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Alfaaj
हाँ मैं एक गांव तुम शहर हो , मैं तपती दोपहर तुम शाम का पहर हो , और ऐसा नहीं है की तुम मुझे पसंद नहीं हो बस कहने से डरता हूँ क्योंकि मैं सीधा साधा देसी सा लड़का और तुम कतइ जहर हो ©Alfaaj कतई जहर mr babu Devil Abhishek krisswrites jai mahankal Hasnain Bashir
Er Satish Sharma
मैं अमावस की रात, बो खिलती दोपहर लगती है। मैं छोटा सा गांव ,बो पूरा शहर लगती है। उसी के खाब देखते हैं उसके शहर के लोग। क्या बताऊँ यारों ,बो लड़की कतई जहर लगती है।। ©Er Satish Sharma बो लड़की कतई जहर लगती है। #DearCousins
writer kuldeep singh
This is just a poetry, don't compare it with my life. पलको ने बहुत समझाया मगर ये आंखे नही मानी दिन तो जैसे गुजारा हमने पर ये रात नही मानी। अर्ज किया है में ओरियो बिस्किट तुम मुझे डेयरीमिल्क लगती हो तुम लड़की नही कहर लगती हो तुम्हे पी कर मर जाऊगा एक दिन यार तुम साड़ी में कतई जहर लगती हो।। कुलदीप....... ©writer kuldeep singh #MusicLove कतई जहर लगती हो।
Rao Nikesh NK
_Ram_Laxman_
ओह हा मोला बत्तिस मात्रा वाला बहर लगथे । ओह कोनो बम के बड़े से विश्फोटक कहर लगथे । अऊ ओह हा कोनो कोनो ला अच्छा नई लगत होही.. फेर ओह हा मोला जिंस टोप मा कतई जहर लगथे ।। ©_judwaa_writes_ ओह हा मोला बत्तिस मात्रा वाला बहर लगथे । ओह कोनो बम के बड़े से विश्फोटक कहर लगथे । अऊ ओह हा कोनो कोनो ला अच्छा नई लगत होही.. फेर ओह हा मो
Sarika Sahu
JALAJ KUMAR RATHOUR
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता (पार्ट-16) चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से जड़े झुमके, अवनी और मेरे प्रति उद्दीपन को प्रकट कर रहे थे। तभी अवनी ने कहा, " कहाँ खो गए मिस्टर स्वप्निल, मैंने मन में बड़बडाते हुए कहा, "तुम्हारी आँखो में', अवनी ने शायद पढ लिया था मेरे मन को, वो मुस्करा कर बोली, " तो बताओ कैसी लग रही हूँ मैं, मैंने हँसते हुए कहा ,"कतई जहर" , वो हंसती रही कुछ मिनिटो तक फिर बोली, "तो मिस्टर स्वप्निल मेरे लिए रोज वगैरा नही लाये मैंने अवनी की इस फरमाईश को सुनकर ,उसका हाथ थाम ,उसे डायेरेक्टर ऑफ़िस के सामने वाले बाग में ले गया, जहाँ गुलाब के फूल खिले हुए थे। अवनी को उन फूलों का स्पर्श कराते हुए मैंने उसे छायावाद के कवि माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की पंक्तियाँ" चाह नही, मैं सुरबाला के गहनो में गूंथा जाऊँ, चाह नही मैं विधप्यारी को लल चाऊँ.... हे वनमाली देना मुझे उस पथ पर फेंक,मातृ भूमि पर शीष चढ़ाने जिस पथ पर जावे वीर अनेक",अवनी मुझे देख रही थी और वो खामोश थी । खामोशी किसी भी चीज की अधिकता के पश्चात आती है और अधिकता तो संघर्ष से या संघर्ष के समय मिलती है, परंतु अवनी खुश थी। शायद उसे पुष्प की अभिलाषा समझ आ गयी थी, जिसके आगे उसकी अभिलाषा बहुत ही छोटी थी। जब हम किसी की ख्वाहिश के लिए अपनी ख्वाहिश को भुला देते है। उस दिन हम माँ और प्रकृति का एक हिस्सा बन जाते है। क्युकी देने की भावना ही तो माँ और प्रकृति है। थोडी देर बाद हम लोग कैंटीन पहुँच गये। आज कैंटीन में केक और लड़को की जेब दोनो कट रही थी। मगर फिर भी चारों तरफ खुशी का माहौल था। मगर अवनी इन सभी से अलग थी जो रुपयो के मामले मे बिल्कुल निष्पक्ष व्यवहार रखती थी। हमारी इसी बात पर तो झगड़े होते थे कि इस बार बिल मैं पेय करता हूँ पर अवनी अपना हिस्सा नही देने देती थी किसी को, शायद उसे लगता था कि किसी के बिल को चुकाने से हम उसके दिल के करीब हो जाते है, पर अवनी तो मेरे करीब पहले से ही थी, समोसा और पेस्टीज खाने के बाद हम चल दिये, लेक्चर लेने,पर अवनी ने कहा"स्वप्निल चल यार लंका होते हुए,अस्सी घाट चलते है, मैंने सिर हाँ में हिला दिया और हम निकल पड़े अस्सी घाट की ओर..... .... #जलज कुमार राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-16 चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से
Archana Chaudhary"Abhimaan"
टूट कर बिखर चुके है कुछ इस तरह की टुकड़े समेटना भी मुश्किल हो रहा। जितना जलील किया इस दुनिया ने की उठना भी मुश्किल हो रहा। फिर भी दर्द को किश्तों में समेट खड़े हो रहे, चेहरे पर रंगीनिया लगा मुस्कुरा रहे, एक नकाब सा ओढ़, हसकर जिंदगी जिए जा रहे। लोगो को लगता सुकून है मेरे लेकिन हर पल जहर पीएं जा रहे। जहर#_जहर
Pj
कभी अमृत हुआ करते थे आज जहर बन गए मुसीबतों से बचाने वाले ख़ुद कहर बन गए बड़ी मुश्किल से तैर कर आया था किनारे तक वापिस समंदर में ले जा छोड़ा वो कहर बन गए जिनका साथ पाकर खुशनुमाया था मन वो शाम की ठंडी हवा में दोपहर बन गए - Pj 🙃 #कहर #जहर #shadesoflife