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Alive heart
धर्म जाति भेद को छोड़ कर जिऐं तो अच्छा हो, काश इन मतभेदों को छोड़ एक इंसान सच्चा हो। कुछ था जो बरसो से उलझा हुआ , या यूँ कहे हमने धर्म के नाम पर जिसे उलझाए रखा। आज शायद कुछ सुलझा है , पर एक डर है कहीं ये और उलझ तो नहीं गया , आज का फैसला , किसी के लिए सुँकू है कि आखिर ये मुद्दा खत्म तो हुआ। किसी के लिए खुशी , तो किसी के अहंकार की तृप्ति, वो धर्मपुरूष सारा राजपाठ छोड़ अपना धर्म निभाते रहे, और हम उन्हीं के नाम पर क़ई जिंदगिया जलाते रहे। जिस महापुरूष ने कभी अहंकार नही किया, और हम अहंकार में उनके लिए "मंदिर वहीं बनाऐंगे" चिल्लाते रहे। "मंदिर वहीं बनाऐंगे " चिल्लाते रहे।। ऐसा क्यों??
Bambhu Kumar (बम्भू)
Life and You मुझे इश्क है और लोग मुझे पागल कहते हैं ! ऐसा क्यों? ऐसा क्यों???
Prince Singh Rana
तेरे आंखों कि वो चमक जिससे मुझे ऊर्जा मिलती थी तेरे चले जाने से जैसे सब धुंधला धुंधला सा लगने लगा है.... ऐसा क्यों?
Hindi poem the heart of nation
ऐसा क्यों क्यों हमारे आंखो के सामने पाप करने पर भी उसे सिर्फ सुख ही मिलता है ?जबकि वो सिर्फ दुःख का अधिकारी है, क्यों किसी को अच्छे कर्मो के बदले उसे तकलीफ, दर्द के अलावा कुछ हांथ नहीं आता? मुझे भी ये सारे प्रश्न बहुत परेशान करते थे। एक दिन मैंने पापा से पूछा तो उन्होंने बोला की किसी भी इंसान या जानवर की अगले जन्म में मिलने वाला सुख, दुःख उसके पिछले जन्म के कर्मों पर भी निर्भर करता है। मान लो किसी ने अपने पूरी जिंदगी सिर्फ गलत काम ही किया और गलत काम करते करते ही वह मर गया अब उसकी आयु तो जितनी थी खत्म हो गई पर उसके कर्मों का फल खत्म नहीं हुआ तो फिर जब उसे अगला जन्म मिलेगा तो चाहे वह कितना अच्छा काम करे पहले उसे पिछले जन्म का शेष रह गया जो फल था वो मिलेगा फिर इस जन्म का। वैसे ही अगर किसी ने पिछले जन्म में बहुत अच्छा काम किया हो तो आयु खत्म हो जाने के बाद अगले जन्म में कितना भी बुरा करे पहले उसे पिछले जन्म का फल मिलेगा उसके खत्म होने के बाद ही इस जन्म के कर्मों के फल मिलेंगे। बस यहीं कारण हैं कि कोई बुरा करने पर भी सुख़ भोगता है तो कोई अच्छा करने पर भी दर्द ही पाता हैं। इसलिए इंसान अपने अच्छे या बुरे कर्मो से केवल वही जन्म नहीं बल्कि अपना अगला जन्म भी लिखता है। ऐसा क्यों
anurag amii
•~•''जिन्हें *जरा* थी हमारी *परवाह*… वो *समझदार* मिले .. .. . *वफ़ा* की *राह* में… कौन *वफादार* मिले .. .. *भीड़* नकली *चेहरों* की यहां... *प्यार* एक सा .. .. . ऐसा *लगता* है वही *लोग*… *बार-बार* मिले .. ... .. . !!''•~• #. 🚫 ©anurag amii ऐसा क्यों ....
ummed Singh Karauli
शराब की दुकान खुलेगी लेकिन किताब की दुकान बंद रहेगी। यानी कि हुकूमत को नशाखोरी पसन्द हैं बस शिक्षा से ही नफरत है क्यो? ऐसा क्यों?.........
Dil_ki_bate1201
*** दिल की बाते *** आज फिर क्यों?सूरज की किरणों की भाति उसका चेहरा मेरी आँखों की रौशनी बन गया... आज फिर क्यों?उसके एहसासों ने मेरी एक ना सुनी और मेरे मन मे विषेले तीक्ष्ण तीर की भाति अनंत आकस्मिक घाव कर दिए... आज फिर क्यों?वो न होते हुए भी अपने होने का का आभाष करा गए... आज फिर क्यों?दिल ने पागलो की तरह चीख-चीख कर उसका ही नाम पुकारा... आज फिर क्यों?मेरे धैर्य ने अपनी सीमा लाँघ दी और चुपके से उसकी तस्वीर को निहारा... आज फिर क्यों?दिल ने उसे ऐसे पुकारा जैसे कोसो दूर कोई अपना सा खोया हुआ मुशाफिर राह देख रहा हो... मै पूछता हूँ इस पागल से ऐसा क्यों??? ***क्यों क्यों क्यों*** ऐसा क्यों????......