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Janeमन ❤️
मुझे खुशबू पसंद है मीठा नही प्यार का एहसास काफी है दिखावे की महोब्बत नही - karan ❤ प्रेम के प्रति राय #दिखावा #प्रेम
Aniket Mahato
आग बुझी है दरारे जुड़ी है सूरज उठा है आज सत्य बोलता हूँ गीत नया गाता हूँ || गीत गाता हू
arvind bhanwra
राहे मन सुगम संगीत का, आलाप सा बन जाए हो कोई वैरी नगरी मे प्रेम का गीत सुनाए। arvind bhanwra प्रेम गीत ।
जिंदगी का जादू
सोचते रहने से हल नहीं आएंगे यह दिन लौट कर कल नहीं आएंगे जो सूखी हैं आंखें बिरहा ग्रीष्म में इन कुओं में अब जल नहीं आएंगे पनघट पर गागर एक फूटा हुआ जैसे हो दिल कोई टूटा हुआ पांव जल में नहीं वह महावर रंगे पानी में भी कमल नहीं आएंगे #प्रेम गीत
Parasram Arora
मेरे पास क्या है? जो मैं दें सकता हूँ तुम्हे आज हमारी इस वैवाहिक. सालगिरह पर क्यों न हम इस बात को लेकर चर्चा करे और चर्चा क़े बाद थोड़ी सी थोथी बहसभी क़र ले और ज़ब इसक़े बावजूद भी अगर सार कुछ भी न निकल पाया तो अच्छा होगा मैं तुम्हारे लिए एक ऐसा प्रेम गीत लिखूं जो गा सकेगा मेरे प्रेम को तुम्हारे ह्रदय मे तब तक ज़ब तक इस विश्व का पुनःनिर्माण नहीं हो जाता ©Parasram Arora प्रेम गीत......
जीtendra
यदि कोई आपसे स्वयं की मनोदशा के आधार पर प्रेम करता है तो वह आपसे प्रेम नहीं करता, वह स्वयं की चाह के लिए, तुम्हारे प्रति प्रेम का मात्र दिखावा करता है... #प्रेम #मनोदशा #भाव #दिखावा
गुलशन गुलज़ार
काश तू मेरे हिस्से में होती अगर, दो जिस्म और एक जान होती मगर, तेरे हर एक बातिल न पहचाने हम, अगर पहचान जाते न रोते हम। जुदाई रही तेरे इंतजार में, तेरा सजदा किया हर इतवार में, तेरे इश्क़ में खुद को बेगाना किया, पहले पागल थे तो अब दीवाना किया, गलतफहमी बड़ी पाल रखे थे हम, तुझे पाएं और तेरे हो जाएं हम, तेरे हर एक बातिल न पहचाने हम, अगर पहचान जाते न रोते हम। खुद से ज्यादा हमने चाहा तुझे, आग दिल में लगी वो कैसे बुझे, एक दिन मिलोगी तो रो दोगी तुम, हाल अपना बताएंगे तुमको हम, एक तरफा इश्क़ करते है हम, राहें इश्क़ की क्या हैं न समझोगी तुम, तेरे हर एक बातिल न पहचाने हम, अगर पहचान जाते न रोते हम। इश्क़ जिस्मो से हम करते नही, अगर जिस्मो से करते तो वो इश्क़ नही, तुझको पाया नही साथ है तेरा गम, इश्क़ है जो तुमसे न होगा वो कम, मशवरा है मेरा याद करलो सभी, इश्क़ करना नही प्यार करलो सभी, याद तेरी दिल से मिटायेंगे हम, महफ़िल में तेरी न आएंगे हम, तेरे हर एक बातिल न पहचाने हम, अगर पहचान जाते न रोते हम। प्रेम गीत
HANAMANT YADAV (कवीराज)
तुझवीना.. तुझवीना माझे मना, काही कसे हे समजेना. सांगायाचे कसे तुला, मला सखे हे उमजेना. जीव बेधूंद झाला, नजरेत कैद झाला, धावुन ये आता प्रिये, हाक ही तू ऐक ना... तुझ्यावीना माझे मना... शोधू कुठे सांग तुला, माझ्या रे प्रित फुला. आठवतो तुच मला, श्वास ही माझा थांबला., तुझ्यावीना दिस सुना, रात सुनी क्षण ही सुना, जगू कसे तुझ्यावीना , एक ना साजना, साद ही एक ना, तुझ्यावीना माझे मना, काही कसे समजेना... कविराज...© प्रेम गीत...