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Eklakh Ansari
बेइंतेहा दर्द
love lav(7002-19695)
##andhviswas मैं मांगता रहा पानी , वो तेल मुझ पर चढ़ाते रहे .. मै चाहता था खुली हवा , वो धूनी पास जलाते रहे .. मेरे पत्ते -पत्ते का लोगों न
Shivkumar
शक्ति बिना शिव अधूरे, शिव बिना शक्ति भी अधूरी ! शिव शक्ति का प्रेम अनूठा, जन्मोजन्म का इनका नाता !! शिव के गले पड़ी मुंडमाल सर्प उनके गले पर जैसे हार ! भूत, प्रेत,पिशाच है, उनके सेवादार अघोरी, नंदी बैल करते हैं उनके काम !! भोले है शिव तो,अम्बा है उनकी शक्ति धूनी रमाए शिव,करे माँ शिव की भक्ति ! तन है शिव तो, प्राण है शक्ति शक्ति से है शिव, शिव से ही शक्ति !! ©Shivkumar #mahashivaratri #shivratri #mahadev #Nojoto // शिव शक्ति //
दि कु पां
भस्म लगा धूनी रमाते है भाई चिलम रमाते नही हम भी भोले के चेले है ना पसंद कोई नशेड़ी उन्हें पुकारे... भस्म लगा धूनी रमाते है भाई चिलम रमाते नही हम भी भोले के चेले है ना पसंद कोई नशेड़ी उन्हें पुकारे... COLLAB WITH ME ❤🌹💞 A challenge by love
Harshita Dawar
समान्य से हम या अरभ्य है हम आसमां से उतरा आज भी उजाला है मेरी ज़मीन पर उतरा फिर घोर अंधेरा है एहसासों में पिरोती कंठ पर गानी सा सजाया है विश्वास की लौ हर रात को सितारों की चादर में धूनी सा सुलगाया है अंजुली भर दुआओं को ओक से पिघलाया है मिल जाएं हम ये खत बड़ी शिद्दत से महसूस करना मेरा हर हर्फ इस जहां से उस जहां में गए अज़ीज़ो को पहुंचाना हैं समान्य से हम या अरभ्य है हम आसमां से उतरा आज भी उजाला है मेरी ज़मीन पर उतरा फिर घोर अंधेरा है एहसासों में पिरोती कंठ पर गानी सा
Sumeet Pathak
शब्द भी कहाँ तेरी खुबसूरती बयाँ करें , फ़िर भी मेरी कोशिशें कहीं कम तो नहीं !?? ( अनुशीर्षक में ... ) DQ : 399 मुझे डर है कहीं प्यार तुझको कम तो नही ..? शब्द भी कहाँ तेरी खुबसूरती बयाँ करें , फ़िर भी मेरी कोशिशें कहीं कम तो नहीं !?? मुझे डर
Himanshu Chaturvedi
पद्मासन में शांत चित्त ले ध्यान लगाए बैठे हैं सुध है जग की फिर भी कैसे कुछ बेसुध से बैठे हैं जटा में गंगा गले भुजंगा नेत्र तीन हैं बने मसानी बैठे हैं डम डम डम डम जिसका डमरू बाजे जिसको सुन के देव भी नाचें वो धूनी रमाए बैठे हैं कहने को हैं महादेव ये पर सब कुछ त्याग के बैठे हैं दिखते हैं कुछ भोले भाले थोड़े योगी कुछ मतवाले फिर भी काल डराए बैठे हैं जो हैं पशुपति इस जग के राजा जिन के बल से सृष्टि चलती ख़ुद निश्चल से बैठे हैं जो कैलासी ... जो त्रिपुरारी काम के नाशी वो भसम लगाए बैठे हैं लोक तीन जो...इनके क्रोध से डरते हैं वो छोड़ छाड़ सब दुनियादारी बस ध्यान लगाए बैठे हैं पद्मासन में शांत चित्त ले ध्यान लगाए बैठे हैं सुध है जग की फिर भी कैसे कुछ बेसुध से बैठे हैं जटा में गंगा गले भुजंगा नेत्र तीन हैं बने मसानी
AK__Alfaaz..
तुम आये, तो सात जन्म, मेरे हृदयाँचल में पलते रहे, अपनी धूनी रमाकर, एक कोने में कुटिया बनाकर, मेरी धमनियों, शिराओं, और नसों में, रिसते रहे जीवन पर्यन्त, जीवनदायिनी रक्त की बूँदों की भाँति, श्वाँस मे चलते रहे मेरी, पिये अमृत की इक घूँट की, संजीवनी दिव्यता की भाँति, मुनियों के जैसे, प्रीत की यज्ञशाला मे, प्रेम का यज्ञ किया तुमने, नैनों की जीह्वा से अपने, तेरे प्रेम के प्रसाद का..स्वाद चखा मैंने, स्नेह का घी आहुतियों मे भस्म किया तुमने, और..... समर्पण की प्रज्वलित अग्नि में, सदियों से..यौवन राख किया मैंने, एवं..... जलती रही...मै तेरी भुजाओं के बीच, तेरे पौरूष की चिंगारी से, रूई की बाती बन...।। #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे एक स्त्री जो प्रेम के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है... किंतु कभी कभी सच्चे प्रेम की अभिलाषा मे वो ठगी भी जा
AK__Alfaaz..
मेरी गली ने, जब तेरी आहट सुनी, हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी, सूरज की किरणों ने, पगडंडियाँ बुहार दीं, बादलों ने बरस कर पैर पखारे, आसमान ने, सितारों के सिक्के भरकर हथेलियों में, न्यौछावर कर दी नदियों पे, दिल के देवालय में, एक मूरत स्थापित हुयी, प्रीत की जोगन ने, अपनी वत्सलता के दुग्ध-दही से, समर्पण की शहद-मिश्री से दिवास्नान कराया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #तू_जोगन_मै_वैरागी... मेरी गली ने, जब तेरी आहट सुनी, हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी, सूरज की किरणों ने,