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Deep bawara
तुम्हारी चूत के वलवले हो रहें है हम भी कितने सरफिरे हो रहें है चलो चल के करे चुदाई तुम्हारे चूत के द्वार खुल रहे है ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #शेर #शायरी #गज़ल #ग़ज़ल
Veena Khandelwal
#ग़ज़ल मुहब्बत जब करें आँखे , इबारत ही नहीं होती। दिखावे की ज़ताने की,लियाकत ही नहीं होती। सफीने दिल लिखी मेरे ,इबारत तुम ज़रा पढ़ लो। उसे इज़हार करने की , ज़रूरत ही नहीं होती। नज़ाकत है अदाओं में,नज़ारत से भरा चेहरा। इशारों से अगर छेड़ूं , शरारत ही नहीं होती । इबादत इश्क को समझे,शिकायत हो ना इक दूजे। मुहब्बत में वहां यारों , सियासत ही नहीं होती। जहाँ दो प्यार करते दिल,दो तन इक जान हो जाये खुदा जाने बड़ी इससे , इनायत ही नहीं होती। करी माँ बाप की सेवा, खुशी दामन भरे उनके। बड़ी इससे कभी कोई , इबादत ही नहीं होती। हया आँखों में थोड़ी हो,जरा हो चाल गजनी सी। लबों मुस्कान हो ऐसी नज़ाकत ही नहीं होती। मुहब्बत पास इतनी हो,मगर कुछ बंदिशें भी हो। सम्हाले किस तरह दिल को,हिफ़ाज़त ही नहीं होती। बिखर जाये मुहब्बत जब,बसा घर भी बिखर जाये। तमन्ना हो ना जीने की ,कयामत ही नहीं होती। नज़ारत=ताजगी लियाकत=योग्यता,शालिनता ग़ज़ल
Azhar Ali Imroz
ग़ज़ल आँखे क्यों नम है सब है तो हम है हम में भी ग़म है दुनिया क्यों कम है धरती पे रन है पीने को रम है जाती तेरी जो सब के सब सम है छाती में ले कर चलते क्यों बम है तेरी जाँ ,जाँ है तूँहीं रूपम है तुझ में भी क्या है? चींटी का दम है जग में परिवर्तन तूँ कैसा लम है जो जल,जम जाए तूँ वैसा जम है फिर इस धरती पे क्यों होता धम है अज़हर अली इमरोज़ मतलब रन ----युद्ध/युद्ध का मैदान रम---विलायती शराब रूपम___सौंदर्य/सुन्दर /गुनकारी ग़ज़ल
दुर्गेश निर्झर
मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ; मैं तो तुझे ही अश आर लिखता हूँ॥ मैं ग़ज़ल नहीं तेरा प्यार लिखता हूँ॥ ©दुर्गेश पण्डित #ग़ज़ल