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Rohan Roy
मानव निर्मित संसाधनों का, हमारे जीवन में कोई मूल्य नहीं। क्योंकि हमारा जीवन संसाधनों के लिए नहीं, बल्कि जीवन के पथ परदर्शकों के रूप मे, लोगो को बेहतर मार्ग दिखाने के लिए है। हमारी उत्पत्ति इसी कार्य के लिए अनिवार्य है। ©Rohan Roy मानव निर्मित संसाधनों का, हमारे जीवन में #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
Ankit Boss golden heart
Mularam Bana
#पर्यावरण का मतलब है सभी प्राकृतिक परिवेश जैसे की भूमि, वायु, जल, पौधें, पशु, ठोस सामग्री, कचरा, धूप, जंगल और अन्य वस्तु। स्वस्थ वातावरण प्र
Sarita Shreyasi
निमेषकों के नीर-धार से, मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे, प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के, कितनी बार हैं पलक पसीजे। साहस ने कभी मुठ्ठियाँ भींची, कभी भय से ये पलकें मिंची, बार-बार स्खलित हुआ धैर्य, आशा की खंडित रश्मियाँ भींगी। किये पे अपने मनुज पछता ले, चाहे अविरल नीर बहा ले, नहीं कभी कालचक्र रूकेगा, नहीं कभी नियति पिघलेगी। यदि जीवन ने काव्य रचे हैं, तो मृत्यु महाकाव्य रचेगी, जन्म दे कर तुम भूले हो, कैसे यह सृष्टि भूलेगी। सृजन और संहार चक्र में, किस विधि विधान में खोये हो? प्रलय का ताण्डव चल रहा, किस अटूट ध्यान में खोये हो? मानव निर्मित मंदिरों में , चिरनिद्रा में कैसे सो गए? पाषाणों में रहते रहते, प्रभु! क्या तुम भी पाषाण हो गए? निमेषकों के नीर-धार से, मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे, प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के, कितनी बार हैं पलक पसीजे। साहस ने कभी मुठ्ठियाँ भींची, कभ
Sarita Shreyasi
पाषाणों में रहते-रहते, प्रभु, क्या तुम भी पाषाण हो गए! मेरी पुस्तक " जाग रे मन" से निमेषकों के नीर धार से, मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे, प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के, कितनी बार हैं पलक पसीजे। साहस ने कभी मुट्ठियाँ भींची, क
Mahfuz nisar
मैंने एक बच्चे को यूँ ही फेंका था, जो मिट्टी गूंथ रहा होगा, मेरी निर्दयी और पत्थराकृति मूरत बनाने के लिए, समय से कौन लड़ सका है, ना सतयुग में, ना ही कलयुग में संभव है, एक मजबूत ताना-बाना है, संसार के मानव निर्मित नियमों का, दशा ऐसी की घर वाले तैयार नहीं अपनाने को, हम विपदा के मारे, मारे- मारे फिर रहे थे, तभी इसने जन्म लिया, भला मैं कर भी क्या सकती थी, मेरी दशा कुछ कुंती की तरह थी, सूरज से प्रेम और समाज से तिरस्कार, बस मैंने.......... ✍mahfuz nisar© #opensky मैंने एक बच्चे को यूँ ही फेंका था, जो मिट्टी गूंथ रहा होगा, मेरी निर्दयी और पत्थराकृति मूरत बनाने के लिए, समय से कौन लड़ सका है, न
Richa Mishra
* रक्षा बंधन विशेष * || एक अटूट बंधन || एक ऐसा बन्धन ___ जिसमें नहीं होता हैं स्वार्थ से परिपूर्ण ; कोई शब्द और न ही अहंकार रूपी भावना । जिसमें सदैव पनपती हैं
Aarchi Advani Saini
महात्मा हंस राज जी भाग 2 ©Aarchi Advani Saini २. यह हंस राज का मिशन और विजन था कि शिक्षा की गुणवत्ता हमेशा उनका प्राथमिक विचार होगा। डीएवी संस्थानों में महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए।
Richa Mishra
* रक्षा बंधन विशेष * || एक अटूट बंधन || एक ऐसा बन्धन ___ जिसमें नहीं होता हैं स्वार्थ से परिपूर्ण ; कोई शब्द और न ही अहंकार रूपी भावना । जिसमें सदैव पनपती हैं