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Champa Rautela

वो अक्सर बारिशों का पक्ष लेते है,
लेते है कलम और कागज़ कुछ ख़ास लिखते है,

जो ख़ुशबू रह जाती है मिट्टी में,
उसी ख़ुशबू का अंश रखते अपने लेख में,

जैसे जैसे हवा को मोह लगता है फूलों से,
मानो ख़ुशबू फूलों में अहसास हो यादों से,

दूर कहीं पहाड़ो में घर एक हुआ करता है,
यादों का बसेरा और दुआ का सवेरा साझा करता है,

देखा है प्यार भरा बोल गाओ में कहा शहर जैसा घोल,
ना गालियां गहरी ना बातो में झोल,

मस्वारा भी स्नेह भरा,
स्नेह भरा है वचन सारा,

आज भी देखा अपनों जैसा रंग सभी में,
रंग में डूबे गीत यहां पहाड़ो में,

जाने को रहने को यही एक प्रदेश लगता,
अब नहीं लगता शहर घर तो बस गाओ लगता, #गाओ

Snehi Uks

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Vishal Chavan

#सखी

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सखी..
हिरव्यागार देठावर, लालभडक जास्वंद डोलते...
जे जे सुंदर त्या सगळ्यातून, सखी माझ्याशी बोलते....

काठोकाठ प्रेमरस आणि अनुपम अनुराग,
माझी सखी म्हणजे, जणू स्वर्गातली बाग...

झाड वेली फुल पानांवर, जीव जडतो तिचा..
माझी सखी प्रेमग्रंथातील, सर्वोत्तम ऋचा...

Vishaal/Aadinaath 
12-07-21

.

©Vishal Chavan #सखी

Shilpa Suryavansi

सखी

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तू तिथे मी इथे दोघी आहोत सुखी
तरी कसली तरी आहे तुझ्या आयुष्यात कमी
याची मी देते हमखास हमी
कारण होतो कधी तरी जिवलग सखी सखी

kuldeep vaishnav

सखी

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हैं गलत उसको बेवफा कहना
हम भी कहा के धुले धुलाये थे,


आज कांटो भरा मुकद्दर है

हमने गुल भी बहुत खिलाये थे। सखी

ऋतुराज पपनै

love according to me is सखी वो देखो धरती पर स्वर्ग सा सुंदर धाम है।
राम लला का घर वो अयोध्या रहते वहाँ श्रीराम हैं।

©ऋतुराज पपनै #सखी

Jaya Dilip Goswami

सखी #PulwamaAttack

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#PulwamaAttack यह सच है बदल गयी हूँ मैं !उम्र आने पर संवर गयी हूँ मैं | हाँ यह सच है ,कुछ-एक सफ़ेद बालों की गरिमा से भर गयी हूँ,एक औरत से माँ बन गयी हूँ मैं !

 सबको प्यार से संभाला अब तक, अपनी जरूरतों को प्यार से सहलाया आज ,हाँ ,थोड़ी -थोड़ी सी बदल गयी हूँ मैं ......

रिश्तों को निभाती हूँ ,उससे जुड़े भार नहीं ढोती ,कितने बोझ अपने कन्धों पर लेकर चलूँ , समझ में आ गयी है यह बात कि ,आखिर औरत हूँ,धरती  नहीं हूँ मैं !

आजकल दूसरों को  एकदम से सलाह नहीं देती ,अगर उसकी स्थिति मेरे समझ से बाहर हो | अपने ज्ञान का प्रर्दशन करने से पहले, दूसरों को सलाह देने से पहले, खुद को टटोलने लगी हूँ मैं !

उनको इज़्ज़त देती हूँ, उनका पक्ष जानने की कोशिश करतीं हूँ,,सासु माँ को सास रहने देतीं हूँ ,माँ समझकर अपनी अपेक्षाएं नहीं बढाती अब,लगता है खुश रहने लगीं हूँ मैं !
 आजकल सब्जी वाले ,ऑटो वाले  से ,काम वाली से बिन बात  मोलभाव नहीं करती , शॉपिंग मॉल में लुटे पैसे का भाव समझ गयी हूँ मैं |

जानती  हूँ खुद को सजाना  ,संवारना जरुरी है  पर खुद को सँवारने से पहले आत्मा पर पड़े मैल खुरचने लगीं हूँ मैं !लगता है अब निखर गयीं हूँ मैं !

थक जाने पर शरारतें बच्चों की  परेशां करतीं है ,पर अब उनपर चिल्लाती नहीं ,उन्हें समझने की कोशिश में लगीं हूँ मैं !गीली मिट्टी सवांरने लगीं हूँ मैं !

बुजुर्गों के किस्सों मे उनके बचपन को जी लिया करतीं हूँ ,अनेकों बार सुनी उनकी बातों पर आज उन्हें टोकती नहीं बस पहली बार सुना हो वैसे मज़े लेने लगीं हूँ मैं |

हरेक दिन को आखरी समझ कर जीने का तरीका सीख रहीं हूँ  ,अपने इस नए "मैं" से प्यार करने लगीं हूँ मैं !
वक़्त से पंख उधार लेकर तितलियों सी उड़ने लगी हूँ मैं, फिर भी पैरों के नीचे जमीन रखतीं हूँ ,

                            "खुद से दोस्ती करने लगी हूँ मैं !" सखी

Avinash lad

सखी..

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सखी...
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सय दाटुनिया येता
         मन धावे घरभर
        जसे लाजाळूचे झाड
                 डोई घेउनी पदर

सखा येईल येईल
    भास जागवी पापनी
         डोळा लागे वाटेवर
          हळू सोसूनिया पाणी

घुसमटीचे वादळ
      दार घेई सावरून
      लाज दिसता गालात 
         स्वप्न डोळ्यात पाहून

कंठ लागता सुरात
    देई अमृताची गोडी
      सखी हळव्या मनाची
          अंगी भरझरी साडी

लाज दार लपवितो
    सुखदुःख सावरून
       लक्ष्मी राबते घरात
         हासू सुखाचं आणून

सखी आठवात सदा
    ओढ लावून दारात
           रूप देखणे सुंदर
          शोभे आनंदी घरात

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विठूपुत्र - अविनाश लाड,
राजापूर-हसोळ7 सखी..

Sneh Prem Chand

तेरा मंगल मेरा मंगल

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RJ Prasad...

# सखी

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ही थंड गुलाबी हवा मज ,
जेव्हा स्पर्श करून जाते...

सखे तुझ्या उबदार प्रितीची ,
पुन्हा एकदा आस लावते...

         ✍️ Prasad....
                      ( एक होता कवी...) # सखी
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