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Divyanshu Pathak
जतिन नाथ दास ---------------------- स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक जो आज ही के दिन 13 सितम्बर सन् 1929 को वीरगति को प्राप्त हुए। कैप्शन में पूरी जानकारी पढ़ें---- 💐 लाहौर जेल में भूख हड़ताल के 63 दिनों के बाद जतिन दास की मौत के सदमे ने पूरे भारत को हिला दिया। स्वतंत्रता से पहले अनशन(उपवास) से शहीद होने
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
मूक हुई यहां पर सत्ता, बेड़ियों में बंधकर रह गए प्रशासन के हाथ। दर दर भटक रही यहां गरीब जनता, नही देने वाला है कोई इनका साथ।। सड़को पर है अपना मासूम पड़ा, मासूमियत लगाती है आवाज़ यहां। प्रशासनों में तो है अपनी अश्रव्यता, चाहे जितना भी चीखें अपना संत्रस्त जहां।। कहीं कहीं पर है निवाला फेंका जाता, कही पेट दबाकर है कोई सोता। आम जनता चाहे जितना भी लगाएं गुहार, सुनने वाला नही कोई होता।। हैवानियत भी सर चढ़कर बोल रही, पर नही यहां पर कोई जिम्मेदारी लेता। भ्रष्टाचार में संलिप्त हुई प्रशासन, औरों के भी हिस्से का सब कुछ लेता।। पैसों की है बस यहां लूट मची, नही होती है अब भावनाओं की कद्र यहां। बेड़ियों में बंध गया प्रशासन, दया, भाव, प्रेम, त्याग, समर्पण, सब मिट गया यहां।। #प्रशासन #बेड़ियों में प्रशासन #बेड़ियों
नेहा उदय भान गुप्ता
मूक हुई यहां पर सत्ता, बेड़ियों में बंधकर रह गए प्रशासन के हाथ। दर दर भटक रही यहां गरीब जनता, नही देने वाला है कोई इनका साथ।। सड़को पर है अपना मासूम पड़ा, मासूमियत लगाती है आवाज़ यहां। प्रशासनों में तो है अपनी अश्रव्यता, चाहे जितना भी चीखें अपना संत्रस्त जहां।। कहीं कहीं पर है निवाला फेंका जाता, कही पेट दबाकर है कोई सोता। आम जनता चाहे जितना भी लगाएं गुहार, सुनने वाला नही कोई होता।। हैवानियत भी सर चढ़कर बोल रही, पर नही यहां पर कोई जिम्मेदारी लेता। भ्रष्टाचार में संलिप्त हुई प्रशासन, औरों के भी हिस्से का सब कुछ लेता।। पैसों की है बस यहां लूट मची, नही होती है अब भावनाओं की कद्र यहां। बेड़ियों में बंध गया प्रशासन, दया, भाव, प्रेम, त्याग, समर्पण, सब मिट गया यहां।। #प्रशासन #बेड़ियों में प्रशासन #बेड़ियों
GUNENDRA SINGH PORTE
हम तो बैठे हैं अपने आसन पे, पर आप तो बैठे हैं सिंहासन पे। पटवारी आरआई बिक जाते हैं, अरे धिक्कार है ऐसे प्रशासन पे।। रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते "अविराम" फिंगेश्वर राजिम गरियाबंद छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ ©GUNENDRA SINGH PORTE प्रशासन पे
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
"जेल" हकीकत में जेल कहां होती है? जहां मन की शांति नही होती है स्वर्ण पिंजरा भी किस काम का, जिसमे गुलामी की बू होती है सच में जेल विचारों की होती है जैसे विचार वैसी खुशियां होती है हमारी अच्छी-बुरी सोच से ही, जिंदगी हंसीन-गमगीन होती है अच्छी विचार रखने से ही साखी, नर्क में जन्नत की तस्वीर होती है आज सोच का दायरा बदल गया है, आधुनिकता से आदमी छल गया है, अपूर्ण चीजों में हंसी कहां होती है सच्ची खुशी तो परिवार में होती है मन की जेल यहां सबसे बुरी होती है इसमें जिंदगी मौत से बदतर होती है जिस जगह विचारों की स्वतंत्रता, वो जगह ही सच मे जिंदा होती है बाकी सब जगह तो जग में साखी, मुर्दाघर की ही पहचान होती है दिल से विजय जेल
Rajinder Raina
घर भी अब तो जेल लगे है, खत्म सारा ही खेल लगे है। तंगी उदासी ने आ घेरा है, मेल भी अब बेमेल लगे है। कैसे करलूं कोई भी वादा, इन तिलों में न तेल लगे है। तंग जूती है चलना मुश्किल, ओर पैरों में कील लगे है। रैना"कैसे तय करे रस्ता, दूरी कई सौ मील लगे है। ........रैना ©Rajinder Raina जेल #Hope
Deepa Didi Prajapati
जेल,मंदिर से पवित्र वह स्थान है जहां कुछ कसूरवारों के बीच कुछ बेकसूर बिलखकर परमात्मा को पुकारते हैं ©Deepa Didi Prajapati #जेल#बेकसूर
Dinesh Pandey
इसमें क्या वे पुलिस भी अरेस्ट हैं जिन्होंने आतंकी भीड़ को काबू करने की कोशिश तक नहीं की और उसे निर्दोष को मारने के लिए छोड़ दिया? अगर नहीं तो यह एक्शन ऑय वाश है। प्रशासन की नाकामी
Yashpal singh gusain badal'
एकबार एक प्रसिद्ध पत्रकार कर रहे थे किसी क्षेत्र से साक्षात्कार उन्हें लगा उनकी बहुत दिनों से नहीं छपी कोई धमाकेदार खबर जिसका हो पूरे प्रशासन पर असर सो इसी उधेड़बुन में चले जा रहे थे कई प्रश्न उनके दिमाग में चक्कर लगा रहे थे अचानक कुछ देखा! लगा मिल गया है कोई मसाला फिर सोचा ,प्रशासन की कृषि नीति में है कोई घोटाला ! इतने बड़े खेत में, इतनी कम पैदावर ! फिर तो इस सरकार का रहना है बेकार! पत्रकार महोदय ने लिखनी शुरू कर दी सरकार की आलोचना, लिखा- पैदावार की दुश्मन हो गयी है सरकार की गलत कृषि योजना । लिखा-पैदावार होती!अगर होते उन्नत बीज,नहरें,खाद और प्रशिक्षण, तो आज न आते लोगों के सामने ये भुखमरी के क्षण, फिर जाकर छपवा दी किसी अखबार में वो खबर, फिर इंतजार करने लगे कि खबर का क्या होता है असर प्रशासन ने पढ़ी आलोचना तो उनका दिल घबराया , उन्होंने इसे सत्ता पर विपक्ष का हमला बताया ! मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगी मंत्रियों को बुलाया , और अपनी इस नई समस्या से साक्षात्कार करवाया , फिर आवश्यक निर्देशों के साथ एक फंड पास करवाया , तथा प्रशासकीय गलियारों के रास्ते फंड उक्त क्षेत्र को भिजवाया । साथ ही अखबार में घोषणा कर डाली कि हमने व्यवस्था सुधार हेतु रकम उक्त क्षेत्र को भिजवा डाली मगर फंड गांवों तक पहुंचते-पहुंचते हो गया जीरो ! और प्रशासन हो गया हीरो ! प्रशासन की उक्त घोषणा सबने पढ़ी ! मगर पैदावार नहीं बढ़ी । शेष अगले पृष्ठ में ................... यशपाल सिंह "बादल ©Yashpal singh badal प्रशासन (व्यंग) #WorldAsteroidDay
Rajesh Khanna
अभी नया नया आया हूं इस शहर में प्यारा तो लगेगा ना जब आयेगी मुझे मां की याद तब ये VIP HOTEL भी जेल नजर आने लगेगी ©Rajesh Khanna #City जेल