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Diwa
You're a writer when you find your meaning in the meaningless scribbles you're often driven to create. "Meaning" #Meaning #KwentongDiwa #Diwa
Namrta vishwakarma
इस जमाने ने जिस जिसका तिरस्कार किया है, बेशक़ उसने ही आविष्कार किया है। ©Namrta vishwakarma #जमाना
Shailesh Aggarwal
Dil Shayari किसी से दिल लगाना भी जमाना सह नहीं पाया खुशी से मुस्कराना भी जमाना सह नहीं पाया ।। ये नफरत की कलम लेकर लिखे अस्को की स्याही से मोहब्बत का तराना भी जमाना सह नहीं पाया !! गड़ाए आंखे बैठा है ये रस्ते में मोहब्बत के किसी का आना जाना भी जमाना सह नहीं पाया।। दुहाई देता रहता है ये रस्मो की रिवाजो की नया कुछ कर दिखाना भी जमाना सह नहीं पाया।। लगा के आग बैठा है ना जाने कितने घर में ये मगर उसको बुझाना भी जमाना सह नहीं पाया बहुत तकलीफ होती है ये सब देखकर मुझको दो आंसू बहाना भी जमाना सह नहीं पाया.... ©Shailesh Aggarwal जमाना
Mayank Krishna
बड़ी अजीब होती है मोहब्बत की भी दास्तां जिसके लिए आप जमाना को छोड दोगे, वहीं जमाने के परवाह में आपको छोड़ देंगे जमाना
Arpit tejash
#OpenPoetry क्या जमाना है । सबका इरादा बस सतना है । बोलती मेरे मन की रेखा । देखी मैंने चलती नवका । गम देते लोग है । रुलाते सबके संयोग हैं । लोगों का इरादा बहकाना है । सबका इरादा बस सताना है। जब मैं सही चला । सभी ने मुझे चला । जो मुझे छल रहे थे। कर प्रभु उनका भला । सच्चाई मेरा ठिकाना है । सबका इरादा बस सताना है । इतना हम अच्छे बने । दूध की भांती छने । फिर भी मिलाउटी दुनिया ने बताया । जब सुना तब हम भुने । मेरा इरादा हंसाना है । पर सबका इरादा सताना है। जमाना
Kamal bhansali
हमें देख जब कोई बेवजह मुस्कराता तो ख्याल दिल में इतना ही आता कुछ तो है हम में जिसे हम नहीं जानते, पहचानते पर शायद जमाना यह जानता इस ख्याल से अंधेरों से निकल प्रकाश में जाने का मन करता ✍ कमल भंसाली जमाना
Dr Prateek Gora
दबा के गरीब को हर रोज , ये जमाना खुद को उठाता है । झूठ का ये अखंड पुजारी , सच की आवाज दबाता है । चलना भी मुश्किल भीड़ में , रोज उसको बेवजह दौड़ाता है । बैठ के ऊंचे बंगलों में , सबको आपस में लड़वाता है । वो शिकार उनकी साजिशों का , सोचे हालातों का मारा है । कितने ही मर जाएं भूखे , मगर पत्थरों को भोग लगाता है । क्यों घोला है ये फर्क , आज तक ना समझ आता है ? ना मिला राम मुझे कहीं , ना ही अल्लाह नजर आता है । सब झुकते किसी के आगे ,ना जाने कौन उनको पार लगता है ? देखूं जहां भी एक दुखी , जीने को बेताब इंसान नजर आता है । देखा जब भी उसकी ओर , वो बस एक बात गुनगुनाता है । ना जन्नत ना दूसरा जन्म , एक भाईचारा और सुकून चाहता है । -Dr Gora #जमाना