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दि कु पां
बे-नाम रिश्तों की पहचान नहीं होती... शेष अनुशीर्षक में पढ़े.. 🙏🙏 बे-नाम रिश्तों की पहचान नहीं होती.. इसमें सबकुछ होते हुए भी.. कुछ नहीं होता, मुलाकात भी होती है.. अनजानों सी होती है.. टीस उठती है दिलो में.
Gudiya Gupta (kavyatri).....
मैं सार्वजनिक एक जंक्शन सी तुम रेल की भांति आते हो तुम्हारा क्या तुम तो चले गए पर मुझे कंपित कर जाते हो लबालब छलकता दर्द का गागर तुम सुकून से मुस्काते हो यात्री ..यात्रा ..यातनाएं हर बार वही दोहराते हो...! ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #सार्वजनिक जंक्शन
nimai kumar
#Pehlealfaaz jai maa Durga श्री श्री सार्वजनिक पूजा डोकरा
Ek villain
कर्नाटक नहीं बज्मे संबंधित विवाद के सामने आने वाले के बाद अधिकांश लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं इन सवालों के माध्यम से हम का नाटक में हो रहे परदेस उनका सार्वजनिक और नीतिगत पार्क समझने का प्रयास करते हैं हाल ही में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133 अनुच्छेद 2 को लागू किया है जिसमें कहा गया कि छात्रों को कॉलेज के मीडिया विश्वविद्यालय प्रशासनिक बोर्ड के द्वारा चुनी गई ड्रेस पहनी होगी सरकार का मत है कि इस ड्रेस को वर्जित किया जाना चाहिए जिससे कानून व्यवस्था भंग होती है और सामान सत्य निष्ठा को भी चोट पहुंचती हो वैसे अब यह मामला कोर्ट के विचार नहीं है रेशम रहने भी नाम कर्नाटक राज्य 2022 के नाम पर केस कर्नाटक हाईकोर्ट में सूचीबद्ध है याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि ही भाजपा एंकर अधिकार इस्लाम में धार्मिक प्रार्थना और राज्य के सचिव करने का अधिकार नहीं है जबकि राज्य सरकार की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 19 और राज्य के उचित प्रतिबंध लगाने के अधिकार का हवाला देता है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 धर्म को माना आचरण और प्रचार करने का स्वतंत्र दी गई लेकिन इसमें लिखा हुआ है की व्यवस्था तथा संविधान के भाग तथा अन्य प्रबंधों के अधीन रहते हुए इसको आपका अधिकार मिल सकते हैं अब सवाल यह है कि अनुच्छेद का क्या विवादित आदेश के अंतर्गत माना जाएगा ©Ek villain #हिसाब से संबंधित सार्वजनिक परिवहन #promiseday
Ek villain
दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच रोजाना का झगड़ा सास बहू वाला हो गया है केंद्र और दिल्ली में पहले भी विपरीत दलों की सरकारें रही है लेकिन ऐसी किस-किस कभी नहीं देखी जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और दिल्ली में भाजपा के मदन लाल खुराना वह बाद में शहीद सिंह विमान मुख्यमंत्री हुए पर कभी किसी बात पर सार्वजनिक ज्ञान मतभेद नहीं हुआ यह किसी के दौर किसी का कार्य अनावश्यक श्रेय लेने का प्रयास नहीं किया गया बाद में जब केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो दिल्ली में शीला दीक्षित कांग्रेस की मुख्यमंत्री हुई वह समय भी इतनी खींचातानी देखने को नहीं मिली आम आदमी पार्टी के सर्व सर्व अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार से उछलकर सुर्खियों में रहना चाहते थे स्वयं को भी 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के संभवत प्रधानमंत्री विवाद के रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे ऐसी आशंका रखवा ना वैसे तो कोई बुरी बात नहीं है लेकिन मैं रोज-रोज के झगड़ों से नीति नहीं सर्वजनिक पर संतों खड़े ना करें ©Ek villain #City #नित नए सार्वजनिक प्रसन्ना खड़े करें
Ek villain
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महिलाओं को उम्मीदवार को मतदाता के तौर पर राजनीतिक में भोगने वाला मुद्दा भी इन दिन चारों में है लेकिन महिलाओं की जिंदगी को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दों पर राजनीतिक दल प्रभावी ढंग से आप सचिव करते नजर नहीं आते ही ना ही राज्य सरकार महिला योजनाओं को लागू करने में अपनी विफलता पर प्रदर्शित आती है यह मुद्दा महिलाओं की सुरक्षा का स्तर पर सार्वजनिक परिवहन के साधनों में महिला सुरक्षा को लेकर इस संदर्भ में आंकड़े बताते हैं कि राज्य सरकार औरतों को सार्वजनिक बसों में सुरक्षा मुहैया कराने के विफल साबित हुई है महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सरकार चाहे कितने बड़े कद्दावर कर सकती है मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है केंद्र की ओर से वित्त वर्ष 2022 में सर्वजन सेवा में महिला सुरक्षा योजना के तहत बजट में आवंटित किए गए बजट अनुमान राशि घटकर 1 रह गई वर्ष 2021 में कटौती करते हुए 100 करोड रुपए कर दिए गए स्थिति यह है कि दो में केंद्र को संशोधित बजट में कटौती करनी पड़ रही है जो रकम जारी की गई उसका 39% ही खर्च किया जा सकता है इमरजेंसी लगाने का काम अधूरा है ©Ek villain #सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा #chocolateday
Vikram Singh
बदलती जगहों ने दिल की दिल के ढंग को कमजोर कर डाला हर तालुक जुड़ते जुड़ते उन्हीं के हाथो से टूटते टूटते बदलते इन चेहरो के ढंग को अपने रोने का शोर कर डाला अब सारी खताए महरबान हम पर है मोहब्बत की सारी कहानी हमारी ज़ुबां से गम पर है बदलते इरादों ने उनके चेहरे का नूर रंग बदल डाला उसके उसोलों ने हमारे जीने का रहने का सहने का कहने का सूर ढंग बदल डाला बदलती जगहों ने दिल की दिल के ढंग को कमजोर कर डाला याद ना रखा कुछ उसके बाद खुद को भी इस कदर गवाया है आस बनाकर उसे ज़िन्दगी की प्यास बनाकर उसे कुछ और नहीं इश्क़ में बस इस कदर का भ्रम कमाया है तुम्हारा मिलना मुबारक तुम्हारा बिछड़ना मुबारक मेरी रूह की डोर में बंधना मुबारक फिर उससे उधड़ना मुबारक एक होकर दिल में धड़कना फिर बेवजह यू बिछड़ना मुबारक जैसे रात ना आए दिन से पहले हम बितना चाहे अभी पर मौत ना आए मौत से पहले सुनाकर मेरा हाल ए दिल मैंने महफ़िल में देखो तालियों का भी शोर कर डाला सोया नहीं कभी जी भर कर और जब साया तो लोगो ने मेरे मरने का शोर कर डाला बदलती जगहों ने दिल की दिल के ढंग को कमजोर कर डाला बदलती जगहों ने दिल की दिल के ढंग को कमजोर कर डाला
RAKESH KUMAR. SINGH