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Mayaank Modi
ख्वाहिशों का गला घोंट के, मिलता ही क्या है, घर लौट के । खुद ही दरवाज़ा खोलना, बंद करना पड़ता है ।। जिन्दगी अपनी है मगर, औरों के लिए मरना पड़ता है ।। ये कैसा सौदा है, जो हम खुद से किये जा रहे है । नाउम्मीदी ही सही, लेकिन जीये जा रहे है ।। चंद सिक्के अब हमारी जात बताते है । बड़ी गाड़ी और मकां, औकात बताते है ।। एक माँ है जो फिक्रों में रहती है । छुट्टी लेकर घर आने को कहती है ।। अपना हाल हम मुस्कुरा कर सीये जा रहे है । नाउम्मीदी ही सही, लेकिन जीये जा रहे है ।। जीये जा रहे है ।। #yqbaba #yqhindi #yqdidi #गला #जीये #सीया
taabeer_e_ishq
#सुबह🌄 का भटका अगर #शाम🌄 को घर आ जाये तो बोलो #जय 🙏सीयाराम #जय🙏 सीयाराम..(रोशदीप👑)
Sunil itawadiya
जब लाखों सीता हरी गई क्यों लंका जलाना भूल गए उपदेश दिया था गीता में क्यों सुनना सुनाना भूल गए 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 कैप्शन 👉 रावण ने सीया चुराई थी , सोने की लंका जलाई थी। अब लाखों सीया हरी गई , क्यों लंका जलाना भूल गए। । निज गौरव को निज वैभव को , क्यों हिन
Jayesh gulati
jaiyesh the writer ©Jayesh gulati और लोग पीया नहीं करते यूँ बेवजह ही "जय" ꫰ मैं तो बस बैठ अपने ज़ख्मों को सीया करता हूँ ꫰꫰ Jai . .
KrissWrites
फूलो का मजा तितलियाँ लेती रही भंवरे सिर्फ मण्डराते रहे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । हाथो का कंगन बनाया गले का हार बनाया पैरो की पायल बनाई कानो का झुमका बनाया सोलहो ऋंगार से सजाते रहे प्रभु मधुमक्खीया ढूंढती रही फूलो को राम फूलो से सीया को सजाते रहे । सिया को सजते देख सारी देवीयो को हुई जलन सब अपने-अपने पति को समझाने लगी राम-सीता का प्रेम देखकर मन मुग्ध हो गए सारे पहाड ,सारी हवाए सब संतोष की आहे भरने लगे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । -krisswrites ©kriss.writes फूलो का मजा तितलियाँ लेती रही भंवरे सिर्फ मण्डराते रहे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । हाथ
KrissWrites
फूलो का मजा तितलियाँ लेती रही भंवरे सिर्फ मण्डराते रहे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । हाथो का कंगन बनाया गले का हार बनाया पैरो की पायल बनाई कानो का झुमका बनाया सोलहो ऋंगार से सजाते रहे प्रभु मधुमक्खीया ढूंढती रही फूलो को राम फूलो से सीया को सजाते रहे । सिया को सजते देख सारी देवीयो को हुई जलन सब अपने-अपने पति को समझाने लगी राम-सीता का प्रेम देखकर मन मुग्ध हो गए सारे पहाड ,सारी हवाए सब संतोष की आहे भरने लगे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । -krisswrites । ©kriss.writes फूलो का मजा तितलियाँ लेती रही भंवरे सिर्फ मण्डराते रहे मधु के तलाश मे ढूंढती रही मधुमक्खीया फूलो को राम फूलो से सिया को सजाते रहे । हाथ
KrissWrites
उर्मिला -लक्ष्मण नई नवेली आई थी मै जनक की दूसरी पुत्री थी मै अपने उन्हे जी भरके देखना चाह्ती थी मै लेकिन अब उन्हे जाना था 14 वर्षो के लिए वनवास और मुझे काटना था विरह की आग अपने प्रेम को दबाकर हमे अब पत्नी धर्म निभाना था उन्हे करनी थी भईया राम और भाभी सीता की सेवा और मुझे करना था उनकी वापिसी का इंतजार मै भी तो जाना चाह्ती थी वन मुझे भी क्यो नही ले गए पिया तुम भईया-भाभी की सेवा करते मै तुम्हारी कर लेती मै भी तो जाना चाहती थी वन मुझे क्यो नही ले गए लक्ष्मण राम कहलाए सीया-वर तुम क्यो नही कहलाए उर्मिला-वर लक्ष्मण तुम समझते हो मै 14 वर्षो से सो रही थी नही मै तुम्हारी विरह की याद मे जल रही थी लक्ष्मण सबने सीता-राम कहा किसी ने उर्मिला-लक्ष्मण क्यो नही कहा लक्ष्मण अभी तो 14 वर्षो बाद वनवास काटके आए थे कुछ ख्वाहिशे कुछ तमन्ना तो पूरी करने देते लक्ष्मण अयोध्या की ख़ातिर तुम्हे जल समाधि लेने की क्या जरूरत थी लक्ष्मण तुमने मैरे बारे कभी नही सोचा लक्ष्मण ।।। -KRISSWRITES 🪶 । ©kriss.writes उर्मिला -लक्ष्मण नई नवेली आई थी मै जनक की दूसरी पुत्री थी मै अपने उन्हे जी भरके देखना चाह्ती थी मै लेकिन अब उन्हे जाना था 14 वर्षो के लि