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MANJEET SINGH THAKRAL
Kamal bhansali
"सब कुछ सुन कर अनसुनी कर दो सब कुछ देखकर अनदेखा कर दो अत्यचार और भ्र्ष्टाचार को देखकर पर कुछ न बोलो क्योंकि जिस स्वतंत्रता के लिए हमने प्राण दीये वो स्वतंत्रता अब विधवा हो गई।" (शायद ये यही सोच रहे है और हो सकता है अब यही हमारा स्वतंत्रता का माहौल हो रहा है) आज की स्वतंत्रता
Satyendra satyam
वीर सपूतों ने तोड़ गुलामी की बेड़ियाँ, दिला गये हमें आज़ादी l वो हँसते- हँसते क़ुर्बान हो गये, कुछ ऐसे थे वतनवादी ll इस धरा पर न सही, सोच में जीवित रहेंगें l भारत भूमि की साँसों की बन धड़कन रहेंगें ll धधकती थी जिनके मन में ज्वाला l ऐसे वीरों से अंग्रेजों का पड़ा था पाला ll उन्हें तनिक भी डर न था इसका अंज़ाम क्या होगा l मरकर भी जिंदा रहूँ, किसी में , इससे अच्छा काम क्या होगा ll बन विजेता, हो प्रेणता, वो बलिदानी हो गये l लहरा तिरंगा संविधान का, हम लोकतांत्रिक हो गये ll स्वंतन्त्रता की वेदी पर वो हँसते- हँसते झूल गये l आज आराजकता, षड़यंत्र देख लगता है हम भूल गये ll कर चले थे फिदा जो जान वतन साथियों l अब मुल्क तुम्हारें हवाले है नव युवक साथियों ll अब मुल्क तुम्हारें हवालें नवयुवक साथियों ... ©Satyendra satyam स्वतंत्रता की वेदी.. #Independence2021
Mahendra Joshi
विगत समय के सब विकार बनकर दु:स्वप्न बिखर जाएं तिमिर दूर हो अमावसों का पूनम के रंग निखर जाएं . जाति, धर्म, संप्रदाय वाद और क्षेत्रवाद की प्राचीरें हों ध्वस्त आज सब रूढ़िवाद की कलुषित कुंचित जंजीरें . महकाएं सबके आंगन में नेह प्रसूनदुलार भरा इस बार रचें यह नया गीत जिसमें हो बस प्यार भरा । स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ः ः ः
MK Zakhmi
आज गर सुकुं है तो कल हवा में ख़ून था, वो शहीदों की शहादत का लहू भी खूब था, लिख दी अपने ख़ून से आज़ाद भारत की छवि, उन शहीदों की चिताओं से मिला वजूद था। स्वतंत्र और अखण्ड भारत के सभी निवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं... स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं....
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है हम देशप्रेम में सबकुछ ही लुटाने आये है अपने लहूं से धोएंगे,हम तो मां तेरे चरण हम खून का कतरा-कतरा तुझे देने आये है भारत कोई देश नही है,यह हमारी मां है माँ के लिये सर्व न्योछावर करने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है भारत माँ के लिये हद से गुजरने आये है कोई भी हमे रोके ना,कोई हमे टोके ना, हिंद के लिये जींद समर्पित करने आये है यह भारत की माटी,सुख-दुख की साथी इस माटी को अपना रब बनाने आये है बुरी नजर से देखे क्या सोचकर भी देखे शत्रु घर मे सर्जिकल स्ट्राइक करने आये है हम फौजी सरहद से शत्रु मिटाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है देश मे आजकल नफरतों का जोर है, सब नेता लगते जनता को बस चोर है, इस माहौल में सही नेता ढूंढने आये है सही वोट से,सही सरकार चुनने आये है हर शख्स मौलिक कर्तव्य से अनजान है हम शिक्षक तम संस्कार मिटाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है बन वैज्ञानिक,देश विकसित करने आये है यह कोरोना महामारी,क्या जिंदगी हमारी चिकित्सक बनकर कोरोना हराने आये है वेक्सीनेशन द्वारा कोरोना मिटाने आये है हम सब देश को हिम भाल करने आये है हम किसान है,उफरते भारत की शान है देश आत्मनिर्भर करने का इरादे ले आये है हम किसान देश का गौरव बनने आये है हिंद को जन्नत की दुल्हन बनाने आये है हर कौम में,हिन्द है,सबके रोम-रोम में, हर सब हिन्द को एवरेस्ट बनाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है भारत को हम सर्वोच्च भारत करने आये है ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" स्वतंत्रता की वेदी #RepublicDay