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Gajender
आप सभी को हमारा राम-राम जितने भी जितने भी ऐप को चलाने वाले हमारे जितने भी दर्शक देखने वाले हैं उनसे मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं हम अभ्यार्थी 2011 एसएससी जीडी के हैं जिनके साथ में बहुत बड़ा धोखा हुआ है एसएससी के द्वारा एसएससी ने कम नंबर वाले लड़के रख लिए थे और ज्यादा नंबर वाले अपने घर के हैं 11:00 12 साल हो गए हमें कोर्ट में लड़ाई लड़ते हुए कोर्ट से भी हमें कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है और जंतर मंतर पर भी हमने कई महीना धरना प्रदर्शन किया है आप सभी से मेरी हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट है कि मेरी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें धन्यवाद ©Gajender एसएससी जीडी 2011 #thought
Raj Bhandari
इस बूढ़े बदन में यूँ बाहर जाने की अब कहाँ क़ुव्वत , सकूँ दे जाती हैं यूँ ही शीशे पे पड़ी बूंदे इतनी सारी !! बूँदें
Sukriti Singh
बेवक्त दो बूँदें क्या बरसी और बादल क्या छा गये, किसी को शराब..तो किसी को चाय और किसी को कुछ नाम याद आ गये ।। #nojoto# बूँदें
Samdarshi PrajaMandal
हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम हे सर्वेश्वर तुम्हें प्रणाम । जहां देखता हूं वहां तुम ही तुम हो । झरनों में तुम हो, झीलों में तुम हो ।। पृथ्वी में तुम हो, शैलो में तुम हो सूरज में तुम हो, चंदा में तुम हो, जहां दृष्टि डालो वहां तुम ही तुम हो । जिधर देखता हूं उधर तुम ही तुम हो । तारों में तुम हो, सितारों में तुम हो । देवों में तुम हो, दनुजो में तुम हो । गंगा में तुम हो ,यमुना में तुम हो, हर मन में तुम हो, हर तन में तुम हो , धरा से गगन तक रमे तुम ही तुम हो । जिधर देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।। ग
yashu tiwari
एक बेटी क्या कहती है... ♥️ आपकी आवाज सुनकर ही सुकून का एहसास होने लगता है पापा आपकी उदासी एक अनकहा संबल आपके प्यार की खुशबु जैसे महके सुगंधित मंदिर की अगरबत्ती आपकी विश्वसनीयता मेरा खुद पर और गर्व महसूस करना आपकी छोटी सी मुस्कान मेरी बड़ी सी ताकत आप का हरपल का साथ ख़ुशी का एहसास इस जहा मे मेरे लिए आप से ज्यादा कोई खास नही है कोई भी नही...पापा, आपके भार तले दबी है मेरी हर एक साँस ।।आकांक्षा सिंह (romi) ग
Rajkamal Gupta
अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फाज मेरे दिल के तन्हाईयाँ जो लिखी थी हमने सोचा न था कभी की नज़रो के सामने रहोगी हमारे पर हम दिल - ऐ - अल्फाज बयान ना कर पाएँगे । चाहना तो हम मे भी बहुत खूब लिखा है दिल - ऐ - दर्खाश्त, दरमीयाँ.... दिल भले मेरा जख्मी है, लेकिन सांसो में अब भी मगरूरी है मुर्खते - ऐ - जुबाने खारोफ कभी ऐहसास दिला न पाएँगे हम । ग
shubham hirode
मैं जिस दिन कहँ दु उस से मिलने को। वो कॉल तक न उठाये मुझसे बात करने को।। अब और क्या खाविशे रुकू में अपनी जुस्तजू में। वो जो कहे कि हमी तो बेठे हैं समझने को।। बता तकदीर के कौनसे पन्ने पर लिखू। वो जो अब दिल चाहता हैं करने को।। सब अपनी वफादारी अपने रब से रखो। इंसानो मैं क्या रखा हैं अब मिलने को।। जुस्तजू-मन की सोच में ग
Charu Chauhan