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Geetkar Niraj

प्रकृति पर कविता। #natre #Poemonnature #geetkarniraj

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Geetkar Niraj

प्रकृति पर कविता/poem on nature #Nature #nature_lovers #geetkarniraj #nogotohindi

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nikhil thakur

प्रकृति पर छोटा सा कविता

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Asha Shukla

कविता प्रकृति का दरबार

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विष्णुप्रिया

वह बसंत का रंगोत्सव,
वर्षा की वह मुग्ध सुगंध,
शरद पर्णिमा का निर्मल
शीतल चंचल वह पूर्णचंद्र,

वह पतझड़ के पर्णो का स्पन्दन
नव कोपलों की वह सिहरन....
जिन पर विहगों का मधुमय गान,
और नादिया का मीठा पान,

कशी के घाटों की वह चहलपहल,
और वह गंगा का पावन जल
अल्हड धारा जिसकी भरती,
मन में मेरे, नव जीवन संबल ।

ऐसा अनुपम रूप शाश्वत,
अन्यत्र क्हाँ संभव है,
ये तो मेरी मातृभूमि को
ईश्वर का प्रेम नमन है ।
  #yqdidi  #कविता #प्रकृति 
#yqlife

NC

बेचैन है ये दुनिया सारी प्रकृति पुरुष नारी
बेचैन समंदर साहिल से टकराता है

बेचैन नदियां समंदर में खो जाती हैं
बेचैन बादल बरसते बूंद बनकर 

बेचैन दुनिया धर्म को अपनाती है
शांति के सुकून के गीत गाती है

बेचैन दुनिया अपने अंतर से है हारी
ये कैसा अन्तर्द्वन्द है दुनिया में जारी #nojotohindi#बेचैन#प्रकृति#कविता#poetry

Raj Mani Chaurasia

आबादी ( कविता ) # भीड़# बेरोजगारी# प्रकृति #शायरी

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आज मिली इतनी आजादी है,
की बढ़ती गई इंसानों की आबादी है।
अब हर जगह भीड़ सा दिखता है,
पेड़ों को काट नया बस्तियां बनता है।
इसी लिए तो भूख है प्यास है,
रोजगार का कहा अब आस है।
जंगल सब ख़तम हुवे,
जानवर सारे भस्म हुवे,
प्रकृति भी डगमगाया है,
इसी लिए नया नया रोग बिखर आया है।
आज इस बढ़ती आबादी ने,
क्या कोहराम मचाया है,
देखो चप्पे चप्पे पे,
एक अजब सा शोर छाया है।।

©Raj Mani Chaurasia आबादी ( कविता )
# भीड़# बेरोजगारी# प्रकृति

vk

प्रकृति के प्रति #LostLegends #कविता

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Banwari lal kumawat

तपती धूप में तपता इंसान...।
बड़ी शान से तपता इंसान...।।

मानो लोहा ले रहा भास्कर से...।
जीत कर बैठा हो भास्कर से...।।

शौर्य से भी शारीरिक दुर्बलता हारी।।
जीवन के पट खोलते विडंबना हारी।।

वीर करे वार चाहें,वाणी हो या तलवार।।
रक्त धाराओ से सिंचे,ताड़ हो या तलवार।।

जो बांधा ना जाये उम्र की सीमाऔ से...।
ह्रदय प्रबलता आकी ना जाये सीमाऔ से...।

धैर्य-धीरज के निश्छल भाव निराले...।।
धर्म-कर्म के शिखर भाग निराले...।।
 
प्रकृति के हाथ मिलाये चला आ रहा।।
कड़ी धुप मेें भी अपनी धुन चला जा रहा।। #quote #quotes #quotedidi #कविता  #प्रकृतिकीबातें #प्रकृति

Choubey_Jii

प्रकृति मुझे प्रेम है तेरे हर एक रूप से
तेरी शीतलता भरी छाँव से तेरी आकर्षक धूप से

नदियों में कल कल बहते पानी से
समुन्दर में उठती ऊंची लहरों की रवानी से

सपाट पड़े मैदानों से और ऊंचे नीचे पठारों से
मेरे दिल को अथाह प्रेम है तेरे गगनचुंबी पहाड़ों से

तेरी कोख से उत्पन्न पौधे से और बूढ़े सारे दरख्तों से
मनमोहक इन नज़ारों से और तेरी सुबह शाम के वक्तों से

गगन में उड़ते पंछी से और भूमि में रेंगते सूक्ष्मजीवों से
जंगल में विचरण करते फिरते रहते सभी सजीवों से

मुझे प्रेम है तेरी हर इक रचना से, निर्जीवों की संरचना से
झुककर तुझे सजदा करूँ और स्नान करूँ प्रेम रूपी इस झरना से

#चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #कविता #प्रकृति #nature #beauty
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