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i am Voiceofdehati

इदं 
       राष्ट्राय
                स्वाहा 🚩 इदं #राष्ट्राय स्वाहा 🚩
#विजयंत_सिंह_सनातनी #yqsnatni #yqsnatnididi Vijayant Singh🔰 
#yqquotes

THE LOVE ARTIST

|| জয় মা কামাখ্যা || || Shri Kamakhya stotra || || कामाख्या स्तोत्र ||❤🙏 जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि । जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमो #Assam #Aadyashakti #jaiaadyashakti #joymaa #AmbubachiMela #kamakhyatemple #maakamakhya

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Vikas Sharma Shivaaya'

शुक्र प्रेम का ग्रह माना जाता है-शुक्र देव की पूजा करने से प्रेम विवाह की संभावनाएं प्रबल होती है-प्रेम का पूरा मामला शुक्र ग्रह पर र्निभर क #समाज

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शुक्र प्रेम का ग्रह माना जाता है-शुक्र देव की पूजा करने से प्रेम विवाह की संभावनाएं प्रबल होती है-प्रेम का पूरा मामला शुक्र ग्रह पर र्निभर करता है, शुक्र मजबूत है तो रिश्ते बनेंगे। 

वैसे बहुत कुछ बाकी ग्रहों के शुक्र से मिलन पर भी निर्भर करता है- जीवन में मुख्य रूप से शुक्र ग्रह प्रेम की भावनाओं को प्रदर्शित करता है।

शुक्र देव सामान्य मन्त्र: " ॐ शुं शुक्राय नमः "

शुक्र देव बीज मन्त्र: " ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः "

शुक्र  गायत्री मन्त्र: " ॐ शुक्राय विद्महे , शुक्लाम्बर - धरः , धीमहि तन्न: शुक्र प्रचोदयात "

शुक्र देव वैदिक मन्त्र: " ॐ अन्नात्परिश्रुतो रसं ब्रह्म्न्नाव्य पिबत् - क्षत्रम्पयः सोमम्प्रजापति ! ऋतेन सत्यमिन्द्रिय्वीपानं-गुं -शुक्र्मन्धस्य - इन्द्रस्य - इन्द्रियम - इदं पयो - अमृतं मधु !!"

शुक्र देव पौराणिक मन्त्र: " ॐ हिमकुंद - मृनालाभं दैत्यानां परमं गुरुं ! सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रन्माम्य्हम !!"

शुक्र देव ध्यान मन्त्र : " दैत्यानां गुरु : तद्वत श्वेत - वर्णः चतुर्भुजः ! दंडी च वरदः कार्यः साक्ष - सूत्र - कमंड - लु: !!

विष्‍णु सहस्‍त्रनामम्(एक हजार नाम) आज 89 से 99 नाम 

89	प्रजाभवः	वह जिससे सभी प्रजा आती है
90	अहः	वह जो समय का स्वरूप है
91	संवत्सरः	वह जिससे समय की अवधारणा आती है
92	व्यालः	नास्तिकों को सर्प (वलय)
93	प्रत्ययः	वह जिसका स्वभाव ज्ञान है
94	सर्वदर्शनः	सब देख रहे है
95	अजः	वर्तमान
96	सर्वेश्वरः	सभी का नियंत्रक
97	सिद्धः	सबसे प्रसिद्ध
98	सिद्धिः	वह जो मोक्ष देता हो
99	सर्वादिः	सभी की शुरुआ

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शुक्र प्रेम का ग्रह माना जाता है-शुक्र देव की पूजा करने से प्रेम विवाह की संभावनाएं प्रबल होती है-प्रेम का पूरा मामला शुक्र ग्रह पर र्निभर क

Divyanshu Pathak

💕🐇ज्ञान🐇🐦भक्ति☕☕🍫संस्कार🍵वैराग्य🍵अध्यात्म🍵☕🐦योग💕🐿🐇🐦☕🍫🍵☕🐦 कृष्ण बोले अर्जुन तेरे प्रश्नों का उत्तर मैंने दे दिया है । ज्ञान, ध्यान और क

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इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः!
सर्गेअपिनोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च !!
:कृष्ण बोले-😊
ज्ञान का आश्रय पाकर ही मेरे स्वरूप को जाना जाता है।
ज्ञान के सहारे से ही स्वयं को समझा जाता है ।
ज्ञान प्राप्त करने से ही मेरे स्वरूप को पाया जाता है ।
ज्ञान से ही उत्तपत्ति और विनाश से दूर रहा जाता है ।
गी. अ.-14/02
:
1.ज्ञानार्जन कर स्वयं को जान और मेरे स्वरूप को प्राप्त कर । या
2.मुझ पर पूरी तरह आश्रित हो समर्पण भाव(मन कर्म वचन)से मुझे प्राप्त कर !
जिस रहस्य के बारे में तुमने पूछा वह ये दोनों मार्ग ही तो हैं ।
:
इस रहस्य को मेरे अलावा और कौन जानता है तू जानना चाहता है ना तो सुन -----😊☺
आदिकाल से सूर्य,सूर्य से वैवश्वत मनु मनु से इच्छवाकु,इच्छवाकु से राजऋषियों ने इस ज्ञान को जाना ऋषि ,महर्षि,मनीषियों ने समझा इसी तरह यह ज्ञान परम्परागत तरीके से वितरित होकर अनन्य प्रेम भक्ति से कर्मयोग से पूण्यशील ब्राह्मण,और मुझे समझने की लालसा रखने वाले सभी प्रबुद्धजन के पास स्थित है ।
उनके सानिध् में शिष्य बनकर प्राप्त किया जाता है ।
💕🐇☕🐦☕
 💕🐇#ज्ञान🐇🐦#भक्ति☕☕🍫#संस्कार🍵#वैराग्य🍵#अध्यात्म🍵☕🐦#योग💕🐿🐇🐦☕🍫🍵☕🐦
कृष्ण बोले अर्जुन तेरे प्रश्नों का उत्तर मैंने दे दिया है ।
ज्ञान, ध्यान और क

Aprasil mishra

**************** जीवन का उत्कर्ष कहाँ है, सुधा कहाँ है स्वर्ग कहाँ है? ढूढ़ रहा हूँ पग-पग भू पर, प्रेम दीप्त संसर्ग कहाँ है?? मानवता का अर् #Struggle #world #yqdidi #yqhindi #realityoflife #हरिगोविन्दविचारश्रृंखला

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जीवन का उत्कर्ष कहाँ है,
सुधा कहाँ है स्वर्ग कहाँ है?
ढूढ़ रहा हूँ पग-पग भू पर,
प्रेम दीप्त संसर्ग कहाँ है??

 (अनुशीर्षक अवलोकनीय) ****************
जीवन का उत्कर्ष कहाँ है,
सुधा कहाँ है स्वर्ग कहाँ है?
ढूढ़ रहा हूँ पग-पग भू पर,
प्रेम दीप्त संसर्ग कहाँ है??

मानवता का अर्

Nir@j

#माँदुर्गा #जयमातादी ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1) जय त्वं देवी चामुण्डे ज #nirajnandini

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हम पर अपनी कृपा
 बनाए रखना माँ❤️
🙏🙏🙏🙏 #माँदुर्गा #जयमातादी 
ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1)
जय त्वं देवी चामुण्डे ज

Divyanshu Pathak

अर्गला स्तोत्रम ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी..... । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 1।। जय त्वं देवी चामुण्ड #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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ॐ जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। अर्गला स्तोत्रम

ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी..... ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 1।।

जय त्वं देवी चामुण्ड

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत आज है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प् #समाज

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राधे राधे कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत आज है।
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्

DURGESH AWASTHI OFFICIAL

वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते | प #विचार

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वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है ।
वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 
इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते |
पिबा त्वस्य गिर्वण : ।। (ऋग्वेद ३/५ १/ १ ० )
अर्थात् :- हे ! राधापति श्रीकृष्ण ! यह सोम ओज के द्वारा निष्ठ्यूत किया ( निचोड़ा )गया है ।
वेद मन्त्र भी तुम्हें जपते हैं, उनके द्वारा सोमरस पान करो। यहाँ राधापति के रूप में कृष्ण ही हैं न कि इन्द्र ।
_________________________________________
विभक्तारं हवामहे वसोश्चित्रस्य राधस : 
सवितारं नृचक्षसं (ऋग्वेद १ /२ २/ ७ 
सब के हृदय में विराजमान सर्वज्ञाता दृष्टा ! जो राधा को गोपियों में से ले गए वह सबको जन्म देने वाले प्रभु हमारी रक्षा करें।👇

त्वं नो अस्या उषसो व्युष्टौ त्वं सूरं उदिते बोधि गोपा: जन्मेव नित्यं तनयं जुषस्व स्तोमं मे अग्ने तन्वा सुजात।। (ऋग्वेद -१५/३/२) ________________________________________
अर्थात् :- गोपों में रहने वाले तुम इस उषा काल के पश्चात् सूर्य उदय काल में हमको जाग्रत करें ।
जन्म के समय नित्य तुम विस्तारित होकर प्रेम पूर्वक स्तुतियों का सेवन करते हो ,
तुम अग्नि के समान सर्वत्र उत्पन्न हो । 👇

त्वं नृ चक्षा वृषभानु पूर्वी : कृष्णाषु अग्ने अरुषो विभाहि । 
वसो नेषि च पर्षि चात्यंह:कृधी नो राय उशिजो यविष्ठ ।। (ऋग्वेद - ३/१५/३ ) 
अर्थात् तुम मनुष्यों को देखो हे वृषभानु ! 
पूर्व काल में कृष्ण जी अग्नि के सदृश् गमन करने वाले हैं ।
ये सर्वत्र दिखाई देते हैं , और ये अग्नि भी हमारे लिए धन उत्पन्न करे इस दोनों मन्त्रों में श्री राधा के पिता वृषभानु गोप का उल्लेख किया गया है ।
जो अन्य सभी प्रकार के सन्देहों को भी निर्मूल कर देता है ,क्योंकि वृषभानु गोप ही राधा के पिता हैं। 👇
यस्या रेणुं पादयोर्विश्वभर्ता धरते मूर्धिन प्रेमयुक्त : -(अथर्व वेदीय राधिकोपनिषद ) 

१- यथा " राधा प्रिया विष्णो : 
(पद्म पुराण )

२-राधा वामांश सम्भूता महालक्ष्मीर्प्रकीर्तिता
(नारद पुराण )

३-तत्रापि राधिका शाश्वत (आदि पुराण )

४-रुक्मणी द्वारवत्याम तु राधा वृन्दावन वने । 👇
(मत्स्य पुराण १३. ३७ )

५-(साध्नोति साधयति सकलान् कामान् यया राधा प्रकीर्तिता: ) जिसके द्वारा सम्पूर्ण कामनाऐं सिद्ध की जाती हैं।
(देवी भागवत पुराण )

और राधोपनिषद में श्री राधा जी के २८ नामों का उल्लेख है। 
जिनमें गोपी ,रमा तथा "श्री "राधा के लिए ही सबसे अधिक प्रयुक्त हुए हैं।

६-कुंचकुंकुमगंधाढयं मूर्ध्ना वोढुम गदाभृत : (श्रीमदभागवत )

हमें राधा के चरण कमलों की रज चाहिए जिसकी रोली श्रीकृष्ण के पैरों से संपृक्त है (क्योंकि राधा उनके चरण अपने ऊपर रखतीं हैं ) यहाँ "श्री " शब्द राधा के लिए ही प्रयुक्त हुआ है । 
महालक्ष्मी के लिए नहीं।

क्योंकि द्वारिका की रानियाँ तो महालक्ष्मी की ही वंशवेल हैं। 
ऐसी पुराण कारों की मान्यता है वह महालक्ष्मी के चरण रज के लिए उतावली क्यों रहेंगी ?

रेमे रमेशो व्रजसुन्दरीभिर्यथार्भक : स्वप्रतिबिम्ब विभाति " -(श्रीमदभागवतम १०/३३/१ ६ कृष्ण रमा के संग रास  करते हैं। 
--जो कभी भी वासना मूलक नहीं था ।
यहाँ रमा राधा के लिए ही आया है।
रमा का मतलब लक्ष्मी भी होता है लेकिन यहाँ इसका रास प्रयोजन नहीं है।
लक्ष्मीपति रास नहीं करते हैं। 
भागवतपुराण के अनुसार रास तो लीलापुरुष कृष्ण ही करते हैं।👇
आक्षिप्तचित्ता : प्रमदा रमापतेस्तास्ता विचेष्टा सहृदय तादात्म्य -(श्रीमदभागवतम १०/३०/२ )

जब श्री कृष्ण महारास के मध्य अप्रकट(दृष्टि ओझल ) या ,अगोचर ) हो गए तो गोपियाँ विलाप करते हुए मोहभाव को प्राप्त हुईं।
वे रमापति (रमा के पति ) के रास का अनुकरण करने लगीं । 
यहाँ रमा लक्ष्मीपति विष्णु हैं।
वस्तुत यहाँ भागवतपुराण कार ने  श्रृंगारिकता के माध्यम से कृष्ण के पावन चरित्र को ही प्रकट किया है।।

©Surbhi Gau Seva Sanstan वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है ।
वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 
इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते |
प

sandy

सत्यव्रती .… तिच्या लांबसडक काळ्याभोर केसांमधून पाण्याचे थेंब पडत होते. जणू मोतीच खाली पडताय असं वाटत होतं. तिच्या पाठमोऱ्या आकृतीकड #story #nojotophoto

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 सत्यव्रती         .…
तिच्या लांबसडक काळ्याभोर केसांमधून पाण्याचे थेंब पडत होते. जणू मोतीच खाली पडताय असं वाटत होतं. तिच्या पाठमोऱ्या आकृतीकड
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