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Parasram Arora
ह्रदय में खुलापन न हो तो क्या बाह्य स्वरूप कभी सुंदर रह सकता है? क्या सौंदर्य का अर्थ शृंगार औऱ अलंकरण हैँ? क्या सौंदर्य का बाह्य दिखावा नाजुक संवेदनशीलता का परिचय हो सकता हैँ? क्या सौंदर्य का दर्शन करने का अर्थ असुंदर का दर्शन टालना हैँ? जिस प्रकार फूलों का सौंदर्य खुल कर दीखने के लिए फूलदान भी सुंदर होना चाहिए..... उसी प्रकार सौंदर्य तो बाह्य औऱ आंतरिक दोनों का संयोग सौंदर्य का . सही प्रस्तुतिकरण हैँ सौंदर्य का विशलेषण......
Vipin Arya
मेरी कलम भी है वाफिक मेरे जज्बातो से में इश्क भी लिखना चाहू तो इंक़लाब लिख जाता है क्रांति का सूर्य
Mohan Sardarshahari
फूल तो रोज छूते हैं कमाल तेरे हाथ का यों लगता है जैसे संचार हुआ जिश्म में प्रभात का ©Mohan Sardarshahari संचार प्रभात का
Ek villain
गोस्वामी तुलसीदास ने केवल हिंदी वाघनीय के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं बल्कि भारतीय साहित्य के ऐसे अन्यतम कवि हैं जिनकी व्याप्ति सदियों से है जीवन व्यवहार समाज आदर्श और करुणा का जो रूप उनके काव्य में मिलता है वह उन्हें ऐसे विशिष्ट कवि के स्तर पर प्रतीक्षा करता है जहां किसी दूसरे को स्थापित करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती रामचरितमानस के लेख में तुलसीदास ने श्रीराम को केंद्र में रखा जो सनातन धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित है वैसे तो प्रत्येक सनातनी प्रभु श्री राम की नित्य प्रधाना करते हैं परंतु मैं इस सप्ताह बारिश श्री राम नवमी का पर्व भी है जो हम सभी के लिए विशेष उल्लास का विषय है ऐसे विवेक जोशी जोशी की पुस्तक तुलसीदास के विभिन्न विचारों को विश्लेषण करती हुई कहीं अधिकतम कई प्रतीत होती है साहित्य कला और संस्कृति की ख्याति आलोचक के रूप में प्रतिष्ठित ज्योति जोशी ने एक आधुनिक पाठ की तरह इस पुस्तक में तर्क के आधार पर अनेक प्रश्न खड़े किए उनके प्रश्न का उत्तर देने का गंभीरता से प्रयास भी किया गया है ©Ek villain #तुलसीदास के लेखन का सामग्री विशेषण #ramadan
Kranti Thakur
है ख़्वाहिशों में उलझी जीवन सफ़र की धारा। कुछ हम समझ रहे हैं कुछ तुम समझ रही हो। मैं भी तो चल रहा हूँ तुम भी तो चल रही हो। है ईश्क़ का सफर ये तुम नज़्मों में ढल रही हो।। - क्रांति #ईश्क़ का सफर #क्रांति
रसिक उमेश
वो गांव की तलहटी वो महुआ के पेड़, जहां बिताया बचपना अब हो गए अधेड़। हरियाली खेतों में रिमझिम बारिश की फुहार, वो मनुहार लगे अपना सा देख प्रकृत श्रृंगार। चल फिर बसते हैं अपनी उस नदिया के पार, जहां बिताया बचपन अपना सपनो का संसार। ©रसिक उमेश #प्रकृत का अवलोकन:- #Sunrise
Archana pandey
ताड़न कै ख़ातिर लिखिन दास-तुलसि तौ बड़वा बखेड़ा मूर्खनन मचाए हो परजा, लुगाई, ढोल ताड़ देब जोग काहे? ताड़न कै झाड़न सी बतिया बढ़ाई हो... ईंमा का बिजह बाटै? 'देखभाल कय जो राखै' आपन टगियाँ अपनय तो ढंकाई हो... बोली भाषा अवध कय जानै बिन लड़भिड़ैं उनही गवांरन का हम समझाई हो.. अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey ताड़ना(विशेष ध्यान)का बिजह का बा? #fullmoon