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Raj Mani Chaurasia
नोजोटो परिवार के सभी साथियों को १५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ©Raj Mani Chaurasia १५ अगस्त जिंदा बाद #India2021
Dr.Dharmraj sehra
बलात्कार मुक्त भारत की इच्छा रखता है मै, इस १५ अगस्त पर मेरी तरफ से व्यंग k रूप में एक कविता #Drpoetry #rapefreeindia
Deepali Mestry
वादळात ठाम उभे असलेले वृक्ष ही उन्मळून, मोडून पडतात पण वाचतात, तग धरतात ती गवताची लवचिक पाती शब्दवेडी #१५/३६५
Deepali Mestry
सून जरा ए तकदीर अब तो हाथों की लकिरे भी मिट गयी आंसू पोछते पोछते शब्दवेडी #१५/३६५
REETA LAKRA
स्वर्ग के अप्राप्य रंगों से सजा मेरा भारत है शांति की कुटिया । मेरे देश का निर्माण हवा में नहीं हुआ मेरे देश का निर्माण हवा में नहीं हुआ जगमगाता विवेकानंद स्मारक हिमगिरि किरीट मस्तक किबिठू बसा अरुणाचल कच्छ सजा गुजरात मेरे देश का निर्माण हवा में नहीं हुआ । मेरे देश का निर्माण हवा में नहीं हुआ ।। ३२८/३६६ १५ अगस्त २०२० के अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भाग लेने पर मैंने यह स्वरचित कविता प्रस्तुत की ।🙏 कृपया मेरी रचना को लाइक करें 🙏 #कविसम्मेलन
bhishma pratap singh
REETA LAKRA
आज़ादी यूं ही नहीं मिली, जानें गईं कई कुंओं में, बच्चों ने पिता खो दिए, बहा रक्त - रुधिर धाराओं में। माताओं की गोद उजड़ी, सिंदूर से मांग हुई खाली, कलाइयाँ हो गईं सूनी, राखी वाली बहन गंवाईं। वीरांगनाओं ने आबरु खोई, वीरों ने गोलियाँ खाईं। करो इसकी रक्षा तुम, इस आजादी का मान रखो तुम । मिली है जो अमूल्य आज़ादी , करो न इसको ज़ाया तुम। धर्म मजहब और जाति से, ऊपर उठो तुम, आगे बढ़ो तुम। इंसान हो यदि पशु नहीं , तो इंसानियत को मानो तुम। सीमा पर आज भी खड़े हैं, मेरे वीर निडर जवान, तभी तो आज मना रहा, आज़ादी का जश्न हिन्दुस्तान। बहता रहे रगों में सबकी बनके लहू यह हिन्दुस्तान, फहराया हमने यह तिरंगा, बढ़ाया ७४ वें स्वतंत्रता दिवस का सम्मान। जय भारत।३२५/३६६ १५ अगस्त २०२० के अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भाग लेने पर मैंने यह स्वरचित कविता प्रस्तुत की। 🙏 कृपया मेरी रचना को लाइक करें। #कविसम्मेलन
REETA LAKRA
मेरे देश की संस्कृति मेरे देश की संस्कृति, सद्गुणों की है जननी। व्यक्तित्व निर्मात्री, विलक्षण है भारतीय संस्कृति। राजा को राज-काज सिखाती, संस्कृति की रक्षा करना सिखाती। सुदृढ़ सिद्धांतों की है आधारशिला, अतीत से उसपर ही विराजती। भारतीय चरित्र में धैर्य ममता, सिद्धांतों में सहयोग सहनशीलता, आदर्शों में परोपकार मित्रता, हर सदी में नव चेतना संचारता ।। नहीं यह कोरी कल्पना, अपितु है व्यावहारिक सत्यता स्वाभिमानी है भारत की सभ्यता, स्वाभिमानी है भारत की सभ्यता, आज का दिन आज की शाम, देश के नाम देश के नाम ।। ३२६/३६६ १५ अगस्त २०२० के अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भाग लेने पर मैंने यह स्वरचित कविता प्रस्तुत की ।🙏 कृपया मेरी रचना को लाइक करें 🙏। #कविसम्मेल