से मन भर दे संजय श्रीवास्तव बुरहानपुर (म•प्र•) #साहित्य_सागर वर दे
Parasram Arora
आसमान बेचैन था और निरंतर कुछ सोच रहा था बादलो ने पूछा भी था कि क्यो वह इतना चुप था आसमान ज़मीन क़ो देख करचिंतित था.... क्योंकि वह जवानी की दहलीज़ लांघ चुकी थी ... क्योंकि ज़मीन क़ो वो अपनी बेटी मानता था... और इसिलए वो चिंतित भी था बादलो ने उसकी चिंतित दशा देख कर उसे सुझाव दीया कि कोई योग्य वर ढूंड कर इस कुंवारी ज़मीन के हाथ पीले कर दे.... आसमान भी इस सुझाव से सहमत हो गया था इसलिए उसने सूरज और चाँद के पास ज़मीन के व विवाह हेतु प्रस्ताव भेज दिया लेकिन सूरज ने यह कह कर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि ये ज़मीन खून से रंग चुकी है और प्रदुषन्न से विषाक्त भी हो चुकी है चाँद ने भी इस प्रस्ताव क़ो ठुकराने के कारण बता दीये कि ये धरती अपना शिल्प खो चुकी है. कि ये धरती अपने संस्कार भूल कर दिशा विहींन हो चुकी है... कि विभ्र्म और द्वन्द ग्रस्तता के कारण ये ज़मीन पथभृष्ट हो चुकी है. इसलिए वो इस ज़मीन के लिए योग्य वर नहीं है ©Parasram Arora योग्य वर
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
सौंपकर अपना चाँद किसी आसमान को... हम जैसॆ दीदा-वर अब भी है ज़मीं पर..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 दीदा-वर