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Suresh Kumar Chaturvedi
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा हे जगदीश्वर जगन्नाथ, हे जगत नियंता त्रिपुरारी जीवन नैया डोल रही है, हे करुणाकर करना रखवारी माया मोह देह लिप्त, जीव भटकता अविनाशी हे सत चित आनंद स्वरूप, जीवन की हरो उदासी त्रय तापों से मुक्त करो, ज्ञान की औषध दो बनवारी स्वस्थ करो तन मन प्रभु , जीवन यात्रा सुखद हमारी पंच भूत का रथ शरीर है, आत्मा रथी है मेरी मायाअश्वों सेजीवन संचालित,ज्ञान से करो मुक्ति प्रभु मेरी मैं हूं माटी की देह , माया से आवध्द सदा मैं हूंअविवेकी जीव, आवरण भेद से ढका सदा संसार सागर में नैया, मेरी हिचकोले खाती है हर कष्ट और मुसीबत में, याद तुम्हारी आती है हे जगन्नाथ सबके स्वामी, सत चित आनंद बना जाओ नश्वर संसार पर कृपा करो, जीवन मार्ग बता जाओ पंचभूत के रथ और रथी को, संसार से मुक्ति दे जाओ ©Suresh Kumar Chaturvedi # भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा
Gulshan Rishi Yadav
तीनों लोकों के स्वामी भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद आप सभी के जीवन में बना रहे, रथ यात्रा की शुभकामनाएं।
Shubham Gupta😊
मिल जाएगी हर मन्नत बिना मांगे ही, उसके आगे अपनी झोली फैला के तो देख, मिट जाएँगे पल भर में जीवन के सारे दुःख, एक बार भक्ति से उसको मना के तो देख, भर जायेगा तेरा जीवन खुशियों से सदा, मन में श्रद्धा का भाव जगा के तो देख, बदल जाएगी पल भर में किस्मत तेरी, एक दफा पुरी में सर झुका के तो देख, Happy RathYatra.. पावन पर्व इस दिन भगवान श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 7 दिवस की छुट्टी मनाने अपनी मौसी के यहाँ गुंडीचा मंदिर जाते हैं।
N S Yadav GoldMine
भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 💠 आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर भगवान जगन्नाथ की आँखें इतनी बड़ी व गोल क्यों हैं साथ ही उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की आँखें भी अत्यधिक बड़ी क्यों हैं। हमनें आज तक जितने भी मंदिर देखे है तथा भगवान की मूर्तियों को देखा हैं सभी में उन्हें मानव शरीर या उनके लिए गए अवतार के अनुसार दिखाया गया हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ की ऐसी विचित्र आँखें होने के पीछे क्या रहस्य हैं जबकि वे तो भगवान कृष्ण का ही रूप थे जिनकी आँखें एक दम सामान्य थी। विश्वकर्मा जी के द्वारा मूर्तियों का निर्माण :- 💠 दरअसल इसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य तो नही हैं क्योंकि इसे राजा इन्द्रद्युम्न के आदेश पर महान शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने एक बंद कमरे में बनाया था तथा इसे कैसे बनाया गया, क्यों इस प्रकार बनाया गया इसके बारे में कुछ भी लिखित या मौखिक प्रमाण नही मिलता हैं। विश्वकर्मा जी की शर्त थी कि वे एक बंद कमरे में इन मूर्तियों का निर्माण करेंगे तथा इस बीच कोई भी कमरे में ना आने पाए लेकिन जब राजा इंद्रद्युम्न किसी अनहोनी की आशंका के चलते बीच में ही द्वार खोलकर अंदर चले गए तो उन्होंने देखा कि विश्वकर्मा जी वहां से विलुप्त हो चुके थे तथा आधी अधूरी मूर्तियाँ छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा के स्वप्न में आकर उन्हें आदेश दिया था कि वे इन्हीं मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करे। तब से लेकर आज तक हम उन्हीं मूर्तियों की पूजा करते है। बलराम की माँ रोहिणी की कथा :- 💠 फिर भी इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताएँगे। यह बात तब की है जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका में रहने लगे थे तब एक दिन उनसे मिलने वृंदावन निवासी, नंद बाबा, यशोदा माता व रोहिणी माता आई थी। द्वारका व वृंदावनवासियों में यही अंतर था कि द्वारकावासी उन्हें अपना ईश्वर तथा राजा मानते थे जबकि वृंदावनवासी उन्हें अपना प्रेमी मानते थे। 💠 एक दिन रोहिणी माता द्वारका वासियों को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा वृंदावन में की गयी रासलीला, प्रेम प्रसंग इत्यादि की कथा सुना रही थी। चूँकि सुभद्रा भगवान कृष्ण की बहन थी तथा उनके सामने यह बात करना उचित नही था इसलिये माता रोहिणी ने उन्हें द्वार पर जाकर खड़े रहने को कहा। सब वृंदावनवासी तथा द्वारकावासी भगवान कृष्ण की भक्ति तथा उनकी कथाओं में डूबे हुए थे तथा उनकी बहन अकेली द्वार पर उदास खड़ी थी यह देखकर उनके दोनों बड़े भाई बलराम व कृष्ण भी उनके दाएं व बाएं आकर खड़े हो गए। 💠 भगवान कृष्ण के बचपन की कथाएं इतनी ज्यादा मनमोहक तथा मन को आश्चर्यचकित कर देने वाली थी कि सभी द्वारकावासी उनके प्रेम में डूब गए। द्वार पर खड़े तीनों भाई बहन भी इसे छुपके से सुन रहे थे तथा वे इसे सुनकर इतना ज्यादा स्तब्ध रह गए थे कि तीनों की आँखें पूरी खुल गयी थी। आश्चर्य में उनकी आँखें पूरी खुली हुई थी तथा मुहं बड़ा हो गया था। 💠 कहते हैं कि उसी समय स्वयं नारद मुनि भी धरती पर आ गए थे तथा तीनों भाई बहन को इस तरह साथ देखकर व इस रूप में देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि उनके इस रोचक रूप के दर्शन करने का सौभाग्य उनके भक्तों को भी मिलता रहे। इसी कारण इस कथा को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रूप से जोड़ा जाता है। ©N S Yadav GoldMine #snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :-
N S Yadav GoldMine
आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ :- 💠 भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ हैं तथा सबसे बड़ा रहस्य हैं मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ जिनके हाथ आधे बने हुए हैं तथा पैर नही है । कहते हैं कि यह मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात उनके हृदय से बनी है। आज हम इसी कथा के बारे में जानेंगे तथा इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के हृदय का पुरी पहुंचना :- 💠 जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गयी तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुंचा। राजा इंद्रद्युम्न को मिला भगवान श्रीकृष्ण का हृदय :- 💠 मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लट्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लट्ठा लेकर मंदिर में आ गए। उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नही हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथोड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए। शिल्पकार विश्वकर्मा आये मूर्ति बनाने :- 💠 तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आये तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नही आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया। भगवान जगन्नाथ की बनी आधी अधूरी मूर्तियाँ :- 💠 भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमे एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथोड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नही आयी। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कही वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुंचे। 💠 वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहां से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमे तीनों के पैर नही थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नही बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे। तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey}