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Samsahad Ali Cistihe
Akhil Bhartiya Muslim Banjara Samaj #NojotoQuote Akhil Bhartiya Muslim Banjara Samaj Shamshad Ali cistihe
Chiranjiv
प्रकृति पर कविता – लाली है, हरियाली है लाली है, हरियाली है, रूप बहारो वाली यह प्रकृति, मुझको जग से प्यारी है। हरे-भरे वन उपवन, बहती झील, नदिया, मन को करती है मन मोहित। प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे मां हो हमारी। हर पल रंग बदल कर मन बहलाती, ठंडी पवन चला कर हमे सुलाती, बेचैन होती है तो उग्र हो जाती। कहीं सूखा ले आती, तो कहीं बाढ़, कभी सुनामी, तो कभी भूकंप ले आती, इस तरह अपनी नाराजगी जताती। सहेज लो इस प्रकृति को कहीं गुम ना हो जाए, हरी-भरी छटा, ठंडी हवा और अमृत सा जल, कर लो अब थोड़ा सा मन प्रकृति को बचाने का। ©Chiranjiv prakritik a Sundar hai
Chiranjiv
रह रहकर टूटता रब का कहर रह रहकर टूटता रब का कहर खंडहरों में तब्दील होते शहर सिहर उठता है बदन देख आतंक की लहर आघात से पहली उबरे नहीं तभी होता प्रहार ठहर ठहर कैसी उसकी लीला है ये कैसा उमड़ा प्रकति का क्रोध विनाश लीला कर क्यों झुंझलाकर करे प्रकट रोष अपराधी जब अपराध करे सजा फिर उसकी सबको क्यों मिले पापी बैठे दरबारों में जनमानष को पीड़ा का इनाम मिले हुआ अत्याचार अविरल इस जगत जननी पर पहर – पहर कितना सहती, रखती संयम आवरण पर निश दिन पड़ता जहर हुई जो प्रकति संग छेड़छाड़ उसका पुरस्कार हमको पाना होगा लेकर सीख आपदाओ से अब तो दुनिया को संभल जाना होगा कर क्षमायाचना धरा से पश्चाताप की उठानी होगी लहर शायद कर सके हर्षित जगपालक को, रोक सके जो वो कहर बहुत हो चुकी अब तबाही बहुत उजड़े घरबार,शहर कुछ तो करम करो ऐ ईश अब न ढहाओ तुम कहर !! अब न ढहाओ तुम कहर !! ©Chiranjiv #Butterfly prakritik ka kehar
Vijay Rajvanshi
छोटी सी जिन्दगी है सौक नही गुरुर पालेगे 2 अगर बेटा हम अपने पर आ गये न तुझे तेरे घर से उडा लेंगे।। ☆single boy Vijay☆ #InspireThroughWriting 260