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Parasram Arora
नदी नदी बनने से पहले एक कुंड के रूप में होती हैऔर कुंड से रिसते रिसते एक दिन वो नदी बन जाती है और कालांतर में वो नदी बहते बहते सागर में गिर कर सागर भी बन जाती है . इसी तरह विकास का पथ पहले पगडंडी के रूप मे.होता है फिर सड़क का आकार लेता है. इसके बाद वो सड़क राजपथ बन जाती है और वो हमारी सूद्रड यात्राओं का मार्ग प्रशस्त करता है लेकिन हमारा जीवन विकास की तरफ न जाकर अविकास की ओर गति करने लगता है... जैसे पहले प्रेम प्रेम और प्रेमिका के रूप में होता है ज़ो बाद में विकसित हो कर पति पत्नी में तब्दील हो जाता है और ततपश्चात्. माता पिता बन कर एक आदर्श दम्पती का आकार ले लेता है...... लेकिन ज़ब वो दम्पति प्रौड़ हो जाता है तो उन्हे किसी वृद्धाआश्रम की शरण में भेज दिया जाता है ©Parasram Arora विकास vs अविकास
Ek villain
अभिमान से तात्पर्य मानव मन का अहंकार होता है जिससे वह दूसरे को खुद से नीचा समझता है वही अभिवृत्ति का अर्थ किसी व्यक्ति की मनोवृति होता है अतः किसी भी स्थिति या घटना को देखने का ढंग ही अनुभूति होता है अभिमानी कर रावण के सम्मान पाते हैं जबकि सही अभिवृत्ति सफलता की कुंजी है इसी कारण हमें सदा सकारात्मक दृष्टिकोण रखने को कहा जाता है क्योंकि यह दृष्टिकोण उसी रवैया का एक भाग है जो हमारी सोच को प्रभावित करता है यदि हमारे सोचने का तरीका संतुलित एवं सही होगा तो निश्चय ही हमारे निर्णय भी उचित दिशा में जाएंगे और सफलता सुगम हो जाएगी इसके विपरीत अभिमानी व्यक्ति अपना उचित विश्लेषण करने में असमर्थ होता उसमें सीखने की इच्छा सुनने हो जाती है क्योंकि उसके अनुसार ऐसा कुछ है ही नहीं जिससे सीखने की आवश्यकता हो इसका परिणाम यह होता है कि वह व्यक्ति अति आत्मविश्वास ही होकर परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढाल नहीं पाता और अंत में पराजित हो जाता है यह एक प्राकृतिक नियम है जिससे कोई भी अछूत नहीं है हम 2 विद्यार्थियों के उदाहरण से इसे समझाएं एक विद्यार्थी को स्वयं का पूरा विश्वास है और वह अपना श्रेष्ठ देकर प्रथम आने का निश्चय करता है दूसरा विधार्थी अच्छी तरह करने के स्थान पर सोचता है कि उससे अधिक ज्ञान किसी को नहीं है परिणाम स्वरूप में पीछे रह जाता है तथा अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल हो जाता है इससे स्पष्ट दिखाई देता है कि पहला विद्यार्थी के पास सही अभिवृत्ति दृष्टिकोण है वह दूसरे विद्यार्थी के मन में उसकी योग्यता का अभिमान है जो उसकी असफलता का कारण बन जाता है जाहिर है हम अपने मन में सकारात्मक अभिवृद्धि लाएं तो हमारा दृष्टिकोण बदलेगा इसी परिवर्तन से हम नव ऊर्जा पाकर इच्छित धैर्य को प्राप्त कर सकेंगे और सफल हो सकेंगे ©Ek villain # अभिमान और अभिवृत्ति #AloneInCity
बबलू सिंह "बेदर्दी "
चर्चा है आज...........विकास का दौर मेंहुआ सहायक सात निश्चय साथधन कमाने का जरिया बनाजल नल गली नाली आज.खूब कमाए साहिब सॉन्ग,मुखिया वार्ड और सरपंच.पानी बिन प्यासा रहाआम जनता है तंग।नीतीश जी की छवि निराली,बन गई बाला अब नारी,धन कमाने क्या सीखे गुर,मूल मंत्र से हुए हजूर।जीविका बनके दीदी कहलाई,आशा बन के घर पैसा लाई।छुपा कहां सब कमाने का जरिया,मानदेय मिलता है बढ़िया,कॉस्मेटिक दुकानदार भी है खुशभाभी अब ना मांगती छूट।पान खाए भैया की बारी,प्रेस कराने ली जाती साड़ी,कहे बेदर्दी ई क्या भाई,बड़े साहब के घर पार्टी है भाई ।.... #Art ये विकास है . ये बिकास है.....
Madhusudan Shrivastava
प्रकृति और विकास भावनाओं का भी अब अनुवाद होना चाहिए। मानवीय गुण में नहीं विषाद होना चाहिए। मनुज के ही लोभ ने शोषण किया है प्रकृति का, मनुज का इस प्रकृति से संवाद होना चाहिए। मानवीय गुण में नहीं विषाद होना चाहिए। लोभ बस ही मनुज यह होता प्रकृति से दूर है। जीवन चलाने के लिए देती प्रकृति प्रचुर है। अब मनुजता में नहीं अवसाद होना चाहिए। लाभ-चिन्ता धर्म के अब बाद होना चाहिए। मनुज का इस प्रकृति से संवाद होना चाहिए। आज तक हम लोग ने प्रकृति का दोहन किया। प्रकृति के संतुलन का मानव ने है भंजन किया। भोग और विकास की चर्चा बहुत अब हो चुकी, अब प्रकृति के पक्ष में, अनुनाद होना चाहिए। मनुज का इस प्रकृति से संवाद होना चाहिए। प्रकृति और विकास
vikash meena
हम मोहताज नहीं किस्मत के हम अपने दम पर बहुत कुछ करना जानते हैं ©vikash meena #किस्मत #सफलता #विकाश #विकास #Motivation #Lines #sad
Shubham"Sambhav"
कभी अल्पवृष्टि कहीं अतिवृष्टि फिर ओलावृष्टि ओ!प्यारी प्रकृति ऐ हमारी संस्कृति ऐ विकास की अश्वगति। !! शुभम्"सम्भव"!! हमारा विकास और प्रकृति
Rajesh Kumar
अगर जीवन आपको कुछ ऐसा सृजन करने देता है जो आपसे विशाल है तो या किसी इंसान के लिए सबसे बड़ा शौभागय और तृप्ति प्रदान करने वाला होता है! ©Rajesh Kumar जीवन और विकास ## #Travelstories
Ashish kumar
"हर कोई एक प्राकृतिक उत्पाद चाहता है, लेकिन यह प्रकृति के बिना कैसे संभव है। प्रकृति को बचाओ, प्रकृति का सम्मान करो।" ©Ashish kumar प्रकृति संरक्षण और विकास #hills