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Juhi Grover
जिस्म की जिस्मानियत तो नज़र आती है, मग़र रूह की रूहानियत दिखती नहीं, इन्सान की परछाई तो नज़र आ जाती है, मग़र इन्सान की इन्सानियत दिखती नहीं। रूह के सच, सूक्ष्मता,स्थिरता से कहीं दूर हैं, खो गई है इसकी अहमियत बहुत दूर कहीं, रूह को मार कर ज़िन्दा तो नज़र आते हैं, मग़र ज़िन्दा इन्सान में ज़िन्दगी दिखती नहीं। #रूह - आत्मा रूह क्या है सही मायने में? बताएं अपने रूह से समय सीमा: 12pm 29March _________ बेहतरीन रचनाओं को पढ़ने के लिए फॉलो करें #colla
Satish Chandra
जब आपकी रूह को चैन आए, इत्तला कर देना हम भी अपनी कब्र में सुकुन से सो लेंगे। ये जिस्म है तो क्या, ये रूह का लिबास है #रूह #YQdidi #SattyMuses
BANDHETIYA OFFICIAL
जिन्हें हक तहकीकात का, वो शिकायत तक न करते। जिन्हें हकीकत जान भी- चुप रहना पड़े,आह भरते। दौर-ऐसे में मुंसिफ दीखे, मुजरिम होता मन-मासूम, क्या गुनाह रूह का,बदन ऐसे- मेरे में दफन,जां खुद पे मजलूम। ©BANDHETIYA OFFICIAL रूह मेरी ये क्या बदन है ? #selfhate
sujeeta
जिस्म से हुआ तो क्या रूह से हो तो मोहब्बत कहते है 🔥🔥🔥🔥🔥🔥 ©sujeeta रूह से हुआ तो क्या
Seema Nirankari
चलों रूह से रूह को मिलातें है ज़िस्म का क्या है वो तो ख़ाक हो जायेगा... रूह से रूह को मिलातें है...
adarsh Kumar
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़ उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम को किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिये मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकार दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिये. जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ....m😘😘😘
M.S.™ Writes
आज जल जाने दो तेरे मेरे दरमियां इन फासलों को, क्या पता कि कल इस राख से ही एक नया आशियाना बना लें हम। #gif रूह है आग।
Parasram Arora
क्या देखी नहीं रूह कभी तुमने औऱ क्या कभी उसकी अनुभूति का स्पर्श किया हैँ तुमने? क्या कभी जीवंत कोहरे की धड़कन सुनी है तुमने? क्या सागर किनारे पसरे सन्नाटो मे पानी की छपाको का संगीत सुना हैँ तुमने ? पूनम की रात मे चमकते चाँद को लपकने की चेष्टा कभी की हैँ तुमने? बारिश की पहली फुहार से मिट्टी मे उठती हुईं सौंधी सुगंध को अपने नासापुटों मे कभी भरा हैँ तुमने? क्या देखी नहीं रूह कभी तुमने?