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Odysseus
नज़्म मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं इक्का दुक्का ख़्वाब सुहाने आते हैं पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं आंखें मेरी जैसे ही खुल जाती हैं झट से खुशियां भी गायब हो जाती हैं उनको मेरा साथ कभी ना भाता है लेकिन ग़म से मेरा गहरा नाता है शायद इक दिन अपनी हालत सुधरेगी वक्त बदल जाएगा किस्मत चमकेगी खुशियों पर ना ग़म की परछाई होगी जीवन में बस खुशहाली छाई होगी खुशियों की कविताएं तब मैं लिक्खूंगा मधुर तराने सुंदर नग़मे लिक्खूंग ©Odysseus नज्म मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं मेरे आंगन में वो रुक ना पाते है
Anupama Jha
आसान नहीं बुद्ध होना (पूरी कविता अनुशीर्षक में) #yqhidi #yqpoem #बुद्धहोना #yqdidi तुमसे मिलना मानो, यादों की मिट्टी पर उग आए विशाल दरख़्त की छाँव के नीचे बैठना। अपनी नेह वृष्टि से भी
Dr Jayanti Pandey
वर्जनाओं की दुकान....... जो मांगोगे वो मिलेगा श्रीमान, बड़ी एक्सक्लूसिव है हमारी वर्जनाओं की दुकान स्त्री की जीवन यात्रा के हर पड़ाव के क्या होंगे प्रतिमान कब-कब क्या-२ करना चाहिए, पाओगे पूरा विधान कैसे बोले, कितना बोले और किन बातों पर मुंह न खोले कैसे पहने, क्या पहने और किन बातों को समझें गहने किन बातों पर नजर झुकाए और किन्हें हंस कर सह जाए सारा मैनुअल साफ है, मिलती यहां इसी की हर किताब है अमीर हों, गरीब हों चाहे राजा भोज हों या कि गंगू तेली हर किसी ने माना है इनको जब बात किसी स्त्री की हो ली इन हज़ार वर्षों में स्त्री सुरक्षा के लिए ही हुए थे सारे काम विश्व के किसी कोने में जाओ, सब जगह यही सोच है आम आइए श्रीमान, अपनी सेवा का अवसर हमें दें ,रखें इत्मीनान (कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जो मांगोगे वो मिलेगा श्रीमान, जो मांगोगे वो मिलेगा श्रीमान बड़ी एक्सक्लूसिव है हमारी वर्जनाओं की दुकान स्त्री की जीवन यात्रा के हर पड़ाव के
Vandana
पहाड़ के लोग नहीं उग पाते शहर की मिट्टी में,,,,,, पूरा कैप्शन में,,,, पहाड़ के लोग नहीं पनफ पाते शहर की मिट्टी में कंक्रीट के जंगल में,, ऊंची इमारतों में,, पहाड़ उनके भीतर ही कहीं समाया है। कहीं झरनो का तेज ब
Kulbhushan Arora
सुधा दी सुधी ने देखो आपके मन की बात लिखी Dedicating a #testimonial to सुशील कुमारी "सांझ" सबसे मुश्किल है इस पत्र का उत्तर लिखना,मेरे मन का पोस्टमार्टम करने वाली सुधी,जिस सरलता से त
aman6.1
दिसंबर की एक रात बाकी है,,मेरे होंसलों में जलती एक आग बाकी है. जलना है उस आग में मंज़िल तक,,टिकाना सर पे बुलंदी का ताज बाकी है. जम ना जाएं उम्मीदें कहीं बर्फ की चादर में,,दहकती मन में गुरुर की आन बाकी है. बेपरवाह हूं कोहरे से,,अभी तो होनी बरसात बाकी है. Read full post in mention⬇️⬇️ ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ #Nature #Night #December #nojotohindi #nojotonews #hindishayari#punjabishayari#urdushayari पढ़ लेना भाई लोगो कुछ मेहनत सिर्फ likes aur comme
Vidhi
मनोरंजन की तलाश में मारी मारी फिरती एक भारतीय लड़की भारत में मनोरंजन की हालत: 1) टीवी इतना dumb है कि उसकी patriarchy भी दर्द पैदा नहीं कर पाती, न्यूज़ इतना फेक है कि, उसे देख सुन कर कोई एग्जा
AK__Alfaaz..
💠मेरी प्यारी जीजी आपके लिए💠 कल सुबह सवेरे, घर की मुँडेर पर मेरे, इक नन्ही गौरेया आ बैठी, साथ मे परिश्रम के खेत से, कुछ दाने दुआओं के, और.. कुछ दाने आस, व... प्रेम के ले आयी, हथेलियों पर रखकर मेरी, एक-एक दाना, वो मुस्काते-मुस्काते, दूर गगन मे उड़ गयी, कल सुबह सवेरे, घर की मुँडेर पर मेरे, इक नन्ही गौरेया आ बैठी, साथ मे परिश्रम के खेत से, कुछ दाने दुआओं के, और.. कुछ दाने आस, व..प्रेम के
Satya Prakash Upadhyay
मुझे गाँधीजी के इतने सारे विचार पसंद आते हैं कि मैं उन सारी बातों को एक पोस्ट में समेट हीं नही सकता ,कृपया caption कैप्शन में देख लें कुछ झलकियां प्रस्तुत कीं हैं मैने। मोहनदास करमचंद गाँधी को महात्मा गांधी बनने में किन चीज़ों की आवश्यकता पड़ी उसी पर आज दो शब्द: .आज देश में नई पीढ़ी के इक्का दुक्का लोग हीं हों
Vandana
मंदिर का मोह पूरा कैप्शन में नवरात्रि की पावन बेला है शुभ अवसर है मन में एक तृष्णा उठी,,,, माँ अंबे के दर्शन की प्यास मंदिर की ओर खींच ले चली,,, मंदिर के पास एक छोटी स