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Parasram Arora
मैं अपनी शून्यवत स्तिथी को मीठी कल्पनाओ की परिधि मे बांधबे लगा हूँ औऱ अपने सुखद विचारों को मोहक परिधानों मे डक लेता हूँ क्योंकि वस्तत ये विचार है कल्पनाये है जोयथार्थ से कोसो दूर हैँ ... वे उस एकाकी पक्षी की तरह हैँ जो अकेला दूर आकाश मे अपने पंखो से उसे नापता हैँ शून्यवत
'गुमनाम'
अगर इकाई और दहाई कि तलाश से आप मुक्त हो पाओ तो आप को शून्य मिलेगा , जिस शून्य पर पूरी सृष्टि टिकी हुई है! शून्यता Emptiness
Sabir Khan
लड़ाने वाला सबसे सुरक्षित होता है। असुरक्षित तो अनुयायी हैं,,,, जो वैचारिक भाव शून्यता के चश्मे पहन कर चलते हैं। #भाव शून्यता
Sabir Khan
वैचारिक शून्यता ही घिनौनेपन को जन्म देती है। परिणाम की परिकल्पना अपराध से बचाती है। वैचारिक शून्यता
Rinkoo Kumar
#MessageOfTheDay शून्यता की ओर.. ©Rinkoo Gupta शून्यता की ओर.. #Messageoftheday
shivangi pathak
क्या शून्यता रिक्तता का प्रमाण हैं ..? नहीं,क्योंकि रिक्तता बिना किसी के स्वयं में रिक्त ही हैं,और शून्य अपने सभी अर्थों सहित रिक्तता से कहीं दूर बैठा अपनेअस्तित्व के चरम पर जाने का इंतजार कर रहा हैं.... ©shivangi pathak शून्यता और रिक्तता .....💫 #BookLife
Varun Upadhyay
ब्रह्मांड का सार शून्य है इस धारा की आवाज़ शून्य हैं शून्य से ही तो बनी है सृष्टि और शून्य में होना इसे समाप्त है कामनाएँ सब व्यर्थ है, अर्थ सारे निरर्थ है आशा और निराशा की भाती देह आत्मा सब कुछ शून्य है शून्य ही प्रारंभ है मेरा, और पहुंचना है मुझे यहां उत्तरों की खोज में निकला है नचिकेता तू कहा ना यमन कोई यत्न सारे, और ना कोई छल यहां आके अधरों पर कसौटी पल मै बनती बिगड़ती यहां अश्क सारे है सूखते, कैसी है ये विडंबना बंधनों की मोह माया ले कर आई मुझे कहा शून्य ही तो प्रारब्ध था मेरा था पहुंचना तो मुझे यहां क्यो फिर ले आई साकी तू इस उपवन में यहां #NojotoQuote #nojoto #nojotohindi #nojotoquote #शून्य #शून्यता #NojotoFreeHand
Vibha Katare
भावनात्मक तौर पर किसी पर निर्भर न होना भी परिपक्वता के मापदंड में शीर्ष के निकटतम इकाई है.. या यूं कहें कि, कुछ कुछ सांसारिक विरक्ति का अनुभव कराती अवस्था.. जैसे किसी तूफान के बाद छाई हुई शून्यता... #परिपक्वता #रिक्तता #विरक्ति #शून्यता #हिंदी #yqdidi #विचारधारा
Ek villain
किसी भी मनोभाव की अति अथवा असंतुलन ही अंतर्गत में अशांति को जन्म देता है मन में उत्पन्न कोई विचार ठहरे हुए जल में उत्पन्न एक तरंग के समान है जिस प्रकार तरंग के उत्पन्न होते ही जल की शांति भंग हो जाती है ठीक उसी प्रकार मन में किसी पर विचार के उत्पन्न होने पर मन की शांति का स्तर गिर जाता है हमें ऋषि-मुनियों ने ध्यान को मानसिकता शांति हेतु आमोद अस्त्र बताएं इसी कारण यह है कि ध्यान मस्तिक में विचार शून्यता की अवस्था है जब मस्तिक में कई विचार नहीं होगा तो मन की अशांति होने पर प्रश्न ही नहीं उठता ध्यान के नियमित अभ्यास द्वारा अंतर मन की शांति का अपेक्षित स्तर प्राप्त किया जा सकता है ©Ek villain #ध्यान मस्तिक में विचार शून्यता की अवस्था है