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Aasth Mishra
पहला प्यार गवाही नाम मुझसे कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूं गवाही ना मांगू मैं तुम्हें कितना चाहता हूं खुदा भी परेशान है मुझसे उन्होंने परेशान है मुझसे कि मैं हर बार अपनी मन्नत में तुम्हें क्यों मांगता हूं #दीवानो से खुदा परेशान
कवि अशोक कुमार शर्मा
ये देश है दीवानों..... का मर मिटने वाले.... पर.. वानों का बस..ती है तिरंगे मे जान हमारी देश है वीर जवानों का **** साँसो मे मिट्टी की खुशबू दिल मे जोश की ज्वाला है यहाँ देश प्रथम है रिश्तों मे बच्चा-बच्चा साहस वाला है **** यहाँ कण कण मे भगवान् बसें कहीं कृष्ण बसें कही राम बसें हर दिल मे यहाँ पर काशी है हर दिल मे यहाँ के काबा है **** इस देव भूमि के क्या कहने हर दर मे यहाँ के आभा है पर्वत विशाल यहाँ प्रहरी है नदिया जैसे की माला है **** सागर जिसके चरणों मे है सर मुकुट स्वर्ग है पहाड़ों वाला है उस विश्व गुरु भारत महान पे हम सब गर्व से.. इतराते है ***** ये देश है दीवानो का हम दुनिया को बतलाते है ©कवि अशोक कुमार शर्मा देश है दीवानो का #Independence
abhisri095
दीवानो का हाल पूछना बनता है... उन्हें देख कर हँसना बनता है... और जो इश्क़ तुम भी फर्मा रहे हो बरखुरदार ... तज़ुर्बा, इनसे भी लेना बनता है ।। #NojotoQuote #दीवाने है #दीवानो का क्या कहना...
Anand Kumar ' Shaad '.
अल्फ़ाज़ों से आज तुम याराना कर लो नाकामियों को खुद से बेगाना कर लो शिक्षित बनो कामयाब बनो
Shivraj Solanki
अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो मां भारती के लाल तुम हो सर्व शक्तिमान विजय की पताका ले हाथ दुश्मन की ग्रीवा का रक्त पीने वाली तुम शमशीर बनो, शमशीर बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो ,अधीर बनो रक्त में है उबाल, मातृभूमि रही पुकार गलतियों का करो अब हिसाब पीओके के साथ सिंध पर भी धरो ध्यान सुन कर अरिदल थर थर कांपे वो तुम गीत बनो गीत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो अधीर बनो कौरवों की भीड़ में द्रोण या कंस मां भारती को दे रहा जो दंश उस दुशासन का तुम अंत बनो , अंत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो शिवराज खटीक अधीर बनो अधीर बनो
Classical gautam
"समूहगान" स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे हर दिल की धड़कन मे झंकृत,अपनी ही आवाज़ हो धरती पर अपने निशाँ हो,अम्बर मे परवाज़ हो डर हो ना , ना कोई भय हो, अपना स्वर,अपनी ही लय हो रागों की स्वरमालिका से ,गुलशन आबाद रहे ॥ स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे ॥ कल हम हों या ना हों फ़िर भी,अफ़साने चलते रहे खुशबू बन महके हवा मे,दीपक बन जलते रहे । शंकर के डमरू सा डम डम, मीरा के घुंघरू सी छम छम स्वरमयी हों सोच हमारी,स्वरमयी संवाद रहे ॥ स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे ॥ ©Classical gautam एक बनो, नेक बनो