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Babli BhatiBaisla

व्यूह #शायरी

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Pandit Brajendra ( MONU )

व्यूह भेद #पौराणिककथा

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Pandit Brajendra ( MONU )

अभिमन्यु का व्यूह भेदन #पौराणिककथा

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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

प्रेम-व्यूहतुमअभिमन्यु

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"प्रेम-व्यूह में जकड़े हो
अर्जुन बन ना पाओगे
अभिमन्यु ही रह जाओगे
भाग-दौड़ कर इधर-उधर
प्रिय के पास ही आओगे
लाख प्रयत्न कर लो तुम
'उस' आकर्षण से मुक्ति का
छटपटा दम छोड़ जाओगे
प्रेम-व्यूह में जकड़े हो तुम
अर्जुन बन ना पाओगे...!"
🌹 प्रेम-व्यूह#तुम#अभिमन्यु

Motivational_Vibes (Positive Vibes)

संकट व्यूह चक्र दंदेरुआ सरकार #Hanuman #shriram #Ram #Society

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Hariom Shekhar Tiwari

लड़ रहा वह युद्ध कबसे पर थका कब? घिर भी जाता अकेला व्यूह में बेशस्त्र वह हारता हिम्मत कहाँ? #Movies

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 लड़ रहा वह युद्ध कबसे
पर थका कब?
घिर भी जाता अकेला
व्यूह में बेशस्त्र वह
हारता हिम्मत कहाँ?

Kulbhushan Arora

मन अर्जुन से थे हमने दुर्योधन कर दिए विवेक कृष्ण थे वहां धृतराष्ट्र खड़े इस व्यूह को तोड़ना है अपने मन अर्जुन कर विवेक *कृष्ण* से जोड़ #yqमन #yqकुलभूषणदीप #yqarjun #yqकृष्ण

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 मन अर्जुन से थे
 हमने दुर्योधन कर दिए
 विवेक कृष्ण थे
 वहां धृतराष्ट्र खड़े
 इस व्यूह को तोड़ना है
 अपने मन अर्जुन कर
 विवेक *कृष्ण* से जोड़

Ek Aawaj

अपने ही अपनों के लिए रच रहे व्यूह यहां रिश्तों की गहराई नही मिलती। #OctoberCreator #Trending #nojotoenglish #nojotohindi #Love #experience #शायरी

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Pratyoosh Mishra

#धरम #धर्म #जाति #भारत धरम जाति के व्यूह को तोड़ो भारत माँ को माँ समझो सबका खूँ है शामिल इसमें, इसको अपनी जाँ समझो मस्जिद पीर मज़ार पे हम सब #कविता #nojotovideo

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vasundhara pandey

भीङ में हूँ मैं अकेली, अमावस सी रात है। काल जैसी इस पवन में, ही भयानक राज़ है। काली निशा का तिमिर व्यूह , क्यूँ न होता उज्ज्वल कभी क्यों मय #myfirstpoem

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क्यूँ प्रभा है रूठी प्रथा से,जो अरुणिमा ये न लाती,
गिरि श्रेणियों में भी देखो एक रश्मि न दृश्य होती।
इन गिरिवरों की राह में पर्वतों की ढाल में 
किंकिणों के मार्ग में,हर घङी अविराम में।
मैं अकेली चल रही हूँ ,हर जगह सुंसान में । 
हर गुफा ,हर कंदरा,
हर कोण इस भूमि का,
जिसमें कि द्युति रश्मि कैद हों!
ढूँढ लाऊँगी उन्हें मैं ,
पाताल हो या स्वर्ग हो। भीङ में हूँ मैं अकेली,
अमावस सी रात है।
काल जैसी इस पवन में, 
ही भयानक राज़ है।
काली निशा का तिमिर व्यूह ,
क्यूँ न होता उज्ज्वल कभी
क्यों मय
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