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Sarita Malik Berwal
इबकी बार दुल्हन्डी(धुलेन्डी) और महिला दिवस एके दिन थे...मैं न्यू सोचू हूँ अक जै कोलड़े गेल माणसा का बक्कल तारण आली लुगाईयाँ नै भी सशक्तिकरण की ज़रूरत सै तै फेर पिंडियां पै लील गिणनिये आदमियाँ पै भी थोड़ी तै दया बणती ए होगी...ज़िंदगी के खेल मैं जै दोनु खिलाड़ियां नै बराबर की छूट और इज्जत मिली रवै तै यो रंग बिरंगा फाग कदे खतम नहीं होवै ©Sarita Malik Berwal फाग
BANDHETIYA OFFICIAL
बांस से बांस की रगड़ जंगल की आग है जो, ये बसंत और बसंती हवा गांव -गांव घर भी दाग है जो, दिल तलक में भी फैले तो बुरा क्या,दिल बाग -बाग है जो, धू-धू जलती है होलिका, छेड़ धू-धू धूम फाग राग है जो, होली है। ये जवानी है बदन जो, वो भी गर्मी है, जो धुआं आंखों है,दिल की बस नर्मी है, सपनों का धुंधलका, मोती ही होगा भीतर,सागर झाग है जो। लो कहानी दी कहे जो मेरे दिल की है, तुम जबां खोलो,सुनो जाती खुले हल्की है, होना फिर तहलका,है मचना, रचना रास ही जहां छिड़ना फाग है जो। होली है, होली है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #फाग राग ! #Colors
Samdarshi PrajaMandal
हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम हे सर्वेश्वर तुम्हें प्रणाम । जहां देखता हूं वहां तुम ही तुम हो । झरनों में तुम हो, झीलों में तुम हो ।। पृथ्वी में तुम हो, शैलो में तुम हो सूरज में तुम हो, चंदा में तुम हो, जहां दृष्टि डालो वहां तुम ही तुम हो । जिधर देखता हूं उधर तुम ही तुम हो । तारों में तुम हो, सितारों में तुम हो । देवों में तुम हो, दनुजो में तुम हो । गंगा में तुम हो ,यमुना में तुम हो, हर मन में तुम हो, हर तन में तुम हो , धरा से गगन तक रमे तुम ही तुम हो । जिधर देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।। ग
yashu tiwari
एक बेटी क्या कहती है... ♥️ आपकी आवाज सुनकर ही सुकून का एहसास होने लगता है पापा आपकी उदासी एक अनकहा संबल आपके प्यार की खुशबु जैसे महके सुगंधित मंदिर की अगरबत्ती आपकी विश्वसनीयता मेरा खुद पर और गर्व महसूस करना आपकी छोटी सी मुस्कान मेरी बड़ी सी ताकत आप का हरपल का साथ ख़ुशी का एहसास इस जहा मे मेरे लिए आप से ज्यादा कोई खास नही है कोई भी नही...पापा, आपके भार तले दबी है मेरी हर एक साँस ।।आकांक्षा सिंह (romi) ग
Rajkamal Gupta
अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फाज मेरे दिल के तन्हाईयाँ जो लिखी थी हमने सोचा न था कभी की नज़रो के सामने रहोगी हमारे पर हम दिल - ऐ - अल्फाज बयान ना कर पाएँगे । चाहना तो हम मे भी बहुत खूब लिखा है दिल - ऐ - दर्खाश्त, दरमीयाँ.... दिल भले मेरा जख्मी है, लेकिन सांसो में अब भी मगरूरी है मुर्खते - ऐ - जुबाने खारोफ कभी ऐहसास दिला न पाएँगे हम । ग
shubham hirode
मैं जिस दिन कहँ दु उस से मिलने को। वो कॉल तक न उठाये मुझसे बात करने को।। अब और क्या खाविशे रुकू में अपनी जुस्तजू में। वो जो कहे कि हमी तो बेठे हैं समझने को।। बता तकदीर के कौनसे पन्ने पर लिखू। वो जो अब दिल चाहता हैं करने को।। सब अपनी वफादारी अपने रब से रखो। इंसानो मैं क्या रखा हैं अब मिलने को।। जुस्तजू-मन की सोच में ग