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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी बातों के कुछ कतरें आज भी कहीं सांसें भर रहे है। सुलगते रहे रात भर उस एश ट्रे में जो आख़िरी काशं लगाया था तुमने । बाक़ी थी कुछ चिंगारियां उसमें सुलगती रही। अधजलीं सी दिया सिलाई में आज भी कुछ धुआं बाक़ी है। आज भी पिघलते जिस्मों की आहटें बाक़ी थी कुछ। ख़ामोशी में कुछ सुलगते पन्नें जो मरोड़ कर कुछ को फ़ाड़ कर जलाएं थे । कुछ बाक़ी थी। नज़्में मेरी उन पन्नों पर ज़ाहिर कर रही थी, तेरी मौजूंदगीं भी बाक़ी नहीं। बस कुछ राखं बाक़ी थीं। बस राखं कुछ चिंगारियों से उड़ता धुआं उठ रहा था। सुलगाती रहीं, उस एश ट्रें में ।। बचे कुछ बीतें लम्हें रात भर नींद में भी लुप्त होते रहे। वहीं पेंसिल के छिलकें जिससे कुछ नज़्में लिखी थी मैंने। तुम्हारे लिए तुमने कभी जलाएं होंगी। कुछ कतरें आज भी मौजूदं थे ।उस एश ट्रे में। आज भी कुछ कम दर्द नहीं था। माचिंस की डिबिया मिली ही नहीं। खोजती रहीं कहीं कुछ बाक़ी हो उस एश ट्रें में। तलब लगी थी ,एक काशं मिल जाता, कुछ गुम हल्का ही जाता। बस अब एश ट्रें भर चुकीं थी। आज भी कुछ कतरें टूटे रिश्ते के आख़िरी सांसे भरते रहे रात भर। हम कसीदें कसते रहे रात भर। अब भर चुकी है एंश ट्रें। उसमें से बस उड़ती गई हवा के उन झोकों से। टूटे रिश्ते की आखिरी सांस निकलती रही। निकलती रही। #memories #pain #quote #yqdidi #yqbaba #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी बातों के कुछ कतरें आज भी कहीं सांसें भर रहे ह
Parasram Arora
कैसा दुर्भाग्य है कि. आदमी के असली चेहरे क़ो खोजने के लिये उसे बेहोश करना पड़ता है इतनी परते है नकली चेहरे की चोरी इतनी गहरी है इतनी लम्बी है अनंत जन्मों की है कि असली चेहरा बहुत बाहर पीछे छिप गया है एक मुखौटा उतारो तो दूसरा उसके नीचे है प्याज की तरह हो गया है आदमी एक छिलका निकालो फिर छिलका और छिलका निकालो फिर छिलका ©Parasram Arora ये प्याज़ के छिलके......
Rupa Rani Ekka
मैं पेंसिल नहीं की जो हर किसी पे लाइन मारूं बस मैं दुनिया में दो लोग से प्यार करता हूं पहली जिसने मुझे जन्म दिया और दूसरी जो दुनिया में मेरे लिए आयी है #gif पेंसिल
P.a.Kashtithakur
पेंसिल से लिखता तो मिटा देती मै। न जाने कोन सी स्याही से लीखी हे मेरी तकदिर उस रब ने। पेंसिल।।
Sudipta Mazumdar
केले के छिलके को सब कूड़े में फेंक देते हैं पर यहां तो लोग उसे ही इश्क़ समझ के यूं खा जाते हैं टॉफी चॉकलेट हो जैसे ©Sudipta Mazumdar #केले के छिलके को संभाल कर रखिए इश्क़ में काम आएगा