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शब्दवेडा किशोर
#तनहाई.... तनहाई ओस की इक बूंद ज्यों चमके तरू के फूल की इक चमकिले से पत्ती सी तनहाई वो इक मोती की बूंद सी जिसकी चमक कुछ अलग सी तनहाई जब डुब जाए आँखों के बूंद में तो हर इक आँसु इक खट्टी सरीता के धार सी लगे तनहाई इक ऐसा अन्धेरा जिसका न कोई ओर न कोई छोर और न ही इसमे आस की कोई भी किरण नज़र न आए जब कोई व्यथित मन खुद के अन्दर ही अपनी व्यथा सुनता हैं तब बाहर के सन्नाटो में भी तनहाईयाँ शोर सी करती दिखती हैं उस दबी घुटी दास्ताँओं के दबे ढेर से इक चिन्गारी सी सुलगती हैं मन चित्कार कर उठता हैं और नहीं अब और नही अब मुझे इस तनहाई का कोई शोर सुनना नहीं ये तनहाईयाँ मुझे जलाती हैं इक लावा बन जख्मी मुझे कर जाती हैं समझो तो ये दिल की आवाज़ हैं और न समझो तो बहते नीर समान हैं कभी वीरान गलियारो का साथी कभी टूटे दिल के तार हैं जिसमें न कोई तरंग न ही कोई धुन नहीं कोई उमंग हैं कभी प्यार कभी दुलार कभी आंसू की इक बूंद सी रवानी हैं बीते लम्हों में डुबी कहानी हैं ये तनहाई इक शायर की अधूरी दास्ताँ अधूरे प्यार की दास्ताँ हैं ये तनहाई कागज़ पर कलम से अधूरी दास्ताँ की कहानी हैं ये तनहाई @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #तनहाइयाँ
Shobhit Awasthi
तनहाइयाँ भी क्या खूब होती हैं, जब नहीं देता कोई आवाज भी अकेले में, ये वहां तक भी साथ देतीं हैं,,,। # तनहाइयाँ #
कवि प्रवीण राजस्थानी
प्रेम को इश्क़ ऐ तनहाइयाँ मिली होंठों पर हँसी आंखो में बारिशे मिली फिर भी उसके इश्क़ ऐ राज में हाथों में गिलास होंठों पर शराब मिली तनहाइयाँ
R.b. Sharma
हसीन ज़ुल्फों में अमराइयाँ महकती हैं। गुफ़्तगू करते तो रुबाइयाँ महकती हैं।। सांझ को रोज सजते मेले दिल की महफ़िल में याद में उसकी ये तनहाइयाँ महकती हैं।। -आर बी शर्मा पागल हरदोई ©R.b. Sharma तनहाइयाँ
डॉ रवि शाक्या
क्या फर्क पड़ता है कि तुम्हारा कौन है "तुम्हारे" जो थे तुम्हारे हुए क्या? ©डॉ रवि शाक्या #Happy तनहाइयाँ
डॉ रवि शाक्या
ए ख़ुदा सुना है कि दुआ क़ुबूल करने का एक वक्त होता है, फिर तू ही बता मैंने उसे किस पल नहीं मांगा? ©डॉ रवि शाक्या #Ladki तनहाइयाँ
डॉ रवि शाक्या
हसरतें तो जिंदगी में बहुत थीं रवि, पर कभी हसरतें टूटीं, तो कभी हसरतों ने तोड़ डाला!! ©डॉ रवि शाक्या #Mountains तनहाइयाँ
डॉ रवि शाक्या
आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो, बताओ तो जरा, तुम्हारी यादें रोकूँ या अपनी साँसे? ©डॉ रवि शाक्या #dhundh तनहाइयाँ
डॉ रवि शाक्या
रुकता न किसी की खातिर आजकल कोई, गर सच में अपना हो तो सांस थम जाती है! ©डॉ रवि शाक्या #Silence तनहाइयाँ