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Poetry with Avdhesh Kanojia
नारी पुरुष पर भारी - - - - - - - - - - - - - हर स्थान पर जा के चाहे देख लो तुम पुरुषों पर भारी हर जगह पर नारी है। हालत देखो नर की जैसे कोई भीगी बिल्ली सिकुड़ छुहारा सम म्याऊँ म्याऊँ पुकारी है।। सुनाती है बातें छत्तीस काँटे लगे पुष्प सम जैसे उनकी पुरुष पर अक्षय उधारी है। बने चाहे कोई सिंह बने चाहे शेर खान बन कर दुर्गा उसकी करती सवारी है।। कपड़े लत्ते जूता चप्पल और चाहे घड़ी घण्टा सब कुछ अपनी पसन्द का दिलाती है। भूत प्रेत का भय पुरूष चाहे माने नहीं सारा अनुभव खुद नारी ही कराती है।। बात यदि अनसुनी कर दे उसकी पुरुष तब सारा घर अपने शीश पे उठाती है। भौतिक शस्त्र रसोई वाले बेशक न चलाये पर मौखिक बेलन मौखिक चिमटा ख़ूब चलाती है।। अपने बचाव में अंतिम पंक्ति अवधेश लिखे कलम ये मेरी कुछ और भी बताती है। जीवन में मिठास भी आती तभी है अवधेश जब जब तुम्हारी अर्धांगिनी सताती है।। #funny #funnyquotes #fun #हास्य_व्यंग्य #हास्य #poetry #poems नारी पुरुष पर भारी - - - - - - - - - - - - - हर स्थान पर जा के चाहे देख लो त
Manaswin Manu
Poetry with Avdhesh Kanojia
हाय रे सर्दी #poetry #poem #life #lifequotes #dailychallenge #laugh हाय रे सर्दी --------------- सर्दी रानी बड़ी सयानी कठिन तुम्हारा साथ। थोड़ी हमको राहत
Advo Karishma Kapil
पर तारों की छांव में गुजारी है कई राते तुम्हारे इंतजार में चांद में ढूंढा.. अक्स तुम्हारा करी फरियाद ..रात -दिन है.. ©Advo Karishma Kapil इंतजार तुहारा #chhat
Gumnam Shayar Mahboob
वो भूल गयी मुझको तो कोई बात नही ज़िन्दगी मैं फिर भी गुजारा कर लूंगा हम वो आशिक नही जो बिछड़कर जान दे देंगे उसके जाते ही मैं मुहब्बत दोबारा कर लूंगा जान देने से कुछ नही होता #छोड़_दिया #ज़िंदगी #गुजारा #मुहब्बत #जान #दुबारा #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
Bhupendra Rawat
कुछ इस तरह ज़िंदगी का गुजारा है मैंने तुझे सोच कर हर दिन गुज़ारा है मैंने सवंर जाया करता हूँ,तुझको आईने में देखकर जब जब तुझे पुकारा है मैंने ©Bhupendra Rawat #Likho कुछ इस तरह ज़िंदगी का गुजारा है मैंने तुझे सोच कर हर दिन गुज़ारा है मैंने सवंर जाया करता हूँ,तुझको आईने में देखकर जब जब तुझे पुकारा है
Poonam Akash Rathour
मुझे तुमसे छुटकारा चाहिए ............ ये सुनते ही मेरी आँखे नम हो जाती है उसको क्यों मुझसे छुटकारा चाहिए... ये सवाल सुनते ही उसकी जुबां चुप हो जाती है उसको कब मुझसे छुटकारा चाहिए ये सोचते ही साँसे मेरी थम जाती है... छुटकारा
कनक लता " ज़ज्बात "
फ़रियाद रूई के महीन फाहों - सी कोमल पिघलते बर्फ़ के बुरादे - सी ठंडी वो शरद की शीतल सुबह जैसे आसमाँ सफेद बादलों संग जमीं पे उतर आया हो ! फाहों से गुजरती मद्धिम हवा का स्वर कानों में हूक बोलता - सा सब आँखों के सामने होकर भी इक साया सरमाया - सा ठंडी झीनी धुंध की चादर - सा वो कुहासा अलसाया - सा ! #कुहासा