Nojoto: Largest Storytelling Platform

New संन्यासी Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about संन्यासी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, संन्यासी.

    PopularLatestVideo

Bazirao Ashish

तन संन्यासी! मन संन्यासी! धन संन्यासी! लक्ष्य संन्यासी! #ज़िन्दगी

read more
तन 
संन्यासी!
मन
संन्यासी!
धन
संन्यासी!
लक्ष्य
संन्यासी!
भविष्य 
संन्यासी!
संन्यासेन
लब्धे
मोक्ष:!
●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish तन 
संन्यासी!
मन
संन्यासी!
धन
संन्यासी!
लक्ष्य
संन्यासी!

राग

# संन्यासी.. #शायरी #nojotophoto

read more
 # संन्यासी..

Sandeep Kumar

तेरा संन्यासी #शायरी

read more
mute video

Sandeep Kumar

तेरा संन्यासी #शायरी

read more
mute video

Marutishankar Udasi

बन जा संन्यासी #ज़िन्दगी

read more
सत्य हुं मै 
मुझे खुद मे ढुढों
सुख हुं मै
मुझे त्याग मे देखो
संपुर्ण हुं मै
विश्वाश से आओ
यही जीवन है उदासी
बन जा संन्यासी

©Marutishankar Udasi बन जा संन्यासी

SK Poetic

संन्यासी की दया भावना #fullmoon #प्रेरक

read more
स्वामी दयानंद गिरि एक ब्रह्मनिष्ठ संत थे । वे प्रायः कहा करते थे कि जो व्यक्ति गरीबों व असहायों से प्रेम करता है, भगवान् उसे अपनी कृपा का अधिकारी बना देते हैं ।

स्वामीजी विरक्तता की साक्षात् मूर्ति थे। चौबीस घंटे में एक बार किसी घर से भिक्षा प्राप्त करते थे। शेष समय साधना व लोगों को सदाचार का उपदेश देने में लगाते ।

एक बार किसी मजदूर ने उन्हें नंगे पाँव विचरण करते देखकर कपड़े के जूते भेंट किए। उन्होंने उस निश्छल भक्त के जूते खुशी-खुशी स्वीकार कर लिए कुछ वर्ष बाद उनका एक भक्त नए जूते लेकर आया तथा प्रार्थना की कि पुराने जूते उतारकर उसके लाए जूते पहन लें।

स्वामीजी ने जवाब दिया, ‘इन जूतों में मुझे गरीब मजदूर के प्रेम की झलक दिखाई देती है। मैं इन्हें तब तक पहनता रहूँगा, जब तक ये पूरी तरह फट न जाएँ।’
एक बार उनके भक्त शिवरात्रि पर भंडारा कर रहे थे । स्वामीजी प्रवचन में कह रहे थे कि वही सत्कर्म सफल होता है, जिसमें गरीबों के खून-पसीने की कमाई लगती है।

अचानक उन्होंने देखा कि दरवाजे पर कुछ लोग एक वृद्धा को हाथ पकड़कर बाहर निकाल रहे हैं। स्वामीजी ने कहा, ‘माई को आदर सहित यहाँ लाओ। ‘ वृद्धा आई तथा बोली, ‘महाराज, मेरे ये दो रुपए भंडारे में लगवा दें। ये लोग नहीं ले रहे हैं। ‘

स्वामीजी ने भक्त को पास बुलाया और बोले, ‘इन दो) रुपए का नमक मंगवाकर भंडारे में लगवा दो । खून-पसीने की ईमानदारी की कमाई के नमक से भंडारा भगवान् का प्रसाद बन जाएगा।’

©S Talks with Shubham Kumar संन्यासी की दया भावना
#fullmoon
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile