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अदनासा-
शुद्ध, श्वेत एवं सत्य पत्र जनता के लिए, जनता द्वारा, मात्र जन हित में। महान लोकतंत्र (Democracy) की सबसे महत्वपूर्ण रीढ़ (Foundation) हमारा संविधान (Constitution) है, परंतु हमारे इस संविधान को मजबूत बनाने हेतु, इन चतुर्थ (Fourth) स्तंभों (Pillars) का सशक्त होना भी अतिआवश्यक है, जो सौभाग्य से अनगिनत उतार चढ़ाव के बावजूद भी अब तक खड़ा है। परंतु प्रश्न है आख़िर कब तक ? हमारे लोकतंत्र का प्रथम स्तंभ है कार्यकारणी (Executive), द्वितीय स्तंभ है विधायिका (Legislature), तृतीय स्तंभ है न्यायपालिका (Judiciary) मगर यह जो चतुर्थ स्तंभ है, वह भले ही संविधान से जुड़ा हुआ ना हो, परंतु चतुर्थ स्तंभ का महत्व, संविधान के अन्य स्तंभों में इसलिए आवश्यक है कि यह किसी भी सत्ता को निरंकुश होने नही देती, इनके कड़वे सवाल ही हर सत्ता के लिए लगाम का कार्य करती है, वह है पत्रकारिता (Journalism) जो अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वैसे वर्तमान की वास्तविकता यह है कि यहां तो पत्रकारिता ही सत्ता के साथ बेलगाम हो चुकी है, वो चैनल निजी है, परंतु यह भी धीरे-धीरे पूर्णतया सरकारी होते जा रहे है या यूं कहें कि दरबारी हो चुकी है, कहने का उद्देश्य यह की चतुर्थ स्तंभ की स्थिति दयनीय एवं चिंताजनक है, साथ ही जो प्रथम एवं द्वितीय स्तंभ है वह भी लगभग सत्ता के चरणों में नतमस्तक है। वर्तमान में हमारे लोकतंत्र के पास मात्र तृतीय स्तंभ ही है जो अब तक सरकार की जवाबदेही तय कर रही है, मुझे यह कहने में कोई भय या दबाव बिल्कुल नही है, इसलिए मैं यह कह सकता हूं कि, हमारे महान लोकतंत्र एवं महान संविधान की नींव, इज्ज़त, लाज, मान, सम्मान एवं सुरक्षा मात्र तृतीय स्तंभ न्यायपालिका पर ही निर्भर है। अच्छा लगे तो अपना लो अपना समझो बुरा लगे भी तो ठुकरा दो बेगाना समझो ©अदनासा- #हिंदी #लोकतंत्र #संविधान #कार्यकारणी #विधायिका #न्यायपालिका #पत्रकारिता #Instagram #Facebook #अदनासा
Ravendra
एक इबादत
हाल ही में कुछ दिन पहले NCRB ने देश की 2020 की आपराधिक रिपॉर्ट जारी किया था, जिसमे विभिन्न प्रकार के अपराधों का उल्लेख है और मैं उन्हीं अपराधों में से ना जाने कितने से अवगत हूँ जिसकी कोई रिपाॅर्ट ना थाने में लिखी गयी,ना मामला न्यायालय तक पहुँचा... यह कोई कहानी नही है हकीकत है ,आज भी ग्रामीण लोग और अशिक्षित लोग और निम्न तबके के लोग अत्याचार,शोषण,अन्य प्रकार की घटनाओं की कोई शिकायत नही करते है...!! #देश के भीतर सिर्फ़ विधायिका हर दम पूर्ण होती है और समस्त शक्तियां वो खुद में समाहित कर लेती है, सब पर अपना नियंत्रण कर लेती है, कार्यपालिका
राजेश कुशवाहा 'राज'
मौन मौन मुस्काई होगी, आज खुशी से भर गई होगी, निर्भया भी निर्भय होगी, आज न्याय की वर्षा हो गई। क्रूर दरिंदे चले गए, हर माँएं मुस्काई होगी। सच्ची श्रद्धांजलि पाई होगी, निर्भय हो मुस्काई होगी। मौन मौन मुस्काई होगी....।। आज बहुत दिनों के इंतजार के बाद, निर्भया को मिला न्याय, "आज की सुबह न्याय की सुबह।" अंतत आज सुबह 5:30 बजे दरिंदो का हुआ अंत। धन्यवाद न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका।। 🖋मेरी कलम से 🖋#कुशवाहाजी मौन मौन #मुस्काई होगी, आज खुशी से भर गई होगी, निर्भया भी निर्भय होगी, आज न्याय की वर्षा हो गई। क्रूर दरिंदे चले गए, हर माँएं मुस्काई होगी।
Ashok Mangal
जनहित की रामायण - 67 जनतंत्र का अपहरण हो गया इसकदर ! जन जन के हालात अब हो रहे दरबदर !! जर्जर भी नहीं रहे अब धराशायी हो गये ! चारों खंबे तोड़फोड़ हुकुम राजाशाही हो गये !! सर्वोच्च कह चुका वी वी पैट जरुरी है ! अर्थात ईवीएम में घालमेल की गुंजाईश पूरी है !! अब गिनती में आनाकानी मतलब दाल में है काला ! सर्वोच्च ने अपने मुंह पे क्यूं लगा रक्खा है ताला !! ( ...अनवरत अनुशीर्षक में ...) कार्यपालिका पे अंकुश में लोकपाल है कारगर ! कहाँ है लोकपाल आजकल नहीं कोई खोज खबर !! विधायिका में नृशंस अपराधियों की है अपार तादाद ! आखिर ऐसे
प्रियदर्शन कुमार
क्या उपहार दूं ================== बापू ! तू बता, तुम्हारे जन्म-दिन पर मैं तुम्हें क्या उपहार दूं? घृणा दूं मॉब लिंचिंग दूं या फिर भ्रष
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🙏🌷मीडिया🌷🙏 🙏🌷(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) 🌷🙏मीडिया और भूमिका 🌷🙏 मीडिया हर समाचार का अंत्यपरीक्षण करती है, अपनी भूमिका का यह शब्दश: निर्वहन करती है, फेसबुक, वाट्सएप्प, इंस
Divyanshu Pathak
कायर और कपूतों की ना अब हमको दरकार रही उठो हमारे वीर सपूतो अब दुष्टों का संहार करो जो घर में छुपकर बैठे अपनी इज्जत लुटती देख रहे डूब मरो चुल्लू भर पानी में या अब कोई अवतार धरो माँ दुर्गा और भवानी रोती भारत माँ की छाती टूटी कब तक तुम निष्प्राण रहोगे अब तरकस में बाण भरो ट्विंकल और दामिनी देखी लक्ष्मी और कामिनी देखी आंखों में खून नहीं लाये तुम कुए में जाकर कूद मरो धरने देकर शमां जलाकर अब वक्त न तुम बर्वाद करो कहदो सरकारों से अपनी या संविधान को ताक धरो उठो धरा के वीर पहरुओं अब कर में तलवार भरो कोई सोचकर देखे कि “ट्विंकल” की मां क्या सोच रही होगी- कि लड़की उसके पेट से पैदा ही क्यों हुई। उसे कौनसे कर्म की सजा मिली है। आज देश में रोजान
Sultan Mohit Bajpai
हम, भारत के लोग .............. संविधान की प्रस्तावना प्रस्तावना संविधान के लिए एक परिचय के रूप में कार्य करती है। 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन