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Govind Pandram
वो इंकार नहीं करते.. हम इंकार नहीं करते। वो इजहार नहीं करते.. हम इजहार नहीं करते। है इश्क़ मगर दोनों ही.. ये स्वीकार नहीं करते। वो इकरार नहीं करते.. हम इकरार नहीं करते। ©Govind Pandram #मुक्तक लिखने का प्रयास
Mohan Sardarshahari
जुबान मिलाये जुबान बिछुड़ाये जुबान बुझाये ज़ुबान लगाये जुबान उठाये जुबान गिराये ज़ुबान रहम जुबान कर्म जुबान बंद तो रहे भ्रम जुबान खुले तो कहां शर्म जुबान का कम उपयोग है अद्भुत योग ज्यादा उपयोग परेशानी का प्रयोग।। ©Mohan Sardarshahari परेशानी का प्रयोग
Ganesh Din Pal
डॉक्टर ने क्या खूब नुस्खा लिखा- यह है पैरासिटामोल , इसे लेना सुबह और शाम। जब निकलने लगे आप की बोली , छोड़ देना अपनी यह गोली । जब तक नाक की नली बहती रहे , तब तक आप यह सिरप पीते रहें। जब होती रहे पेट में गुड़ गुड़, तब लेते रहना यह टेबलेट मुड़-मुड़। 🌹🌹🌹🌹🌹🤔🌹🌹🌹🌹 ©Ganesh Din Pal #डॉक्टर का नुस्खा
Shayar Samar S M
शब्दों का प्रयोग बड़ा सोच समझ कर किया जाता है क्योंकि एक शब्द से कोई अपना तो एक शब्द से कोई बेगाना हो जाता है ©Shayar Samar S M शब्दों का प्रयोग #Music
Shayar Samar S M
शब्दों का प्रयोग बड़ा सोच समझ कर किया जाता है क्योंकि एक शब्द से कोई अपना तो एक शब्द से कोई बेगाना हो जाता है ©Shayar Samar S M शब्दों का प्रयोग #Music
Shayar Samar S M
शब्दों का प्रयोग बड़ा सोच समझ कर किया जाता है क्योंकि एक शब्द से कोई अपना तो एक शब्द से कोई बेगाना हो जाता है ©Shayar Samar S M शब्दों का प्रयोग #Music
writer abhay
जंग में लड़ने वाले सब खार गये, दुश्मन जीत आये, दोस्त हार गये. कल तक मिलते थे मेरा हाल पूछने, मरते ही मेरे घर बनके कर्ज़दार गये. खार का प्रयोग - राख़
Ek villain
मानवता ज्ञानी मनुष्य के अंत करण में दया एवं संवेदना भाव का होना यह भाव मनुष्य का अन्य मनुष्यों और दूसरे तमाम अन्य जीवो के लिए होता है मानवता की भावना रखने वाले मनुष्य सदैव दूसरे की भलाई के लिए प्रस्तुत रहते हैं मनुष्य ही संसार में ऐसे प्राणी है जो सभी भावनाओं को समझ सकते हैं मनुष्य में असाधारण मानवता के सबसे उत्कृष्ट उदाहरण में से एक इस प्रकार चरित्र किया गया है मानवता का अर्थ जब भी और जहां भी संभव हो दूसरे की देखभाल करना और उनकी मदद करना है भारतीय दार्शनिक परंपरा के सशक्त प्रतिनिधि जो कृष्णमूर्ति का कहना था कि अपने जो कुछ भी परंपरा देश और काल से जाना है उसे मुक्त होकर ही अपने सच्चे अर्थ में मानव बन पाएंगे मनुष्य की सर्वप्रथम मनुष्य होने से ही मुक्ति की शुरुआत होती है किंतु आज का मानव हिंदू बौद्ध ईसाई मुस्लिम अमेरिका अरबिया चीनी होने जैसे पहचान के भरम में फस गया है सामाजिक सहचारी में ही मानव में करुणा से सुनता और प्रेम जैसे गुणों का विकास होता है मानवता का विकास इन गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इस संदर्भ में खलील जिब्रान ने कहा है कि मानवता का वास्तविक स्वरूप शांतिपूर्ण हृदय में है वाचन मन में नहीं धरती पर प्रेम आत्मीयता एवं दूसरों के हित में लगे रहने ही पूर्ण है इसलिए लोगों को मानवता का भाव प्रसिद्ध कराते हुए प्रेम संदेश का प्रसार करना चाहिए किसी व्यक्ति से देख भेदभाव नहीं करना चाहिए समाज को मानवता से खींचने की आवश्यकता है मानवता से खींचा हुआ समाज ही एक आदर्श समाज की आधारशिला बन सकता है इससे हमारे समाज को विभाजन करने का शिकार बना दिया है यदि मानवता भाव के माध्यम से समाज में समरसता का सूत पात्र होती है तो इससे सामाजिक शांति सुनिश्चित होगी यही शांति समृद्धि की पहली शिर्डी बनती है ©Ek villain #मानवता का प्रयोग #govardhanpuja
Shyamal Kumar Rai
पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना अरे वही जो इमरान भाई की दुकान से लिया था मंदिर के सामने वाली दुकान जहां मंदिर मेे जाते हुए लोग अपनी चप्पल रख जाते हैं इमरान भाई कोई भाड़ा जो नहीं लेते कुर्ता अब गलें पर कुछ चुस्त सा लगता है मानो दम घोंट रहा हो उसमे कुछ हरे रंग के डोरे भी दिखते हैं पहले भी थे शायद? पता नहीं अब आखों मेे चुभते हैं जिन मुसलमान हाथों ने बुना है इनको मानो अब सूई पिरो रहे हो मेरे जिस्म में मंदिर के आगे ही दुकान रखी है मस्जिद के आगे क्यों नहीं? बनने के लिए पैसे भी नहीं लेते मौके की ताक में हैं शायद नहीं नहीं ये सब मैं क्या सोच रहा हूं? दिया जलाया हैं आज दीवाली का उसी चुस्त कुर्ते में दम बंद हो जाए शायद मजहबी खयालों का। दीवाली का कुर्ता #ManKaRog