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paras Dlonelystar

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Priyanshi

शामे संदली हो चली है .....

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बीत गई है काली शामे,
मेरी शामे अब संदली हो चली है ।
गौर से झांक लो मेरी आंखो में,
 इश्क़ की यादे अब धुंधली हो चली है ।।

संदली - चन्दन शामे संदली हो चली है .....

NEERAJ SIINGH

संदली - चंदन #neerajwrites love ❤️

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इश्क जब संदली हो चले
तो डूब लीजिये 
इश्क जब संदली हो चले
तो डूब लीजिये 

ये इत्र ता उम्र नहीं उतरता संदली - चंदन 

#neerajwrites  love ❤️

Dr. Shakuntala Sarupariya

gazal -संदली बहारें पी गई मैं। फिर लब के किनारे सी गई मैं।*## ghazal by Dr Shakuntala sarupria from Udaipur -Rajasthan##@nojoto##

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kumaarkikalamse

#paidstory #Kumaarsthought #kumaaronlove #erotica_hindi #kumaarerotica #erotica #हुस्नऔरकुमार - रानाई = Beauty / Grace - क़सीदा = A poem

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हुस्न ने ली जब  जब  अंगड़ाई
इश्क़ पर है फिर  आफ़त आई

जल्वें  दिखें  हो  पर्दा  बे -पर्दा
लूट  गई  फिर बदन की रानाई

आँखें लिखे  कसीदा  तलब का 
सीने की साँसे जैसे मुझमें समाई 

ख़ुद  को  होश   में  रखे  कैसे
नाफ़  संदली, कमर  करिश्माई

ज़िस्म  पर  हो  शरारत सुहानी
पा- ए -नाज़ुक ने  पाजेब  हटाई

अर्ज़ - ए - मतलब इतनी 'कुमार'
हो  क़त्ल  ऐसे  जैसे  करे कसाई   #paidstory #kumaarsthought #kumaaronlove #erotica_hindi #kumaarerotica #erotica #हुस्नऔरकुमार 

- रानाई = Beauty / Grace 
- क़सीदा = A poem

Jahed Shah

तेरी ईबादत को तवायफ हमने जिस्म फारोशी समझा. जब रूह कब्ज करणे आय फरिशता उसे कातिल समझा. कोई था संदली राहेनुमा बस्तीमे जिसे काफिर समझा. आईना #शायरी #SuperBloodMoon

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तेरी ईबादत को तवायफ हमने जिस्म फारोशी  समझा.
जब रूह कब्ज करणे आय फरिशता उसे कातिल समझा.
कोई था संदली राहेनुमा बस्तीमे जिसे काफिर समझा.
आईना दिखाता राहा सच उसे हमने फरेब समझा.
                        जाहेद शाह

©Jahed Shah तेरी ईबादत को तवायफ हमने जिस्म फारोशी  समझा.
जब रूह कब्ज करणे आय फरिशता उसे कातिल समझा.
कोई था संदली राहेनुमा बस्तीमे जिसे काफिर समझा.
आईना

Om Shivam Upadhyay

"जी चाहता है चूम लूँ तिरे दो हाँथ मखमली, संदली खुशबुओं में करता रहूँ देर तलक बातें......!! तेरी पकीज़ा मोहब्बत का करके सजदा, आँखों ही आँखों म #ओम

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"जी चाहता है चूम लूँ तिरे दो हाँथ मखमली,
संदली खुशबुओं में करता रहूँ देर तलक बातें......!!
तेरी पकीज़ा मोहब्बत का करके सजदा,
आँखों ही आँखों में पढ़ लूँ तेरे लबों का दर्द.......!!


वो एक चुम्बिश को मचलता ईश्क,
वो एक रातों को धडकता ईश्क......!!
वो चाँद तारों ज़ड़े जिश्म से,
रोज़ मिलने को तड़पता ईश्क.......!!


के इसका रंग आवारा,
ये भटके मारा-मारा.....
ये जोगी जोग जगाए ,
रे जोगन रोग लगाए .......


हो...........
बैरी टूटा-टूटा,
क्यूँ दिल ये.....
रूठा रूठा........

प्रेम की अगन लगाए,
मनवा खीझा खीझा जाए.......!! "
#ओम 'मलंग' "जी चाहता है चूम लूँ तिरे दो हाँथ मखमली,
संदली खुशबुओं में करता रहूँ देर तलक बातें......!!
तेरी पकीज़ा मोहब्बत का करके सजदा,
आँखों ही आँखों म

Dipti Singh Diya

#गज़ल वज़्न- 212 212 1222 तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू जब भी तेरा ख़याल आता है ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू #roseday #nojotohindi #शायरी

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गज़ल- ख़ुशबू 


तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू 
मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू 

जब भी तेरा ख़याल आता है
ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू 

ज़िक्र तेरा सुकून देता है 
ज़िंदगी है ये चुलबुली ख़ुशबू 

ये हवा की कोई शरारत है
छेड़ जाती है मनचली ख़ुशबू

तू बसा है मेरी निगाहों में 
तू है नज़रों की मख़मली ख़ुशबू 

तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है
इश्क़ से रूह में खिली ख़ुशबू 

रंग लाई है ये दुआ तेरी 
आज दीया को है मिली ख़ुशबू

©Dipti Singh Diya #गज़ल 
वज़्न- 212 212 1222

तेरी साँसों की संदली ख़ुशबू 
मेरी साँसों में है घुली ख़ुशबू 

जब भी तेरा ख़याल आता है
ऐसा लगता है ओढ़-ली ख़ुशबू

Shree

शिवाय की सतत शक्ति शिवा से, शाश्वत शिल्प सम समा सरस संदली शशि सी श्रुति ले, समाहित संयोग सा ये संतृप्त स्त्रोत है, संधि सकल समुचित #Holi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #rzpictureprompt #a_journey_of_thoughts #rzpicprompt3323

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शिवाय की सतत 
शक्ति शिवा से,
शाश्वत शिल्प सम
समा सरस संदली
शशि सी श्रुति ले,
समाहित संयोग सा
ये संतृप्त स्त्रोत है,
संधि सकल समुचित
शिवओम सोन सज्ज
भस्म भांग धतूरा संग
सम्मोहक स्नेह सरिता।
डूबो कि उतरो,
जैसी जिस श्रद्धा!  शिवाय की सतत 
शक्ति शिवा से,
शाश्वत शिल्प सम
समा सरस संदली
शशि सी श्रुति ले,
समाहित संयोग सा
ये संतृप्त स्त्रोत है,
संधि सकल समुचित

Shree

~मुराद~ थमने लगती है जब रौशनी दिन के आखिरी पहर में, बोसा करती चाॅंद की इतराती ठंडक चिढ़ाती सहर को, आओ पास थोड़ा बैठे, कहें कुछ दिनभर की झूठी #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #a_journey_of_thoughts #rzदिनकेआखिरीपहरमें

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थमने लगती है जब रौशनी
दिन के आखिरी पहर में,
बोसा करती चाॅंद की इतराती
ठंडक चिढ़ाती सहर को,
आओ पास थोड़ा बैठे, कहें
कुछ दिनभर की झूठी कहानी,
असल में तुम्हें देखकर उम्र
का ये कतरा गुजारना चाहूॅं,
दिन के आखिरी पहर में,
आगोश की संदली मुराद मा‌ंगूॅं! ~मुराद~
थमने लगती है जब रौशनी
दिन के आखिरी पहर में,
बोसा करती चाॅंद की इतराती
ठंडक चिढ़ाती सहर को,
आओ पास थोड़ा बैठे, कहें
कुछ दिनभर की झूठी
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