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Ashiq Momin
Mujhe Garqaab Hota Dekh, Wo Bhi Tair Nahi Paya Apne Haath Rok Liye Usne, Mere Saath Duba Wo मुझे गर्क़ाब होता देख, वो भी तैर नहीं पाया अपने हाथ रोक लिए उसने, मेरे साथ डूबा वो गर्क़ाब - पानी में डूबना #कोराकाग़ज़ #प्रेमलेखन #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yopodimo #ashiqmomin
Chandan Yadav
मैं अपने आप में हूं गर्क इतना मुझे तन्हा नहीं अय्याश कहिए!! - vishal bagh मैं अपने आप में हूं गर्क इतना मुझे तन्हा नहीं अय्याश कहिए!! - vish
suhel ansari
हमने अपनी जिंदगी🧒 उनकी मोहब्बत👩❤️👨 में गर्क कर डाले🥺 वो बेवफ़ा☺️ किसी और के साथ मचलती मिली🧑🤝🧑.... ©suhel ansari हमने अपनी जिंदगी उनकी मोहब्बत में गर्क कर डाले.... वो बेवफ़ा .... किसी और के साथ मचलती मिली....#ek #koshish #likhne #ki #EXPLORE
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
She : सुनो ना रात में बात कर सकते हैं क्या बहुत जरूरी बात है ....😍 Me : हाँ क्यूँ नहीं अगर जगते रहे तो 🤗🤗😍😍 (अंतरात्मा) पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त She : सुनो ना रूप वो मेरा उससे लड़ाई हो गया है अब मैं ब्रेकअप कर ली हूँ मैं उसको ब्लॉक कर दी हूँ और वो भी मेरे
prakash Jha
अब गावँ से शहर तक आफ़त बड़ा है अब हर किसी के अंदर नफ़रत भरा है भूल थी इंसान की या ज़ालिम की ज़िद जिस ओर देखो लाशों का ढेर खड़ा है लाशों पर राजनीति रोटी सेकने वाले देखो लाशों पर से कफ़न ले उड़ा है ज़ालिमों पर नकेल कसे भी तो कौन सरकार भी तो अपनी ज़िद पर अरा है क़ातिल ग़ुनाह कर के बच निकल गया ये मुंसिफ़ बिक गया या क़ानून सड़ा है ©prakash Jha अब गावँ से शहर तक आफ़त बड़ा है अब हर किसी के अंदर नफ़रत भरा है छल से जो गाँव का सरपंच बन बैठा आज देखो वो कैसे गर्क में पड़ा है वीरानी का आल
Ravinder Sharma
shayar_lyricist ©Ravinder Sharma 😍 हिमाचली Special (बिलसपुरी शायरी ) 😍 👌👌only हिमाचली can understand 👌👌 "" WAIT IS OVER NOW VEDIO COMING TOMORROW "" पँखे रा भी नी पऊंद
Meenakshi Sethi
कतरे से गुहर _______________ बहुत कुछ गुज़री है ए-दिल कतरे से गुहर होने तक, यूँ ही तो नहीं सफर कामिल है, बादल से बिछड़ सीप के सीने तक, गम-ए-जुदाई, खौफ-ए-तन्हाई, खौफज़दा मुसाफ़िर, और चल देना यूँ ही तन्हा, किसी अंजाम का आगाज़ होने तक, आंधियों का सफर और गर्क होने का डर, अंदेशों से लिपट, हर गुंजाइश को गले लगा बढ़ना, खुद के खाक या पाक होने तक, हसरतों का जनाजा जो साथ लिए निकली थी घर छोड़, वो बूँद यूँ ही नहीं हुई गुहर, एक मुंतज़िर सीप में गिर वजूद खोने तक, किसी ने न समझी दिल की टीस, न देखा अश्क-ए-गुहर, सबने सराही सीप, सजाया मोती, एक अदना सी तमन्ना पूरी होने तक, बहुत कुछ गुज़री है ए-दिल कतरे से गुहर होने तक, बहुत कुछ... Meenakshi Sethi, wings of poetry कतरे से गुहर- inspired from Mirza Galib's gazal कतरे से गुहर _______________ बहुत कुछ गुज़री है ए-दिल कतरे से गुहर होने तक, यूँ ही तो नह
anil kumar y625163
sandy
'माणूसकी' रात्रीचे नउ वाजलेले पाहून जफर भाई ने आपल्या पोराला,आसीफला, हाक दिली. ‘ओ आसीफ.. चल गाडीयां अंदर लगा’. आसीफ मित्रासोबत गप्पा मारत