Find the Latest Status about रंग रंग भगवा रंग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रंग रंग भगवा रंग.
i am Voiceofdehati
मेरा ब्लड ग्रुप हिन्दुत्व पॉजिटिव है,और रंग भगवा है, जब तक शरीर में जान रहेगा, हिन्दुत्व के लिए आवाज उठाता रहूँगा.!! जय जय श्री राम🚩🚩 #JAI_SRI_RAM #hindutva #bhagva मेरा ब्लड ग्रुप #हिन्दुत्व_पॉजिटिव है,और रंग #भगवा है, जब तक #शरीर में #जान रहेगा हिन्दुत्व के लिए आवाज उठात
vishnu prabhakar singh
'देश रंग' इस होली, केवल राजनीति के रंग भगवा,हरा,लाल,और काला कुछ चढ़ता नही,कुछ ऊतरता नहीं अनेक रुप-रंग,और इन सबों का निर्मित मिश्रण इस होली। दहन पश्चात उल्लास नजदीकियों का पर्व अपने लाम-लपेट में बहका मदमस्त,भूख से भरा जीविका में खोये समाज की भंग गोली मिश्रित होली, राजनीति तेज,विकास मध्यम, देश विकासशील,और उन्मत्त होली! गरीबी से हल्का गहरा रंग मुख्यधारा सुधार की रंगत लिये फागुन नीयत की क्रिया चक्र में घूमता गुलाल प्रतीक्षा रूपी धुंध सा गर्दम-गोल धुरखेल अंत नहीं जैसे,आँखों में चुभता बनावटी रंग अवरोही हतोत्साहित पिचकारी बडी मुद्दतों से खाली पडी मुद्दा पकवानों के भीड में खाली पेट सोया मलमल लाल-लाल धब्बो से भरा गया,बासी होली चुहलबाजी की आदर्श हमजोली मिश्रित होली । होली की अशेष शुभकामनाएँ।।💟🙏💟 'देश रंग' इस होली, केवल राजनीति के रंग भगवा,हरा,लाल,और काला
सुसि ग़ाफ़िल
चलो मैं बात बताता हूं तुम सुनो ना ध्यान से चल रही हवा मौसम साफ है ओने पोने दाम में शराब मिल जाएगी खैर शराब की तो जरूरत है ही नहीं चलो मैं बात बताता हूं तुम सुनो ना ध्यान से कोई नु
रजनीश "स्वच्छंद"
आओ मेरे हमवतनों।। आओ मेरे हमवतनों, जश्न-ए-आज़ादी मनायें, गुमराह हुए लोगों को हम आज़ादी समझायें। मरता जो सरहद पर, क्या धर्म क्या मज़हब था, उतरा जो शीश धड़ों से भारत का लहू सब था। वो मां भी थी कैसी जिसने ये बाँकुर लाल जना, कट धरा पे शीश गिरा, फिर भी सीना था तना। ये मतवारा कब जाना था रंग भगवा या की हरा, जब लड़ जान गई उसकी रोई थी अपनी धरा। अपनी धरा के आंसू से अपनी आजादी सुनाएँ। आओ मेरे हमवतनों, जश्न-ए-आज़ादी मनायें। भगत कहो आज़ाद कहो सबमे आज वो बसते हैं, भारत ने पूत जना ऐसा धरती आकाश ये कहते हैं। लहू लाल है आज हमारा आज तिरंगा ऊंचा है, काश्मीर से कन्या तक भारत अपना ये समूचा है। पिघल हिम बता रहा भावों का मिलन जरूरी है, आओ मिल जायें आज गले, मिट जानी ये दूरी है। हाथों में डाले हाथ चलो मिल ये वादी बचायें, आओ मेरे हमवतनों, जश्न-ए-आज़ादी मनायें। ©रजनीश "स्वछंद" आओ मेरे हमवतनों।। आओ मेरे हमवतनों, जश्न-ए-आज़ादी मनायें, गुमराह हुए लोगों को हम आज़ादी समझायें। मरता जो सरहद पर, क्या धर्म क्या मज़हब था, उतर
शुभी
'शुभी' को लिखूँ ऐसी मेरी हस्ती कहाँ है? (check caption) कलम की स्याही इतनी सस्ती कहाँ है, ख़ुद को लिखूँ ऐसी मेरी हस्ती कहाँ है. परचम का रंग भगवा हरा हो चला, इंसान को देखूं वो बस्ती कहाँ है. ज़फ़
Tarun Vij भारतीय
सियासत ने ऐसा खेल रचा, के तिरंगा भी रंगों में बंट गया इसलाम को हरा, हिन्दू को भगवा दो रंगों में ऊंट गया बस रह गया बाकी रंग सफेद, मुर्दा लाशों को ढकने को आवाम पर सियासी नशा है चढ़ा मज़हबो में बंटने को ना जाने क्यों इक दूजे के खून से आवाम रंगा है जब हर किसी के दिल में बसता इक तिरंगा है देशभक्त इस ओर भी है, देशभक्त उस ओर भी है फिर क्यों राम अल्लाह के नाम पर, अखलाक चंदन माटी होते हैं क्यों जलते हैं शहर आए दिन, और तिरंगा जलता है सियासत की इस जंग में कोई सियासी क्यों नहीं मरता है कोई सियासी क्यों नहीं मरता है... (Read Caption too) रंग बिरंगा मुल्क था वो, जहां होड़ लगी थी रंगों में देशभक्ति यहां ज्यादा बहती है किसकी रगो में एक ओर खड़ा था हरा रंग, दूजी ओर जोर में भगवा था