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Sachin Ratnaparkhe

आग भी थक चुकी जलते जलते अब,
पूछती है कि लोग इतना क्यों जलते है?
हर राह ए ज़िन्दगी अलग है इक दूजे से,
फिर अपनी राह से अलग क्यों चलते है? #जलन
#ईर्ष्या_की_आग

Dr.Laxmi Kant trivedi (lucky)

ईर्ष्या

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मेरी शौहरत से सनम तुमको जलन होती हैं
मैं क्या करूं ,ये तो रब की मर्जी है,
होता कुछ भी नही है गधों के रेहकने से, 
खुन बढ़ता है मेरा तेरे सुलगने से , ईर्ष्या

jyoti gurjar

कुछ ज्ञानी ज्ञान देते हैं,
मीठे मुंह से कड़वी बात कहते है।
कि तुम भी वक़्त रहते शादी कर लो,
मेरी सलाह को जिंदगी में भर लो।
 
हमारे जैसा महान काम कर लो,
लाईफ में मस्ती  के पल भर लो।
 
साला हम कुछ बन नहीं पाए,
तो भला तुमको क्यू सही राह बताए।

पर! तुम्हे देख ये बात रब ने भी तुम्हारे लिए 
सोची होगी.....!!

कि भला तू दूसरो को सही राह ना बताए,
तो भला कामयाबी तेरे पास केसे आए।
                      _ज्योति गुर्जर #ईर्ष्या

Ganesh Din Pal

तबस्सुम ईर्ष्या का तो देखिए खुद को जलाकर राख कर देता है।

©Ganesh Din Pal #ईर्ष्या

डाॅ राजेश हालुवासिया

ईर्ष्या

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तेरे शानों से इतरा कर फिसलना।
फिर लहरा कर तेरे बदन से चिपकना।
स॔भाल अपने सरकश आंचल को।
इस अल्हड़ को
हम से ज्यादा आजादी क्यों?? ईर्ष्या

बी एल सोनी

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jyoti gurjar

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Bishwa Bijay Sharma

ईर्ष्या

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ईर्ष्या 
आज रामानंद सागर कृत रामायण देखा, मंथरा की ईर्ष्या और अंतर क्लेश से व्यथित कुटिल सोच और उसका परिणाम देखकर पता  चलता है कि एक मानव का दूसरे मानव के प्रति ईर्ष्या और नकारात्मक सोच व्यक्ति, परिवार, समाज, और यहाँ तक कि  चक्रवर्ती साम्राज्य को पतन के गर्त मे ले जाता है l

आज का मानव भी सबसे ज्यादा इसी मनोरोग से ग्रसित है और परिणाम 
सबके सामने है l
🙏

                                    ✍️ विश्व विजय ईर्ष्या

Ganesh Din Pal

ईर्ष्या एक अत्यंत विनाशक मनोविकार है जो किसी परमाणु बम से कम नहीं है। ईर्ष्यालु व्यक्ति अंधकार के गह्वर में फंसा हुआ वह व्यक्ति होता है, जिसकी बुद्धि में  सद्विचार ना आकर कुविचारों का भंडार हो जाता है। अंदर से अपने और पराए का भेद मिटाकर अभेद रूप में ईर्ष्या घर कर जाती है। ईर्ष्या का अंत ईर्ष्या से नहीं होता बल्कि ईर्ष्या का अंत प्रेम से होता है। प्रेम पाना भी कला है। एक बार भगवान प्रेम का दान कर रहे थे। बहुत सारे लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया। भगवान भी बहुत खुश हुए उन्होंने सोचा प्रेम में कितनी ताकत है कि ऐसा लगता है पूरी दुनिया इस प्रसाद को पाने के लिए आज उमड़ पड़ी है । भगवान तो प्रेम को बराबर बांट रहे थे , तभी एक व्यक्ति उसमें से उठा और उसने कहा हमें तो प्रेम का प्रसाद अत्यल्प मिला और आपने सामने वाले को प्रेम से ओतप्रोत कर दिया। भगवान ने सोचा इतने प्रेम के बाद भी इस व्यक्ति में ईर्ष्या का संचार अभी भी है । मैंने तो अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं की। सच बताएं दोस्तों जब इंसान को भगवान से ईर्ष्या होने लगी तो इंसान को इंसान से ईर्ष्या होना सामान्य बात है। प्रेम एक तपस्या है। यह धैर्यशील , कर्मशील ,सुशील, रसील, दयालु, कृपालु, मर्यादित, अहिंसक, पक्ष विपक्ष रहित, सुमेधित प्राणी को मिलता है। ईर्ष्या जिस व्यक्ति में होती है सबसे पहले वह उसे खोखला कर देते हैं और उसके सारे प्रज्ञान को नष्ट कर देती हैं और फिर हावी होकर अपने को अजेय मानने लगती है। धीरे धीरे सभी रिश्तों को वह दीमक की तरह कुतरती है। अंततः उसे अपने आगोश में ले कर समाप्त कर देती है । यहीं पर जीवन का अंत हो जाता है। यदि आपमें भी ईर्ष्या रूपी दुर्गुण का तनिक भी मनोविकार है तो आज ही निकाल फेकिए आप भी खुश रहेंगे, आपके सगे संबंधी भी खुश रहेंगे और आपका जीवन आनंद में बीतेगा।
🌹🌹जी डी पाल- हिंदी शिक्षक🌹🌹

©Ganesh Din Pal #ईर्ष्या

Kavita Ghosh

ईर्ष्या

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