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sneha Tiwari
असली फूलों की खुशबू से ही पता चल जाता है , वरना नकली तो हजारों मिलते है बाजार में ! ©sneha Tiwari #फ्लावर
Khilendra Kumar
फुल के खुशबू जेन बगिया म महकत हे । .. तैं बगिया कें वों सुमन ' त - मय तोर भॅंवर , माली लें छिन लेव तोला, रखथों तेवँर । .. बना लेव तोला अपन , बहकत हे मोर मन। ©Khilendra Kumar फ्लावर लवर
पवित्रा राजवंश
जो प्रेम पढ़ा है वह प्रेम के बारे में बात करें जिसे एक भी मौका मिला है वह इश्क के धोखे में बात करेगा जो जीवन से हताश हुआ है वहां काशी की बात करेगा और जिसे जीवन में सब कुछ मिला है खुशियों की बात करें यह दुनिया मेरे दोस्तों अपनी अपनी बात करेगा कोई किसी के बारे में बात नहीं करेगा सीखनी है अपनी जिंदगी फ्लावर्स की तरह जी अपनी जिंदगी में फ्लावर
राकेश खरते
गुड मॉर्निंग भाइयों और बहनों अच्छा कर्मा करो कर्मों का फल एक दिन हिसाब करेगा 1 दिन तुला होयेगा इसलिए अच्छा कर्म करो मेरे भाइयों राकेश खरते सतगुरु दयाल माय फोटोज फ्लावर
मनुस्मृति त्रिपाठी
खुशबु का यूँ फ़िज़ाओं में बिखरना... खुशबू का यूँ खज़ा में बिखरना कुछ तो कह रहा है नर्गिस ये नूर की खुशबू है तुझे तो पता है न नर्गिस लगता है बरसात में तेरा भंवरा भींग गया है नर्गिस तभी तो वापस अपने घर को वो चला है नर्गिस फ़िज़ाओं से कह दो कि अब जायें यहाँ से क्योंकि अब धीरे-धीरे बे-नूर से नूर हो रही है नर्गिस ये तुम्हारी आंखो का काजल बता रहा है नर्गिस तुम आज बड़ी खुश दिख रही हो नर्गिस नर्गिस बेनूरी खज़ा है नर्गिस
मनुस्मृति त्रिपाठी
कब तक बहता रहेगा मेरा लहू नर्गिस उस अंधे देवता से क्या कहूँ नर्गिस ये सोच कर तो न आयी थी तेरी इस जमीं पे नर्गिस अब तू ही बता कहाँ रहे तेरी नर्गिस दूर से देखती थी इस जमीं को जब लगी थी मुझको ये हरी-भरी नर्गिस आसमां से चली थी मैं बन के इक परी नर्गिस आ देख ले खुदा कहां पर पड़ी है तेरी नर्गिस माँ का आँचल पिता का प्यार पाने को तरस रही जाने किस जमाने से नर्गिस मिला था जब से इक फरिश्ता तेरा मुझको तब से खुद को ही खो बैठी है तेरी नर्गिस नर्गिस के फूल पर वो नूर बन के जो पड़ा तो खिलखिला उठी ये नर्गिस देख ले तु भी खुदा हाल-ए-मोहब्बत नूर का हो गयी बे-नूर-ए-मोहब्बत तेरी प्यारी नर्गिस नर्गिस बेनूरी खज़ा तेरी नर्गिस
मनुस्मृति त्रिपाठी
मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है बुलाती हूँ हर रोज उसे बड़े प्यार से न जाने क्यो न आने के हजार बहाने करती है बड़ी बेवफ़ा निकली है ये मौत भी उसकी तरह जब जब होती है जरूरत इनकी तो ये दोनो आना कानी करती है मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है मेरे लिए अब दोनो एक से हुए हैं मौत और वो जो मेरी जिंदगी दोनो का ही नर्गिस बेसब्री से इंतज़ार करती है नर्गिस बेनूरी खज़ा मौत से नर्गिस नहीं मौत नर्गिस से डरती है
Kumar Harish
यूँ तो हर आँख बहुत रोती हैं हर बूँद मगर अश्क़ नही होती हैं। देखकर रो दे जो शमां का गम उस आँख से आँशू गिरे वो मोती हैं।। ©Kumar Harish खामोश नर्गिस वाली मोहब्बत #Thoughts