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Ek villain
अराजकता को सह नहीं करने का नतीजा शीर्षक से लेख आलेख में राजीव संस्थान द्वारा व्यक्त किया गया और अख्तर है लोकतंत्र की ओट में यदि विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत में देश की आम जनता को कष्ट देने वाली अराजकता को परोसा जाता रहेगा और देश के कानून महेश को करार आ सकता कि समीक्षा नियमित रहने की खोखली अपील करता रहेगा तो अराजकता का कानून पर हावी हो जाना लाजी मकदाची फिरोजपुर कांड इसी के परिणिति था जिसमें देश के प्रधानमंत्री की रक्षा सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया गया ऐसे में प्रश्न उठता है कि स्वाभाविक है कि किसी लोकतंत्र आंदोलन या सरकार के विरोध की ओट में इस तरह की अराजकता की छोटी देना कहां तक उचित है जिसमें देश के प्रधानमंत्री की जान पर ही बने आए पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही कोटा प्रतिशत घटित हुआ है और अब भूतपूर्व था इसे कर हल्के में नहीं लिया जा सकता कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई और मैं सुरक्षित वापस लौटे हैं क्या ऐसे में कहने वाले देर कि प्रधानमंत्री के साथ किसी अनहोनी की प्रतीक्षा कर रहे हैं यदि नहीं तो प्रधानमंत्री जैसे अति महत्वपूर्ण व्यक्ति के काफिले को अराजक तत्वों के सड़क जाम करने के स्थान पर 20 मिनट तक रोके जाने के पीछे क्या मकसद था जो पाक सीमा के नजदीक पाकिस्तान को देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील घटना की जांच करना है जिसे सर्वोच्च न्यायालय के विचारणीय होना चाहिए ©Ek villain # कानून पर हावी होते दुष्परिणाम #makarsakranti
Ek villain
अनेक कारणों से मंत्रण का मसला फिर से चर्चा में है वैसे ही संदर्भ से यह बात समझना होगा कि भंडारण दो परिवारों के बीच का मामला नहीं है बल्कि इसे गंभीरता से लेते हुए सोचना चाहिए कि इसका परिणाम क्या हो सकता है समाज और देश के किसी दिशा में ले जाएगा दरअसल देश में कुछ समूह संगठन मंत्रण जैसे समाज विरोधी काम बिना रोक-टोक के करने के लिए लगे हुए हैं इन संगठनों के निशाने पर आमतौर पर गरीब अशिक्षित और विशेषकर दलित आदिवासी लोग होते हैं उल्लेखनीय है कि धर्म समाज व्यवस्था तो अभिन्न अंग है वह व्यक्ति की मानसिकता को काफी हद तक प्रभावित करता है प्रत्येक धर्म को अपनी मान्यता विश्वास और आस्था को प्रकट करने के लिए माध्यम होते हैं लेकिन जब किया जाता है तो निश्चय ही समाज के देश के लिए बड़ी चुनौती साबित होते हैं पिछले दिनों में आत्महत्या करने वाले छात्रों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए सैकड़ों छात्रों ने तमिलनाडु सरकार ईसाई मिशनरियों के खिलाफ प्रदर्शन के छात्रों के आरोप लगाया कि लावण्या पर जबरन निमंत्रण के दबाव बनाया गया था जिस कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुई है कहना गलत नहीं होगा कि मंत्रण एक देशव्यापी समस्या जिस पर एक किससे संख्या केंद्रीय बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि स्वतंत्र भारत का इतिहास हमें यह पाठ पढ़ाता है कि देश में दो बार बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है पहली बार 1990 में इस्लामी कट्टरपंथी के चलते जम्मू कश्मीर के लिए बड़े लाखों में हिंदू को भागना पड़ा और ©Ek villain #परिवर्तन पर बने शब्द केंद्रीय कानून #selflove
कवि आदेश दुबे
कानून आज कानून से ही बेहद परेशान है। खाकी और काले कोट में मचा घमासान है ।। दोनों हैं पब्लिक को नोच नोच के खाने वाले। आज खुद इंसाफ मांग रहे ,इंसाफ दिलाने वाले।। कानून